Showing posts from April, 2017

सामाजिक विधान क्या है | Social legislation in hindi

सामाजिक विधान का सम्बन्ध व्यक्ति एवं समूह के कल्याण की वृद्धि तथा सामाजिक क्रिया-कलापों के प्रभावपूर्ण एवं निर्बाध रूप से संचालन से है। इन विधानों का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अपेक्षित साधन…

कल्याण प्रशासन के प्रमुख क्षेत्र व वर्गीकरण

सामाजिक सेवाओं से सम्बन्धित विभिन्न समान अथ्री शब्दों जैसे सामाजिक प्रशासन, समाज सेवा प्रशासन, सामाजिक सुरक्षा प्रशासन, कल्याण प्रशासन, लोक कल्याण प्रशासन, सामाजिक संस्था प्रशासन के कारण समाज कल्याण प्रशासन के वास्तविक अर्थ के सम्बन्ध भ्रम की स्थिति …

सामाजिक सामूहिक कार्य का उद्देश्य

सन् 1935 में सामूहिक कार्यकताओं मे व्यावसायिक चेतना जागृत हुई इस वर्ष समाज कार्य की राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में सामाजिक सामूहिक कार्य को एक भाग के रूप में अलग से एक अनुभाग बनाया गया इसी वर्ष सोशल वर्कयर बुक में सामाजिक सामूहिक सेवा कार्य पर अलग से एक ख…

प्रतिस्पर्धा का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार

प्रतिस्पर्धा में यद्यपि समान उद्देश्य होता है परन्तु सम्मिलित प्रयत्न नहीं होते हैं यदि होते भी है तो उसमें स्वार्थ की भावना अधिक होती है। जो व्यवहार उस समय होता है वह अर्थपूर्ण तथा नियोजित होता है। आन्तरिक घृणा तथा संघर्ष की स्थिति होती है। ‘हम भावना…

अवलोकन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं

अवलोकन का अर्थ अवलोकन का अर्थ अवलोकन शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द 'Observation' का पर्यायवाची है। अवलोकन का अर्थ ‘देखना, प्रेक्षण, निरीक्षण। यह 'Observe' शब्द से बना है जिसका अर्थ ध्यान देना, परीक्षा करना, अनुष्ठान करना आदि। इसका सीधा अ…

जॉन डीवी का जीवन परिचय एवं शिक्षा दर्शन

जॉन डीवी का जन्म 1859 में संयुक्त राज्य अमेरिका में बर्लिंगटन में हुआ था। विद्यालयी शिक्षा बर्लिंगटन के सरकारी विद्यालयों में हुआ। इसके उपरांत जॉन डीवी वर्मोन्ट विश्वविद्यालय में अध्ययन किया । जॉन हापकिन्स विश्वविद्यालय से उन्हें PHD की उपाधि मिली। जॉ…

सामाजिक विकास की प्रकृति क्या है?

सामाजिक संरचना के उन विभिन्न पहलुओं और सामाजिक कारकों का अध्ययन है जो समाज के त्रीव विकास में बाधा उत्पन्न करते है। इसका उद्देश्य किसी समुदाय के समक्ष उस आदर्श प्रारूप को भी प्रस्तुत करना है जो उस समुदाय के लोगों को विकास की ओर अग्रसर कर सके। जब से वि…

किशोरावस्था का अर्थ, किशोरावस्था में शारीरिक विकास का वर्णन

किशोरावस्था विकास की अत्यंत महत्वपूर्ण सीढ़ी है। किशोरावस्था का महत्व कई दृष्टियों से दिखाई देता है प्रथम यह युवावस्था की ड्योढी है जिसके ऊपर जीवन का समस्त भविष्य पाया जाता है। द्वितीय यह विकास की चरमावस्था है। तृतीय यह संवेगात्मक दृष्टि से भी महत्वपू…

बाल्यावस्था किसे कहते हैं ? इसकी विशेषताओं का वर्णन।

6 से 12 वर्ष की अवस्था को बाल्यावस्था कहते हैं । बालक के विकास की दूसरी अवस्था बाल्यावस्था है। शैशवावस्था के पश्चात बालक बाल्यावस्था में प्रवेश करता है। जब शैशवावस्था होती है तो बालक का शरीर एवं मन दोनों ही अविकसित होते हैं। जैसे ही वह बाल्यावस्था में…

शैशवावस्था का अर्थ, परिभाषा, प्रमुख विशेषताएं, शैशवावस्था में शारीरिक विकास

सामान्यता: मनोवैज्ञानिकों ने शैशवावस्था का अर्थ उस अवस्था से लगाया जो औसतन जन्म से 5-6 वर्ष तक चलती है।  शैशवावस्था की परिभाषा 1. हरलाॅक यह जन्म से लेकर दो सप्ताह तक चलती है। दो सप्ताह बाद बालपन आरम्भ होता है और दो वर्ष तक रहता है। दो वर्ष बाद प्रारम्…

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