- आंदोलन में किसी प्रकार की हिंसात्मक कार्यवाही न की जाए ।
- नमक कानून को भंग किया जाए तथा सरकार को किसी भी प्रकार का कर न दिया जाए । अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के प्रति दुर्व्यवहार का विरोध ।
- सरकार विरोधी हड़तालें, प्रदर्शन तथा सार्वजनिक सभाएं करके अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश किया जाए ।
- मूल्यों में असाधारण वृद्धि, आवश्यक वस्तु उपलब्ध न होने के विरोध में ।
- पूर्वी बंगाल में आतंक शासन के खिलाफ ।
क्रिप्स मिशन के भारत आगमन से भारतीयों को काफी उम्मीदें थीं, किन्तु जब क्रिप्स मिशन खाली हाथ लाटैा तो भारतीयों को अत्यन्त निराशा हुई । अत: 5 जुलाई, 1942 ई. को ‘हरिजन’ नामक पत्रिका में गाँधीजी ने उद्घोष कि- ‘‘अंग्रेजो भारत छोड़ो । भारत को जापान के लिए मत छोड़ों, बल्कि भारत को भारतीयों के लिए व्यवस्थित रूप से छोड़ा जाय । महात्मा गांधी जी का यह अन्तिम आंदोलन था जो सन् 1942 ई. में चलाया गया था ।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण है -
- क्रिप्स मिशन से निराशा- भारतीयों के मन में यह बात बैठ गई थी कि क्रिप्स मिशन अंग्रेजों की एक चाल थी जो भारतीयों को धोखे में रखने के लिए चली गई थी । क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण उसे वापस बुला लिया गया था ।
- बर्मा में भारतीयों पर अत्याचार- बर्मा में भारतीयों के साथ किये गए दुर्व्यवहार से भारतीयों के मन में आंदोलन प्रारम्भ करने की तीव्र भावना जागृत हुई ।
- ब्रिटिश सरकार की घोषणा- 27 जुलाई, 1942 ई. को ब्रिटिश सरकार ने एक घोषणा जारी कर यह कहा कि कांग्रेस की मांग स्वीकार की गई तो उससे भारत में रहने वाले मुस्लिम तथा अछूत जनता के ऊपर हिन्दुओं का आधिपत्य हो जाएगा । इस नीति के कारण भी भारत छोड़ो आंदोलन आवश्यक हो गया ।
- द्वितीय विश्व युद्ध के लक्ष्य के घोषणा- ब्रिटिश सरकार भारतीयों को भी द्वितीय विश्व युद्ध की लड़ाई में सम्मिलित कर चुकी थी, परन्तु अपना स्पष्ट लक्ष्य घोषित नहीं कर रही थी । यदि स्वतंत्रता एवं समानता के लिए युद्ध हो रहा है तो भारत को भी स्वतंत्रता एवं आत्मनिर्णय का अधिकार क्यों नहीं दिया जाता ?
- आर्थिक दुर्दशा- अगेंजी सरकार की नीतियों से भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गई थी और दिनों-दिन स्थिति बदतर होती जा रही थी ।
- जापानी आक्रमण का भय- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना रंगनू तक पहुंच चुकी थी, लगता था कि वे भारत पर भी आक्रमण करेंगी । भारतीयों के मन में यह बात आई कि अंग्रेज जापानी सेना का सामना नहीं कर सकेंगे । भारत छोड़ो आंदोलन के कारण थे ।
भारत छोड़ो आंदोलन का निर्णय
14 जुलाई., 1942 ई. में बर्मा में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में ‘भारत छोड़़ो प्रस्ताव’ पारित किया गया । 6 और 7 अगस्त, 1942 ई. को बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक हुई। गाँधीजी ने देश में ‘भारत छोड़़ो आंदोलन’ चलाने की आवश्यकता पर बल दिया । गाँधीजी ने नारा दिया- ‘‘इस क्षण तुम में से हर एक को अपने को स्वतन्त्र पुरुष अथवा स्त्री समझना चाहिए और ऐसे आचरण करना चाहिए मानों स्वतन्त्र हो । मैं पूर्ण स्वतन्त्रता से कम किसी चीज से सन्तुष्ट नहीं हो सकता । हम करेंगे अथवा मरेंगे । या तो हम भारत को स्वतंत्र करके रहेंगे या उसके पय्रत्न में प्राण दे देंगे ।’’, ‘‘करो या मरो ।’’भारत छोड़ो आंदोलन और सरकारी दमन
