73वें संविधान संशोधन के अन्र्तगत त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में जिला स्तर पर जिला
पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक जिले के लिए एक जिला पंचायत होगी
जिसका नाम उस जिले के नाम पर होगा। जिला पंचायत पूरे जिले से आयी प्राथमिकताओं व
लोगों की जरूरतों का समेकन कर एक जिला योजना तैयार करती है, जो क्षेत्र विशेष के हिसाब
से उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर होती है। इस प्रकार जिला योजना में स्वीकृत योजना का
क्रियान्वयन किया जाता है।
जिला पंचायत का गठन
जिला पंचायत का गठन जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य (जिनका चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है), जिले में समस्त क्षेत्र पंचायतो के प्रमुख, लोग सभा और राज्य सभा के वे सदस्य जिनके निर्वाचन जिला में विकास खण्ड पूर्ण या आंशिक रूप से आता है, राज्य सभा और विधान परिषद के सदस्य जो विकास खण्ड के भीतर मतदाता के रूप में पंजीकृत है को शामिल कर किया जाता है।जिला पंचायत में सदस्यों का चुनाव
जिला पंचायत के चुनाव के लिए जिला पंचायत को छोटे-छोटे ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों मे बांटा जायेगा जिसकी आबादी 50,000 होगी। जिला पंचायत के सदस्यों का चुनाव ग्राम सभा सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जायेगा। जिला पंचायत के सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए जरूरी है कि प्रत्याषी की उम्र 21 साल से कम न हो। यह भी जरूरी है कि चुनाव मे खडे होने वाले सदस्य का नाम उस निर्वाचन जिला की मतदाता सूची मे हो।जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव
जिला पंचायत में चुने गये सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। जिला पंचायत में कुल चुने जाने वाले सदस्यों में से यदि किसी सदस्य का चुनाव किसी कारण से नहीं भी होता है तो भी अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पदों के लिए चुनाव नहीं रूकेगा और चुने गये जिला पंचायत सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव कर लेंगे। यदि कोई व्यक्ति संसद या विधान सभा का सदस्य हो, किसी नगर निगम का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो, नगर पालिका का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो या किसी नगर पंचायत का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो तो वह जिला पंचायत अध्यक्ष या उपाध्यक्ष नहीं बन सकता।जिला पंचायत के सदस्यों का कार्यकाल
ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत की तरह ही जिला पंचायत का एक निश्चित कार्यकाल होता है। संविधान में दिये गये नियमों के अनुसार जिला पंचायत का कार्यकाल जिला पंचायत की पहली बैठक की तारीख से 5 वर्षों तक होगा। जिला पंचायत के सदस्यों का कार्यकाल यदि किसी कारण से पहले नहीं समाप्त किया जाता है तो उनका कार्यकाल भी अर्थात पांच वर्ष तक होगा। जिला पंचायत के कार्य काल तक होगा। यदि किसी खास वजह से जिला पंचायत को उसके नियत कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है तो 6 महीने के भीतर उसका चुनाव करना जरूरी होगा। इस तरह से गठित जिला पंचायत बाकी बचे समय के लिए कार्य करेगी।अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का हटाया जाना
जिला पंचायत के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को अपने पद की गरिमा के अनुरूप कार्य न करने अथवा संविधान द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को पूर्ण न करने की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा पद से हटाया जा सकता है। अर्थात यदि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अपने कार्यों को ठीक प्रकार से नहीं करता है तो राज्य सरकार नियत प्रक्रिया व नियमों के अनुसार उसे निष्चित अवसर देकर पद से हटा भी सकती है।अध्यक्ष या उपाध्यक्ष द्वारा त्याग-पत्र
