विस्मरण का अर्थ, परिभाषा, सिद्धांत, कारण एवं निवारण के उपाय

विस्मरण से तात्पर्य स्मरण की विफलता से है जब व्यक्ति अपने भूतकाल के अनुभवों को चेतन में लाने में असफल हो जाता है, तब उसे विस्मरण कहते हैं। जिस प्रकार से जीवन को उपयोगी तथा सुखी बनाने के लिए स्मृति आवश्यक है, उसी प्रकार हमारे जीवन में विस्मृति की भी उपयोगिता तथा महत्व है। मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए भी बहुत सी बातों की विस्मरण बहुत आवश्यक है। 

यदि अतीत के अनुभव व्यक्ति को सदैव परेशान करते रहते है। और वह अनेक प्रकार के मानसिक रोगों को उत्पन्न करते है। तो दुखद घटनाओं को भूल जाना लाभप्रद है।

विस्मरण की परिभाषा 

विस्मृति के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने निम्नांकित परिभाषाएँ दी हैं- ड्रेवर के अनुसार - “विस्मरण से तात्पर्य किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव को याद करने अथवा सीखे गये कार्य को करने में असफलता से है।” (Forgetting means failure at any time to recall an experience. When attempting to do so, or to perform an action previously learned.)

विस्मरण के सिद्धांत

1. निष्क्रिय या अनुप्रयोग का सिद्धांत- विस्मरण मस्तिष्क में स्मरण चिन्हों के धुंधले होने के कारण होता है। स्मरण चिन्हों का बहुत समय तक उपयोग न होने से भी विस्मरण की प्रक्रिया को बल मिलता है समय के अन्तराल के साथ-साथ विस्मरण बढ़ता है।

2. पूर्व प्रभावी बाधाओं का सिद्धांत- अधिगम की भांति विस्मरण भी एक सक्रिय क्रिया है यह स्मृति चिन्हों के हलके पड़ने के कारण ही नहीं होती है। पुराने तथा नये अनुभवों के मध्य प्रतिक्रिया होने से विस्मरण की सक्रिय क्रिया होती है। बाद में सीखी गई क्रिया पूर्व क्रिया के प्रत्येक स्मरण में बाधा उपस्थित है। और व्यक्ति भूलने लगता है।

3. उद्दीपन दशाओं में परिवर्तन- प्रत्यास्मरण की प्रक्रिया के दौरान उद्दीपन की दशाओं में परिवर्तन होने से भी विस्मरण की क्रिया सम्पन्न होती है। उदाहरणार्थ - एक कक्षा में पढ़ाया जाना तथा दूसरी कक्षा में परीक्षा लेना कई  बार विस्मरण को बढ़ावा देता है। 

4. सोद्देश्य विस्मरण- हम जिन तथ्यों को पसन्द नहीं करते उनको भूलने का प्रयत्न करते है। व्यक्ति कई बार कह देता है ‘मैं भूल गया।’ 

5. असामान्य विस्मरण- विस्मरण के सिद्धान्तों की असामान्य दशायें एमनीशिया अर्थात स्मरण क्षति है। मानसिक आघात के कारण अतीत के अनुभव विस्मृत हो जाते है।

विस्मरण के कारण

विस्मरण को प्रभावित करने वाले कारण इस प्रकार है।

1. विषय का निरर्थक- जो विषय सामग्री निरर्थक होती है। उसका सम्बन्ध पूर्व अनुभवों से स्थापित नहीं हो पाता। निरर्थक विषयों का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में किसी भी कार्य की सिद्धि नहीं करता।

2. समय का प्रभाव- समय के साथ विस्मृति की मात्रा बढत़ी चली जाती है। बड़े लोग कई बार यह कहते सुने जाते है कि उनकी स्मरण शक्ति क्षीण होती चली जाती है। हैरिस का विचार है कि किसी समय से सीखे गये अनुभव कालान्तर में परीक्षण करने पर विस्मृत जान पड़ते है।

