परमाणु के मौलिक कण

सन् 1897 में जे. जें. थाम्सन ने इलेक्ट्रॉन का परमाणु के घटक के रूप मेंं आविष्कार किया। उसने निर्धारित किया कि इलेक्ट्रान पर एक ऋण आवेश होता है और उसका द्रव्यमान परमाणु की तुलना में बहुत कम होता है, चूॅंकि परमाणु विद्युतीय रूप से उदासीन होता है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि परमाणु में धन आवेश का स्त्रोत होना चाहिए। इससे जल्द ही प्रोटान का प्रयोगात्मक आविष्कार हुआ, यह धनावेशित कण अब परमाण्विक कण है। प्रोटान, इलेक्ट्रान से लगभग 1840 गुना भारी पाया गया। अगले प्रयोगों से ज्ञात हुआ कि परमाण्विक द्रव्यमान, केवल प्रोटान और इलेक्ट्रान के कुल द्रव्यमान से अधिक होता है। उदाहरणार्थ, हीलियम परमाणु का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का दुगना अनुमानित किया गया, परन्तु वास्तव में वह हाइड्रोजन परमाणु द्रव्यमान का चार गुना पाया गया। इससे उदासीन कणों की उपस्थिति का सुझाव आया, जिनका द्रव्यमान प्रोटान के द्रव्यमान के तुल्य है। सर जेम्स चॉडविक ने सन 1932 में इस उदासीन कण का आविष्कार किया और इसे न्यूट्रॉन नाम दिया। अत: हम कह सकते हैं कि परमाणु अभाज्य नहीं हैं बल्कि ये तीन मौलिक कणों से बने हैं जिनके गुण सारणी में दिए गए हैं।

परमाणु के मौलिक कण

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

Post a Comment

Previous Post Next Post