अध्यक्ष उपाध्यक्ष या जिला पंचायत का कोई निर्वाचित सदस्य खुद से हस्ताक्षर किए हुए पत्र द्वारा पद त्याग कर सकता है जो अध्यक्ष की दषा में राज्य सरकार को और अन्य दषाओं में जिला पंचायत के अध्यक्ष को सम्बोधित होगा। अध्यक्ष का त्याग पत्र उस दिनांक से प्रभावी होगा जब त्याग पत्र की अध्यक्ष द्वारा स्वीकृति जिला पंचायत के कार्यालय में प्राप्त हो जाए। उपाध्यक्ष या सदस्य का त्याग पत्र उस दिनांक से प्रभावी होगा जब जिला पंचायत के कार्यालय में उनकी नोटिस प्राप्त हो जाये और यह समझा जायेगा कि ऐसे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य ने अपना पद रिक्त कर दिया है।जिला पंचायत की बैठक
जिला पंचायत के कार्यों के संचालन हेतु संविधान में जिला पंचायत की बैठक का प्रावधान किया गया है। जिसके अन्र्तगत हर दो महीनो में जिला पंचायत की कम से कम एक बैठक जरूर होगी। जिला पंचायत की बैठक को बुलाने का अधिकार अध्यक्ष को है। अध्यक्ष की गैरहाजिरी में उपाध्यक्ष जिला पंचायत की बैठक बुला सकता है। इसके अतिरिक्त जिला पंचायत की अन्य बैठकें भी बुलाई जा सकती है। यदि जिला पंचायत के 1/5 सदस्य लिखित रूप से मांग करें और यह मांग पत्र सीधे हाथ से दिया गया हो या प्राप्ति पत्र सहित रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिया गया हो तो आवेदन प्राप्ति के एक महीने के भीतर अध्यक्ष जिला पंचायत बैठक जरूर बुलायेगा। आवश्यकता पड़ने पर कोई बैठक आगे की तिथि के लिए स्थगित की जा सकती है और इस प्रकार स्थगित बैठक आगे भी स्थगित की जा सकती है। सभी बैठक जिला पंचायत कार्यालय में होंगी। अगर बैठक किसी अन्य स्थान पर होना निश्चित की गई है तो इसकी सूचना सभी को पूर्व में दी जाती है। बैठक में जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी से प्रषासन से संबंधी कोई विवरण, अनुमान, आंकड़े, सूचना, कोई प्रतिवेदन, अन्य ब्यौरा या कोई पत्र की प्रतिलिपि मांग सकते है। अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी बिना देर किये मांगी गई जानकारी सदस्यों को देंगे।जिला पंचायत के कार्य एवं शक्तियां
जिला पंचायत जिले स्तर पर कार्यों को संचालित करेगी-- कृषि तथा बागवानी का विकास।
- सब्जियों, फलों और पुष्पों की खेती और विपणन की उन्नति।
- चकबन्दी, भूमि सरंक्षण एव सरकार के भूमि सुधार कार्यक्रमों में सरकार को सहायता प्रदान करना।
- लघु सिचाई कायोर्ं के निर्माण और अनुरक्षण में सरकार की सहायता करना।
- सामुदायिक तथा वैयक्तिक सिचाई कार्यो का कार्यान्वयन।
- पशु सेवाओं की व्यवस्था।
- पशु मुर्गी और अन्य पशुधन की नस्लों का सुधार करना।
- दूध उघोग, मुर्गी पालन और सुअर पालन की उन्नति।
- सड़कों तथा सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण और परिरक्षण करना।
- सामाजिक वानिकी और रेषम उत्पादन का विकास और प्रोन्नति।
- ग्रामीण उद्योग के विकास में सहायता करना।
- कृषि उद्योगों के विकास की सामान्य जानकारी का सृजन।
- कुटीर उद्योगों के उत्पादों के विपणन की व्यवस्था करना।
- ग्रामीण आवास कार्यक्रम में सहायता देना और उसका कार्यन्वयन करना।
- पेय जल की व्यवस्था करना तथा उसके विकास में सहायता देना।
- दूषित जल को पीने से बचाना।
- ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रमो को प्रोत्साहन देना और अनुश्रवण करना।
- ईधन तथा चारा से सम्बन्धित कार्यक्रमो की प्रोन्नति।
- जिला पंचायत के क्षेत्र में सडकों के किनारे वृक्षारोपण।
- गांव के बाहर सडकों, पुलियों का निर्माण और उसका अनुरक्षण।
- पुलों का निर्माण।
- नौका घाटों, जल मार्गो के प्रबंधन में सहायता करना।
- ग्रामीण विद्युतिकरण को प्रोत्साहित करना।
- गैर-पारम्पारिक ऊर्जा स्त्रोत के प्रयोग को बढ़ावा देना तथा उसकी प्रोन्नति।