अंग्रेजों ने प्रारम्भ में ही दमनकारी नीति अपनाई थी । भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए 9 अगस्त को ही कांग्रेस पार्टी को अवैध घोषित कर दिया गया । 9 अगस्त 1942 को प्रात: काल के पहले ही गांधीजी, मौलाना आजाद, कस्तरूबा गांधी, सरोजनी नायडू सहित कई बड़े नेता गिरफ्तार कर लिये गये । जिला, तहसील, गांव स्तर में नेतृत्व के लिये कोई नेता नहीं बचे । सामाचार पत्रों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिससे अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया, सभाओं और जुलूसों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया । सरकारी भवनों, डाकखानो, पुलिस स्टेशनों और रेलगाड़ियों को आग लगा दी जाती थी । शासन के सिर पर तो मानो खून ही सवार था, भीड़ देखते ही चाहे वे अहिंसक ही क्यों न हों, मशीनगनों से उन पर हमला किया जाता था । इससे लगभग 10 हजार लोग मारे गये थे ।भारत छोड़ो आंदोलन के असफलता के कारण
भारत छोड़ो आंदोलन के असफलता के मुख्य कारण है -
- भारत छोड़ो आंदोलन की न तो सुनियोजित तैयारी की गई थी और न ही उसकी रूपरेखा स्पष्ट थी, न ही उसका स्वरूप । जनसाधारण को यह ज्ञात नहीं था कि आखिर उन्हें करना क्या है ?
- सरकार का दमन-चक्र बहुत कठोर था और क्रान्ति को दबाने के लिए पुलिस राज्य की स्थापना कर दी गयी थी, फिर गांधीजी के विचार स्पष्ट नहीं थे ।
- भारत में कई वर्गो ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया ।
- कांग्रेस के नेता भी मानसिक रूप से व्यापक भारत छोड़ो आंदोलन चलाने की स्थिति में नहीं थे ।
- भारत छोड़ो आंदोलन अब अहिंसक नहीं रह गया था । ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरूद्ध सशक्त अभियान था ।
भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम
भारत छोड़ो आंदोलन के महत्व तथा परिणाम मुख्य है -
- ब्रिटिश सरकार ने हजारों भारतीय आंदोलनकारियों को बन्दी बना लिया तथा बहुतों को दमन का शिकार होकर मृत्यु का वरण करना पड़ा ।
- अंतर्राष्ट्रीय जनमत को इंग्लैण्ड के विरूद्ध जागृत किया । चीन और अमेरिका चाहते थे कि अंग्रेज भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र कर दें ।
- इस भारत छोड़ो आंदोलन ने जनता में अंग्रेजों के विरूद्ध अपार उत्साह तथा जागृति उत्पन्न की ।
- इस भारत छोड़ो आंदोलन में जमींदार, युवा, मजदूर, किसान और महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया । यहां तक कि पुलिस व प्रशासन के निचले वर्ग के कर्मचारियों ने आंदोलनकारियों को अप्रत्यक्ष सहायता दी एवं आंदोलनकारियों के प्रति सहानुभूति दिखाई ।
- भारत छोड़ो आंदोलन के प्रति मुस्लिम लीग ने उपेक्षा बरती, इस आंदोलन के प्रति लीग में कोई उत्साह नहीं था । कांग्रेस विरोधी होने के कारण लीग का महत्व अंग्रेजों की दृष्टि में बढ़ गया ।
- यद्यपि भारत छोड़ो आंदोलन को अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ, परन्तु स्थानीय स्तर पर कम्युनिस्टों आदि ने आंदोलन की मदद की । मुहम्मद अली जिन्ना की पाकिस्तान की माँग- अगस्त 1941 ई. में वाइसराय लार्ड लिनलिथगों ने भारतीय नेताओं को युद्ध के पश्चात् संविधान सभा बनाने का आश्वासन दिया किन्तु अल्पसंख्यकों को भी यह विश्वास दिलाया कि उनकी सम्मति के बगैर कोई प्रणाली स्वीकार नहीं की जायेगी ।
😲
ReplyDeleteTq
DeleteDhanyawad
ReplyDeleteHii
DeleteThanks for notes g
ReplyDeleteLots of thanks
ReplyDeleteWow what a great notes
ReplyDeleteThink you
ReplyDeletetank you
ReplyDeleteTq
ReplyDeleteThank you 😊
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