vikendrikaran kya hai आज विश्व स्तर पर विकेन्द्रीकरण की सोच को विशेष महत्व दिया जा रहा है। प्रशासन एवं
अभिशासन में आम जन की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था
को अपनाना वर्तमान समय की बहुत बड़ी आवश्यकता है। भारत के सन्दर्भ में विकेन्द्रीकरण की
व्यवस्था सम्पूर्ण शासन प्रणाली के समुचित संचालन के लिए बहुत जरूरी है। भारत जैसे घनी
आबादी वाले बड़े देश को, जिसकी की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, एक ही
केन्द्र से शासित करना अत्यन्त कठिन है। अत: भारत जैसे विशाल देश में शासन प्रशासन के
सफल संचालन के लिए विकेन्द्रीकरण शासन व्यवस्था को अपनाया गया है।
विश्व के परिदृश्य में
गणतन्त्र व्यवस्था भारतवर्ष की देन है। प्राचीन भारत में अनेक गणतन्त्र थे तथा इनकी अपनी
स्वायत्ता थी। ये गणराज्य जनतान्त्रिक व्यवस्था के आधार थे। इन गणराज्यों का संचालन जनता
द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता था। गाँव इन गणराज्यों की पहली इकाई थे।
आजादी के उपरान्त भारत में प्रजातन्त्रीय शासन प्रणाली लागू की गई है। प्रजातन्त्र को ‘लोगों का, लोगों के लिए, लोगों द्वारा शासन’ कहा गया है। अगर प्रजातन्त्र का अर्थ “एक आम आदमी की प्रशासन में सहभागिता है” तो विकेन्द्रीकरण का कानून विकास की प्रथम इकाई के स्तर से ही लागू होना चाहिये। किसी भी देश के विकास के लिए यह आवश्यक है कि विकास नीतियां, योजनाएं व कार्यक्रम एक जगह केन्द्रीय स्तर पर न बनकर शासन की विभिन्न इकाइयों के स्तर पर बनें एवं वहीं से क्रियान्वित किये जाएं। यही नहीं मूल्यांकन व अनुश्रवण भी उन्हीं स्तरों पर किया जाये।
आजादी के उपरान्त भारत में प्रजातन्त्रीय शासन प्रणाली लागू की गई है। प्रजातन्त्र को ‘लोगों का, लोगों के लिए, लोगों द्वारा शासन’ कहा गया है। अगर प्रजातन्त्र का अर्थ “एक आम आदमी की प्रशासन में सहभागिता है” तो विकेन्द्रीकरण का कानून विकास की प्रथम इकाई के स्तर से ही लागू होना चाहिये। किसी भी देश के विकास के लिए यह आवश्यक है कि विकास नीतियां, योजनाएं व कार्यक्रम एक जगह केन्द्रीय स्तर पर न बनकर शासन की विभिन्न इकाइयों के स्तर पर बनें एवं वहीं से क्रियान्वित किये जाएं। यही नहीं मूल्यांकन व अनुश्रवण भी उन्हीं स्तरों पर किया जाये।
विकेन्द्रीकरण की जब हम बात करते हैं तो उससे तात्पर्य है कि हर स्तर पर कार्यों
का बंटवारा, उपलब्ध संसाधनों को आवश्यकता व प्राथमिकता के आधार पर उपयोग करने की
स्वतंत्रता और साथ ही हर स्तर पर प्रत्येक इकाई को अपने संसाधन जुटाने का भी अधिकार हो।
अर्थात कार्यात्मक, वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वायतता।
विकेन्द्रीकरण का तात्पर्य है कि निर्णय
प्रक्रिया एक जगह से संचालित न होकर विभिन्न स्तरों से संचालित हो।
विकेन्द्रीकरण का अर्थ
सामान्य भाषा में, विकेन्द्रीकरण का अर्थ है कि शासन-सत्ता को एक स्थान पर केन्द्रीत करने के
बजाय उसे स्थानीय स्तरों पर विभाजित किया जाये, ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी
सुनिश्चित हो सके और वह अपने हितों व आवश्यकताओं के अनुरुप शासन-संचालन में अपनी
भागीदारी सुनिश्चित कर सके। यही सत्ता के विकेन्द्रीकरण का मूल आधार है। अर्थात् आम