- गरीबी उन्मूलन के कार्यों का समुचित क्रियान्वयन करना।
- प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा का विकास।
- प्रारम्भिक और सामाजिक शिक्षा की उन्नति।
- ग्रामीण शिल्पकारों और व्यवसायिक शिक्षा की उन्नति।
- प्रौढ साक्षरता और अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों का पर्यक्षण।
- पुस्तकालय ग्रामीण पुस्तकालयों की स्थापना एवं उनका विकास।
- खेल-कूद तथा सांस्कृतिक कार्य-
- ग्राम पंचायत के बाहर मेलों और बाजारों की व्यवस्था और प्रबंधन।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और औषद्यालयों की स्थापना और अनुरक्षण।
- महामारियों का नियंत्रण करना।
- ग्रामीण स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना।
- परिवार कल्याण और स्वास्थ्य कार्यक्रमों की उन्नति।
- महिलाओं एव बाल स्वास्थ्य तथा पोशण कार्यक्रमों में विभिन्न संगठनों की सहभगिता के लिए कार्यक्रमों की प्रोन्नति।
- महिलाओं एवं बाल कल्याण के विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन व प्रोन्नति।
- विकलांगो तथा मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों का कल्याण।
- वृद्धावस्था विधवा पेंषन योजनाओं का अनुश्रवण करना।
- अनुसूचित जातियों तथा कमजोर वर्गो के कल्याण की प्रोन्नति।
- सामाजिक न्याय के लिए योजनायें तैयार करना और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत आवष्यक वस्तुओं का वितरण।
- सामुदायिक अस्तियों के परिरक्षण और अनुरक्षण का अनुश्रवण और मार्गदर्षन करना।
- आर्थिक विकास के लिए योजनाये तैयार करना।
- ग्राम पंचायतों की योजनाओं का पुनरावलोकन, समन्वय तथा एकीकरण।
- खण्ड तथा ग्राम पंचायत विकास योजनाओं के निश्पादन को सुनिष्चित करना।
- सफलताओं तथा लक्ष्यो की नियतकालिक समीक्षा।
- खण्ड योजना के कार्यान्वयन से सम्बन्धित विशयों के सम्बन्ध में सामग्री एकत्र करना तथा आंकड़े रखना।
- ग्राम पंचायत के क्रिया कलापों के ऊपर नियमों के अनुसार सामान्य पर्यवेक्षण।
जिला पंचायत के अध्यक्ष के कार्य
- जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रमुख कार्य जिला पंचायत तथा समितियों की जिसका वह सभापति है उनकी बैठक बुलाना और उनकी अध्यक्षता करना है।
- अध्यक्ष का कर्तव्य है कि वह बैठकों में व्यवस्था बनाये रखे तथा बैठकों में लिये गये निर्णयों की जानकारी रखे।
- वित्तीय प्रषासन पर नजर रखना तथा योजनाओं के अनुरूप वित्तीय प्रबंधन की निगरानी करना।
- अध्यक्ष को ऐसे कार्य भी करने होते हैं जो सरकार द्वारा समय-समय पर उन्हें दिये जाते हैं।
जिला पंचायत के उपाध्यक्ष के कार्य
- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष बैठकों की अध्यक्षता करता/करती है और ऐसे समय में वह अध्यक्ष के अधिकारों का उपयोग कर सकता/सकती है।
- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में या उसका पद खाली होने पर अध्यक्ष के अधिकारों का उपयोग और उसके कार्यों के सम्पादन की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष की होती है।
- उपाध्यक्ष को वे सभी कार्य भी करने होते हैं जिन्हें अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
जिला पंचायत का निर्माण कार्यों के संबंध में अधिकार
- किसी सार्वजनिक स्थान या जिला पंचायत की सम्पत्ति से लगी हुई किसी इमारत में किसी भी प्रकार निर्माण का कार्य तब तक नहीं किया जा सकता है जब तक जिला पंचायत से इसके लिए इजाजत नहीं मिल जाती।
- यदि उपरोक्त का उलंघन किया जाता है तो जिला पंचायत उसमें बदलाव करने या उसे गिराने का आदेष दे सकती है।
- जिला पंचायत अपने इलाके में सार्वजनिक नालियों का निर्माण कर सकती है। जिला पंचायत द्वारा बनाई जाने वाली नालियां, किसी सड़क या स्थान के बीच से या उनके आर-पार या उसके नीचे से ले जा सकती है। किसी इमारत या भूमि में या उसके नीचे से ले जाने के लिए उसके मालिक को पूर्व सूचना देकर निर्माण कर सकती है।
