Pravivran क्या है । प्रविवरण किसे कहते हैं

कम्पनी अधिनियम की धारा 2(36) के अनुसार ‘‘प्रविवरण से आशय ऐसे प्रपत्र से है, जो प्रविवरण की भांति वर्णित या र्निमित किया जाता है, ऐसे नोटिस, परिपत्र, विज्ञापन या अन्य प्रपत्रों को सम्मिलित करता है जो एक समामेलित संस्था के अंषों या ऋणपत्रों के क्रय करने हेतु जनता से प्रस्ताव आमंत्रित करता है।’’ प्रविवरण को आम जनता के लिये अंश पूंजी या ऋण पत्र प्रदान करने का आमंत्रण के रूप में जाना जाता है। एक सार्वजनिक कम्पनी आम लोगों के लिये प्रविवरण जारी कर सकती है जबकि निजी कंपनियों पर प्रतिबंध है।

प्रविवरण किसे कहते है

कम्पनी के अंशों या ऋण पत्रों के द्वारा जनता को अंश खरीदने के लिये आमंत्रित करने वाला प्रपत्र, प्रविवरण कहलाता है। प्रविवरण एक ऐसा प्रलेख है जिससे निवेशक कम्पनी में धन निवेश करने के बारे में विचार बनाता है। 

प्रविवरण क्या है

प्रविवरण एक तरह का कम्पनी का आमंत्रण होता है जिसके द्वारा जनता को अंश खरीदने के लिये आमंत्रित किया जाता है। भारतीय कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 2 के अनुसार- ‘‘प्रविवरण से आशय किसी भी ऐसे प्रलेख से है जिसमें प्रविवरण, नोटिस, गश्ती पत्र, विज्ञापन या अन्य प्रलेख कहा गया हों और जिसके माध्यम से जनता को कंपनी के अंश या ऋणपत्र खरीदने के लिये आमंत्रित किया गया है।’’

कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 2(36) के अनुसार प्रविवरण से आशय ऐसे प्रविवरण-पत्र, सूचना, परिपत्र, विज्ञापन, अथवा अन्य प्रलेख या दस्तावेज से है जो जनता से अंश खरीदने के लिये आमंत्रित  करता है। प्रविवरण, प्रस्ताव नहीं है क्योंकि स्वीकृति पर वह संविदा बना जाता, जो कानून द्वारा प्रवर्तनीय होता है। प्रविवरण जनता को कम्पनी के अंशों में एवं ऋणपत्रों के निवेश लिये प्रस्ताव का आमंत्रण है, तथा यह कम्पनी पर है कि प्रस्ताव स्वीकार करें या नहीं। प्रविवरण, सूचना, परिपत्र, विज्ञापन के रूप में एक लिखित दस्तावेज है। मौखिक आमंत्रण, प्रविवरण की श्रेणी में नहीं आता है। 

पी0 नाथ सन्याल बनाम काली कुमार दत्त, ए0आई0आर0 1925, कलकत्ता 714 के बाद में एक समाचार पत्र विज्ञापन दिया गया जो निम्न था- ‘‘कम्पनी के प्रविवरण की शर्तों के अनुसार कुछ अंश विक्रय हेतु उपलब्ध है, जो आवेदन द्वारा प्राप्त किया जा सकता हैं’’ बाद में इसे प्रविवरण माना गया।

प्रविवरण की आवश्यकता

कंपनी का समामेलन होने के बाद कंपनी को पूंजी की आवश्यकता होती है। कंपनी जनता से पूंजी एकत्रित करती है। जनता कंपनी के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद ही अंश खरीदती है। कंपनी के बारे में जनता को जानकारी देने के लिये एक विस्तृत विवरण कंपनी द्वारा जारी किया जाता है, जिसे प्रविवरण कहते है। प्रविवरण का मूल उद्देश्य जनता को अंश खरीदने के लिये आमंत्रित करना होता है।

प्रविवरण निर्गमन के उद्देश्य

  1. जनता को कंपनी के अंश या ऋण पत्र खरीदने के लिये आमंत्रित करना। 
  2. अश व ऋण पत्र जिन शर्तो पर जनता को जारी किये गये है उनका उल्लेख करना। 
  3. प्रविवरण में दी गयी जानकारी के लिये संचालकों को उत्तरदायी ठहराना।

प्रविवरण की विषय सामग्री

  1. कंपनी के उद्देश्य। 
  2. अंश पूंजी व उसका विभिन्न प्रकार के अंशों में विभाजन। 
  3. कंपनी का नाम तथा उसके रजिस्टर्ड कार्यालय का पूर्ण पता। 
  4. कंपनी के संचालकों व अन्य अधिकारियों का नाम, पता व उनका व्यवसाय। 
  5. कंपनी द्वारा पूर्व में किये गये व्यापार की जानकारी व लाभ हानि की जानकारी। 
  6. कंपनी के प्रारंभिक व्ययों का विवरण। 
  7. कंपनी द्वारा अन्य पक्षों से किये गये अनुबंधों का विवरण। 
  8. अभिगोपकों के नाम व पते तथा उनके द्वारा अभिगोपित किये गये अंशों की संख्या।
  9. न्यूनतम अभिदान राशि । 
  10. इस बात की घोषणा की प्रविवरण की एक प्रति रजिस्ट्रार के पास जमा कर दी गयी है।
  11. कंपनी के अंकेक्षक, वकील, बैकर्स आदि का नाम व पूर्ण पता। 
  12. कंपनी के प्रवर्तन में या कंपनी द्वारा खरीदी गयी संपत्ति में संचालकों का हित।
  13. अभिदान सूची खुले रहने का समय । 
  14. अंशो व ऋण पत्रों पर अभिगोंपकों को दिया जाने वाला कमीशन। 
  15. कंपनी के प्रवर्तक व उनके पारिश्रमिक का विवरण। 
  16. कंपनी में प्रवर्तकों या संचालकों का हित।

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