विलयन किसे कहते हैं ? विलयन के प्रकार

विलयन, दो या अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण होता है जिसका संघटन भिन्न-भिन्न हो सकता है। विलयन में दो घटक होते हैं, विलेय और विलायक । सामान्यतः जो पदार्थ अधिक अनुपात में होता है उसे विलायक और जो पदार्थ कम अनुपात में होता है उसे विलेय कहते हैं। विद्यमान घटकों की संख्या के अनुसार विलयन द्वि-अंगी (दो घटक), त्रि-अंगी (तीन घटक) अथवा चतुष्क (चार घटक) हो सकता है। विद्यमान विलेय और विलायक की अवस्था के अनुसार, विलयन नौ प्रकार के होते हैं। विलयन की सान्द्रता को मोलरता , मोललता, मोल-अंश आदि विभिन्न तरीकों से व्यक्त किया जाता है। 

ताप-वृद्धि के साथ एक विलयन की वही भौतिक अवस्था होती है जो विलायक की और यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि दोनों घटकों के सापेक्ष अनुपात क्या है। साधारणतया द्रवों में ठोसों की विलेयता बढ़ जाती है। द्रवों में गैसों की विलेयता हेनरी नियम द्वारा नियंत्रित होती है। राउल्ट नियम का पालन करने वाले द्रव विलयनों को आदर्श विलयन कहते हैं। जो विलयन राउल्ट नियम का पालन नहीं करते हैं उन्हें अनादर्श-विलयन कहते हैं।

आप जानते हैं कि जब चीनी और नमक को पानी में मिलाते हैं तो ये घुल जाते है। प्राप्त मिश्रण को विलयन कहते है। विलयनों की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। उघोग में विभिन्न पदार्थो के विलयनों का उपयोग अनेक रासायनिक अभिक्रियाओं को पूरा करने में किया जाता है। विभिन्न पदार्थो के विलयनों का अध्ययन बहुत रोचक होता है। 

विलयन के प्रकार

विलयन ठोस, द्रव अथवा गैसीय हो सकते हैं। विलेय और विलायक की भौतिक अवस्था के आधार पर दो घटकों वाले विलयन (द्विअंगी विलयन) नौ प्रकार के हो सकते हैं। विलयनों के विभिन्न प्रकार सारणी में दिए गए है।

विलयनों के विभिन्न प्रकार

विलेयविलयनविलायक
गैसगैसवायु
गैसद्रवसोडा वाटर
गैसठोसपैलेडियम में हाइड्रोजन
द्रवगैसहवा में आर्द्रता
द्रवद्रवपानी में एल्कोहल
द्रवठोसस्वर्ण मे मरकरी
ठोसगैसवायु में कैम्फर
ठोसद्रवपानी में चीनी
ठोसठोसमिश्रातु जैसे पीतल (कॉपर में जिंक)
और काँसा (कॉपर में टिन)

साधारणतया हमारा संबंध तीन प्रकार के विलयनों से होता है-

1. द्रवों में द्रव 

द्रवो में दव्र प्रकार के विलयन में, जैसी पानी में एल्कोहल में कम मात्रा में मौजूद घटक को विलेय कहते हैं और अधिक मात्रा में मौजूद घटक को विलायक कहते हैं। दो द्रवों को मिलाने पर तीन भिन्न स्थितियाँ हो सकती है:-
  1. दोनों द्रव पूर्णतया मिश्रणीय हों अर्थात् जब दो द्रवों को मिलाया जाए तो वे सभी अनुपातों में एक दूसरे में विलयषील हों। उदाहरणार्थ, एल्कोहल और पानी, बेन्जीन और टॉलून।
  2. दोनों द्रव अंशत: मिश्रणीय हों अर्थात वे एक- दूसरे में निष्चित मात्रा में विलयषील होते हैं, उदाहरणर्थ, पानी और थर, पानी और फीनॉल।
  3. वे अमिश्रणीय हों अर्थात् एक दूसरे में बिलकुल विलयषील न हों। उदाहरणर्थ, पानी और बेन्जीन, पानी और टॉलून, पानी और केरोसिन। ताप - वृध्दि के साथ द्रवों में द्रवों की विलेयता में भी वृध्दि होती है।