3. बाधक क्रिया और उसका प्रभाव- इस मत के अनुसार नवीन अनुभव प्राचीन संस्कारों के प्रत्यास्मरण में बाधा पहुँचाते है। इसका कारण बताते हुए कहा गया है कि विस्मृति एक सक्रिय मानसिक क्रिया है अनुभवों में बाधा पहुँचाने से अनुभवों की विस्मृति हो जाती है।

4. दमन:-मनोविश्लेषण- वादियों के अनुसार विस्मरण का मुख्य कारण दुखद अनुभव है। मनुष्य का स्वभाव है कि वह सुखद अनुभवों का स्मरण करता है और दुखद अनुभवों का विस्मरण करने का प्रयत्न करता है। यह क्रिया दमन कहलाती है।

5. अभ्यास की न्यूनता -भनिडाइक ने विस्मरण का कारण अभ्यास का अभाव बताया है। बार-बार किया गया अभ्यास स्मरण में सहायक होता है। अभ्यास के अभाव में विस्मरण को प्रश्रम मिलता है।

6. संवेगो की उत्तेजना- सवेंगात्मक स्थिति में व्यक्ति भूल जाता है सामान्तया गुस्से से व्यक्ति की आंगिक चेष्टा प्रबल हो जाती है और वह जो कुछ कहना चाहता है, उसके विपरीत और कहना आरम्भ कर देता है।

7. मानसिक आघात-कभी-कभी मानसिक आघात के कारण स्मृति पूर्णरूपेण ही समाप्त हो जाती है। उस समय तक अर्जित अनुभवों का समापन हो जाता है। साथ ही यदि मस्तिष्क में चोट कम लगती है तो विस्मरण का प्रभाव पड़ता है।

8. मादक द्रव्य - मादक द्रव्य का सेवन करने वाले व्यक्तियों की स्मरण शक्ति क्षीण हो जाती है।

9. अधिगम की विधियाँ :- अध्यापक यदि शिक्षण विधियों का प्रयोग छात्रों के स्तरानुकूल नहीं करता है तो विस्मरण को बढावा मिलता है।

10. क्रमहीनता :-यदि काईे अधिगम सामग्री निश्चित क्रम के अनुसार नहीं स्मरण की जाती तो उसकी विस्मृति के अवसर बढ़ जाते है।

विस्मरण निवारण के उपाय

विस्मरण को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक मन ने अपने विचार प्रकट किये हैं। यहाँ संक्षेप में इनका उल्लेख किया जा रहा है-
  1. किसी बात को सीखने के लिए स्मरण करने का इरादा होना चाहिए।
  2. स्मरण रखने के लिए ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है।
  3. स्मरण रखने के लिए स्मृति प्रतिभाओं का उपयोग करना चाहिए।
  4. अनुभव की गई या सीखी हुई बातों का अन्य बातों से साहचर्य स्थापित करना चाहिए।
उपर्युक्त बातों के अतिरिक्त विस्मरण का निवारण स्मृति-प्रशिक्षण द्वारा किया जा सकता है।

विस्मरण का निराकरण 

विस्मरण के निराकरण के लिए सामान्यत: इन सिद्धान्तों का पालन करना चाहिए।
  1. अवधान केन्द्रित करना- अधिगम विषय पर गहन ध्यान केिन्दत्र किया जाना चाहिए। 
  2. साहचर्य- जो अनुभव पहले से अजिर्त किये जा जके है नवीन ज्ञान तथा अनुभवों के साथ उसका साहचर्य सम्बन्धित किया जाये। इसके साथ ही अनके प्रतिमाओं जैसे दृश्य, श्रव्य, संवेदनशील, सम्प्रक, मुक्त का निर्माण किया जाए। 
  3. लय तथा पाठ- स्मरण का मुख्य निमाण अंग लय तथा पाठ है। पाढय सामग्री की प्रकृति के अनुसार लय तथा पाठ का उपयोग शिक्षक को करना चाहिए।
  4. समय विभाजन- पाठन सामग्री की पकृति के अनुसार स्मरण करने के लिए समय का विभाजन कर देना चाहिए। 
  5. विश्राम- प्रत्येक विषय को याद कर लेने के पश्चात अध्यापक को चाहिए कि वह छात्रों को विश्रात दे। इस प्रकार प्रष्ठोन्मुख अवरोध दूर किया जा सकता है।

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