अनुक्रम
तापमान और वर्षा जलवायु के प्रमुख निर्धारक तत्व या कारक हैं । इन
दोनों का आपस में संबंध होता है । अधिक तापमान वाले जलीय क्षेत्रों में वर्षा
अधिक होती है:- जैसे महासागरीय क्षेत्रों में । क्योंकि तापमान जलीय क्षेत्रो से ही
वाष्प ग्रहण करती है । मरूस्थलीय भागों में अधिक तापमान के बाद भी जल नहीं
होने के कारण जलवाष्प बन नहीं पाता । हवाए तेज गर्म लेकिन शुष्क होती है।
स्पष्ट है कि तापमान जलवायु का प्रमुख घटक है । यह जानना हमारे लिए जरूरी है कि पृथ्वी को प्रमुख कितने ताप
कटिबंधों (क्षेत्रों) में बॉंटा जा सकता है ।
विद्वानों ने पृथ्वी पर सूर्य की किरणों से
बनने वाले कोणों के आधार पर ताप कटिबंधों का निर्धारण किया है । सूर्य की
किरणें यदि किसी स्थान पर कम दूरी तय करती है, तो तापमान अधिक होगा और
जैसे-जैसे किरणों की धरातल से दूरी बढ़ती जाती है, तापमान भी कम होता जाता
है । सूर्य-किरणों की दूरी तापमान का निर्धारण करती हे। इसी आधार पर पृथ्वी
को पॉंच ताप कटिबंधों में बॉंटा गया हैं।
जलवायु का वर्गीकरण
पॉंच ताप कटिबंधों के नाम है :-
- उष्ण कटिबंध
- उत्तरी शीतोष्ण कटिबंध
- दक्षिणी शीतोष्ण कटिबंध
- उत्तरी शीत कटिबंध
- दक्षिणी शीत कटिबंध
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