    2. द्रवों में गैसें 

    साधारणतया गैंसे द्रवों में विलयषील होती हैं। आक्सीजन, पानी में पर्याप्त विलयषील है जिससे तालाबों, नदियों और समुदों में जलीय-जीव जीवित रहते हैं। CO2 और NH3 जैसी गैसें पानी में अत्यंत विलयषील होती हैं। द्रव में गैस की विलेयता दाब, ताप, गैस और विलायक के स्वाभाव पर निर्भर करती है। इन कारकों की विस्तृत चर्चा नीचे की ग है।

    दाब का प्रभाव : किसी द्रव में गैस की विलयेता में परिवर्तन हेनरी नियम के अनुसार होता है हेनरी नियम के अनुसार : किसी विलायक में घुली गैस का द्रव्यमान अथवा मोल - अंश, गैस के आंशिक दाब के अनुक्रमानुपाती है। हेनरी नियम को इस प्रकार निरूपित किया जाता है -
           P
      K = ------
            X

      जिसमें K स्थिरांक है, p गैस का आंशिक दाब है, और x विलयन गैस का मोल अंष है। आइये हेनरी नियम की मान्यता की शर्तो का अध्ययन करें।

      हेनरी नियम के मान्यता के लिए आवश्यक शर्ते : यह देखा गया है कि गैसें हेनरी नियम का पालन निम्नलिखित शर्तो के अंतर्गत करती हैं:
      1. दाब बहुत अधिक न हो।
      2. ताप बहुत कम हो।
      3. गैस विलायक के साथ वियोजन, संयोजन अथवा को रासायनिक अभिक्रिया न करे।
      ताप का प्रभाव : स्थिर दाब पर द्रव में गैंस की विलेयता, ताप वृध्दि के साथ कम हो जाती है। उदाहरण के लिए 200C पानी में CO2 की विलेयता पानी के प्रति cm3 के लिए 0-88 cm3 है जबकि 400C पर पानी के प्रति cm3 के लिए 0.53cm3 है। इसका कारण यह है कि गर्म करने पर विलयन में से कुछ घुली हु गैस निकल जाती है।

      गैस और विलायक के स्वभाव का प्रभाव : CO2, HCl और NH3 गैसें पानी में अत्यंत विलेय होती हैं जबकि H2,O2 और N2 अल्प विलेय होती हैं।

      3. द्रवो में ठोस 

      जब को ठोस द्रव में घुलता है तो ठोस को विलेय और द्रव को विलायक कहते हैं। उदाहरण के लिए पानी में सोडियम क्लोराइड के विलयन में सोडियम क्लोराइड विलेय है और पानी विलायक है। एक ही विलायक में भिन्न भिन्न पदार्थ भिन्न मात्रा में घुलते हैं।

      विलयन के घटक 

      यदि पानी में चीनी मिलाएँ तो वह घुल जाती है और विलयन प्राप्त होता है, विलयन में चीनी नहीं दिखा देती है। चीनी की भांति अनेक पदार्थ जैसे नमक, यूरिया, पोटेषियम क्लोराइड आदि पानी में घुलकर विलयन बनाते है। इन सभी विलसनों में पानी विलायक होता है और घुलने वाले विलेय होते है। इस प्रकार विलेय और विलायक, विलयन के घटक होते हैं। जब को विलेय किसी विलायक में समांग रूप से मिश्रित होता है तो विलयन प्राप्त होता है।

      विलेय - विलायक →विलयन

      ‘‘विलयन, दो अथवा अधिक पदार्थो का समांगी मिश्रण होता है।’’ विलायक, विलयन का वह घटक है जिसकी वही भौतिक अवस्था है जो स्वयं विलयन की होती है। विलेय, वह पदार्थ है जो विलायक में घुलकर विलयन बनाता है।

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