जनता तक शासन-सत्ता की पहुॅंच को सुलभ बनाना ही विकेन्द्रीकरण है।
यह एक ऐसी प्रक्रिया
है जिसमें सारा कार्य एक जगह से संचालित न होकर अलग-अलग जगह व स्तर से संचालित
होता है। उन कार्यों से सम्बन्धित निर्णय भी उसी स्तर पर लिये जाते हैं। तथा उनसे जुडी
समस्याओं का समाधान भी उसी स्तर पर होता है। जैसे त्रिस्तरीय पंचायतों में निर्णय लेने की
प्रक्रिया ग्राम पंचायत स्तर, क्षेत्र पंचायत स्तर एवं जिला पंचायत स्तर से संचालित होती हैं।
विकेन्द्रीकरण को निम्न रूपों मे समझा जा सकता है।
- विकेन्द्रीकरण वह व्यवस्था है जिसमें विभिन्न स्तरों पर सत्ता, अधिकार एवं शक्तियों का बंटवारा होता है। अर्थात केन्द्र से लेकर गांव की इकाई तक सत्ता, शक्ति व संसाधनों का बंटवारा। साथ ही हर स्तर अपनी गतिविधियों के लिए स्वयं जवाबदेह होता ह। हर इकाई अपनी जगह स्वतन्त्र होते हुये केन्द्र तक एक सूत्र से जुड़ी रहती है।
- विकेन्द्रीकरण का अर्थ है विकास हेतु नियोजन, क्रियान्वयन एवं कार्यक्रम की निगरानी में स्थानीय लोगों की विभिन्न स्तरों में भागीदारी सुनिश्चित हो। स्थानीय इकाईयों व समुदाय को ज्यादा से ज्यादा अधिकार व संसाधनों से युक्त करना ही वास्तविक विकेन्द्रीकरण करना है।
- विकेन्द्रीकरण वह व्यवस्था है जिसमें सत्ता जनता के हाथ में हो और सरकार लोगों के विकास के लिए कार्य करे।
विभिन्न स्तरों पर अनुशासन व सामंजस्य होना विकेन्द्रीकरण प्रक्रिया की सफलता का
प्रतीक है। यहाँ यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि किसी भी स्तर पर विकेन्द्रीकरण अचानक ही नहीं
हो जाता अपितु यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो धीरे-धीरे होती है।
विकेन्द्रीकरण कोई नई व्यवस्था नहीं
सदियों से हमारे देश में विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था किसी न किसी रूप में विद्यमान थी। पुराने समय में अधिकांश राज्य छोटे थे जो जनपद कहलाते थे। राजा इन राज्यों का शासन, प्रशासन-सभा व परिषद की सहायता से चलाता था। स्थानीय स्तर पर पंचायतें, समितियों के रूप में कार्य करती थीं जो गांवों की व्यवस्था सम्बन्धी नियम एवं कानून बनाने व लागू करने के कार्य में संलग्न रहती थीं। इन गांवों से सम्बन्धित निर्णय लेने में राजा हमेशा पंचायतों को बराबर का भागीदार बनाता था। यही व्यवस्था विकेन्द्रीकरण हैं। इतने बड़े भारत देश को एक ही केन्द्र से संचालित नहीं किया जा सकता था अत: राजाओं को विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था लागू करनी पड़ी। परन्तु धीरे-धीरे यह व्यवस्था कमजोर होती गई। मुस्लिम व ब्रिटिश हुकुमत के समय इस व्यवस्था 29 को अधिक धक्का लगा।स्वतन्त्रता के उपरान्त विकेन्द्रीकरण की सोच को योजना एवं रणनीति
निर्माण में शामिल किया गया। समय-समय पर इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि सत्ता
केन्द्रित न होकर विकेन्द्रित हो, जिससे विकास कार्यों में जनसहभागिता सुनिश्चित की जा सके।
विकेन्द्रीकरण की प्राचीन प्रणाली को देश की शासन व्यवस्था चलाने का आधार बनाया। जिसके
अन्र्तगत राज्य सरकारों की शासन प्रणाली को मजबूत बनाया गया।
यही नहीं 73वें एवं 74वें
संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारत में 1993 से स्थानीय स्तर पर भी विकेन्द्रीकरण की
व्यवस्था को लागू किया गया।
विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता व महत्व
शासन व सत्ता में आम जन की भागीदारी सुशासन की पहली शर्त हैं। जनता की भागीदारी को सत्ता में सुनिश्चित करने के लिए विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था ही एक कारगर उपाय है। विश्व स्तर पर इस तथ्य को माना जा रहा है कि लोगों की सक्रिय भागीदारी के बिना किसी भी प्रकार के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विकेन्द्रीकृत व्यवस्था ही ऐसी व्यवस्था है जो कार्यों के समुचित संचालन व कार्यो को करने में पारदर्शिता, गुणवत्ता एवं जबाबदेही को हर स्तर पर सुनिश्चित करने के रास्ते खोलती है। प्रत्येक स्तर पर लोग अपने अधिकारों एवं शक्तियों का सही व संविधान के दायरे में रह कर प्रयोग कर सकें इस के लिए विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता महसूस की गई है इस व्यवस्था में अलग-अलग स्तरों पर लोग अपनी भूमिका एवं जिम्मेदारियों को समझकर उनका निर्वाहन करते हैं।प्रत्येक स्तर पर एक दूसरे के सहयोग व उनमें आपसी
सामंजस्य से हर स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का, आवश्यकता व प्राथमिकता के आधार पर उपयोग
करने की स्वतंत्रता मिलती है साथ ही हर स्तर पर प्रत्येक इकाई को अपने संसाधन स्वयं जुटाने
का भी अधिकार व जिम्मेदारी होती है। लेकिन विकेन्द्रीकरण का अर्थ यह नहीं कि हर कोई
अपने-अपने मनमाने ढंग से कार्य करने के लिए स्वतन्त्र है। कार्य करने की स्वतन्त्रता सुशासन
के संचालन के लिए बनाये गये नियम कानूनों के दायरे के अन्दर होती है।
विकेन्द्रीकरण का महत्व इसलिए भी है कि इस व्यवस्था द्वारा सामाजिक न्याय व आर्थिक विकास की योजनायें लोगों की सम्पूर्ण भागीदारी के साथ स्थानीय स्तर पर ही बनेंगी व स्थानीय स्तर से ही लागू होंगी। पहले केन्द्र में योजना बनती थी और वहां से राज्य में आती थीं व राज्य द्वारा जिला, ब्लाक व गांव में आती थी। लेकिन भारत में अब नये पंचायती राज में विकेन्द्रीकरण की पूर्ण व्यवस्था की गई है। जिसके अनुसार ग्राम स्तर पर योजना बनेगी व ब्लाक, जिला, राज्य से होती हुई केन्द्र तक पहुँचेगी। योजनाओं का क्रियान्वयन भी ग्राम स्तर पर स्थानीय शासन द्वारा होगा।
विकेन्द्रीकरण का महत्व इसलिए भी है कि इस व्यवस्था द्वारा सामाजिक न्याय व आर्थिक विकास की योजनायें लोगों की सम्पूर्ण भागीदारी के साथ स्थानीय स्तर पर ही बनेंगी व स्थानीय स्तर से ही लागू होंगी। पहले केन्द्र में योजना बनती थी और वहां से राज्य में आती थीं व राज्य द्वारा जिला, ब्लाक व गांव में आती थी। लेकिन भारत में अब नये पंचायती राज में विकेन्द्रीकरण की पूर्ण व्यवस्था की गई है। जिसके अनुसार ग्राम स्तर पर योजना बनेगी व ब्लाक, जिला, राज्य से होती हुई केन्द्र तक पहुँचेगी। योजनाओं का क्रियान्वयन भी ग्राम स्तर पर स्थानीय शासन द्वारा होगा।
इस प्रकार विकेन्द्रीकरण के माध्यम से सत्ता व शक्ति एक केन्द्र में न रहकर विभिन्न स्तरों
पर विभाजित हो गई है। जिसके माध्यम से स्थानीय व ग्रामीण लोगों को प्रशासन में पूर्ण भागेदारी
निभाने का अधिकार प्राप्त हो गया है।
विकेन्द्रीकरण के आयाम
1. कार्यात्मक स्वायतता- इसका अर्थ है सत्ता के विभिन्न स्तरों पर कार्योे का बंटवारा। अर्थात हर स्तर अपने अपने स्तर पर कार्यो से सम्बन्धित जिम्मदारियों के लिए जवाब देह होर्गा2. वित्तीय स्वायतता- इस के अन्र्तगत हर स्तर की इकाई को उपलब्ध संसाधनों को
आवश्यकतानुसार खर्च करने व अपने संसाधन स्वयं जुटाने के अधिकार होता है।
3. प्रशासनिक स्वायतता- प्रशासनिक स्वायतता का अर्थ है हर स्तर पर आवश्यक प्रशासनिक
व्यवस्था हो तथा इससे जुड़े अधिकारी /कमचाारी जनप्रतिनिधियों के प्रति जवाबदेह हों।
विकेन्द्रीकरण के लाभ
- स्थानीय स्तर पर स्थानीय समस्याओं को समझकर उनका समाधान आसानी से किया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने से कार्य तेजी से होंगे। कार्यो के क्रियान्वयन में अनावश्यक बिलम्ब नहीं होगा। साथ ही विकास कार्यो के लिए उपलब्ध धनराशि का उपयोग स्थानीय स्तर पर स्थानीय लोगों की निगरानी में होगा, इससे पैसे का दुरूपयोग कम होगा।
- विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था से विकास योजनाओं के नियोजन एवं क्रियान्वयन में स्थानीय लोगों की सक्रिय भागेदारी सुनिश्चित होती है। विकास कार्यो की प्राथमिकता स्थानीय स्तर स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप तय की जायेगी। व विकास कार्यक्रम ऊपर से थोपने के बजाय स्थानीय स्तर पर तय किये जायेंगें।
- विकास कार्यो का स्थानीय स्तर पर नियोजन एवं क्रियान्वयन किये जाने से उनका प्रभावी निरीक्षण होगा। नियोजन में स्थानीय समुदाय की भागीदारी होने से कार्यों के क्रियान्वयन व निगरानी में भी उनकी सक्रिय भागीदारी बढे़गी। इससे से कार्य समय पर पूरे होंगे तथा उनकी गुणवत्ता में सुधार होगा।
- स्थानीय स्तर पर स्थानीय साधनों के उपयोग से अपना कोष विकसित होने व कार्य करने से कार्य की लागत भी कम आयेगी।
Thank you very much sir. It is very helpful for my upcoming exam....pub.admin.☺☺
ReplyDeleteSumaaye Kya hai iski sir
ReplyDeletenice sir ji ,,,.....its topic very important ...for,, exam
ReplyDeleteHelf full h par thoda our hota to achha th PG ke hisab se
ReplyDeletebat kafi helf full h
thanks sir ji BSW ka assigement likhne ke liye
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteNice sir
ReplyDeleteWhich committee recommended the establishment of the scheme Democratic decentralisation in india
ReplyDeleteIs it helpfull in a content of public administration
ReplyDeletePls rpy me and solve my confusion
DeleteThank sir
ReplyDeleteVery helpful
ReplyDeleteThank you sir...
ReplyDeleteThank you sir...very helpfull
ReplyDeletethamks
DeleteThanks
DeleteThanks you sir write for important subject
ReplyDeleteThanks for it
ReplyDeleteThank you sir
ReplyDeleteTq sirr
ReplyDeleteBase is clear about to topic. Its language is nice.thanks sir.
ReplyDeleteSuperb 😮🙏
ReplyDeleteThanks a lot sir
ReplyDeleteKya aap vikendrikaran ke prakar bhi with defination bta skte h plz
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