- यदि कोई व्यक्ति ऊपर लिखित मामलों के संबंध में निजी लाभ के लिए किसी प्रकार का निर्माण कार्य करना चाहता है तो इसके लिए उसे जिला पंचायत को आवेदन देना होता है। यदि जिला पंचायत 60 दिनों के भीतर इसके बारे में कोई सूचना नहीं देताी है तो आवेदन पत्र को स्वीकृत मान लिया जाता है।
- जिला पंचायत किसी को लिखित इजाजत दे सकती है कि वह खुले बरामदों, छज्जों या कमरों का निर्माण या पुर्ननिर्माण इस प्रकार से करें कि उसका कुछ हिस्सा, नियम में दिये गये छूट के अनुसार, सड़कों या नाली के ऊपर निकला रहे। लिखित अनुमति न लेने पर व्यक्ति को जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
- यदि किसी के द्वारा पेड़ काटने से या इमारत में परिवर्तन या निर्माण कार्य करने से सड़क पर चलने वाले व्यक्ति को बाधा होती हो तो ऐसा काम करने से पहले जिला पंचायत से लिखित इजाजत लेनी होगी।
जिला पंचायत के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव
अधिनियम में दी गई प्रकिया के अनुसार जिला पंचायत के अध्यक्ष या किसी उपाध्यक्ष के विरोध
अविष्वास का प्रस्ताव किया जा सकता है तथा उस पर कार्यवाही की जा सकती है। अविश्वास
प्रस्ताव करने के अभिप्राय का लिखित नोटिस जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या
में कम से कम आधे सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किया गया होगा प्रस्तावित प्रस्ताव की प्रति के साथ
नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों में से किसी के द्वारा व्यक्तिगत रूप से उस जिलाधिकारी
को दिया जाएगा। इसके बाद जिलाधिकारी- उक्त प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जिला
पंचायत की बैठक जिला पंचायत के कार्यालय में अपने द्वारा निश्चित दिनांक को बुलायेगा। यह
दिनांक, उपधारा के अधीन उसे नोटिस दिये जाने के दिनांक से तीस दिन के बाद का न होगा।
जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्यों को ऐसी बैठक का कम से कम पन्द्रह दिनों की नोटिस ऐसी
रीति से देगा जो नियत की जाये।
जिला पंचायत पर सरकारी नियंत्रण की सीमा
जिला पंचायत पर एक सीमा तक सरकार का नियन्त्रण भी रहता है। जिलाधिकारी या नियत प्रधिकारी जिला पंचायत या उसकी समितियों के द्वारा कराये जा रहे कायोर्ं का निरीक्षण कर सकता/सकती है तथा जिला पंचायत के किसी भी लिखित पुस्तक या अभिलेख को जांच के लिए मांग सकता/सकती है। राज्य सरकार द्वारा तय किया गया अधिकारी जिला पंचायत द्वारा किये गये निर्माण कार्यों को तथा उससे संबंधित सारे दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता/सकती है। राज्य सरकार को जिला पंचायत के सदस्य की सदस्यता समाप्त करने का अधिकार भी है। यदि कोई जिला पंचायत सदस्य अपने कार्यों को करने में शारीरिक रूप से असमर्थ पाया जाता है, या वह किसी अनाचार का दोषी है , या उसने जिला निधि को किसी प्रकार से हानि पहुंचाई हो, अथवा उसने अपनी सदस्यता का अपने फायदे के लिए उपयोग किया हो तो राज्य सरकार उसकी सदस्यता समाप्त कर सकती है। यदि किसी भी समय राज्य सरकार को इस बात की जानकारी होती है कि जिला पंचायत अपने कार्यों में लापरवाही व अनियमितता बरत रही है तो जांच के बाद दोष साबित होने पर राज्य सरकार जिला पंचायत का विघटन कर सकती है। विघटन के बाद 6 महीने के भीतर जिला पंचायत के गठन के लिए फिर से चुनाव कराये जायेंगे, तब तक के लिए सरकार जिला पंचायत के स्थान पर प्रशासक या प्रशासनिक समिति गठित कर सकती है।जिला पंचायत का बजट
जिला पंचायत को हर वर्ष जिले का वार्षिक बजट तैयार करना होता है। जिला पंचायत इस बजट को वित्त समिति के परामर्ष से तैयार करेगी। इस तैयार बजट को पूर्व निर्धारित तिथि को जिला पंचायत की बैठक में अध्यक्ष के माध्यम से प्रस्तुत किया जायेगा। प्रस्तावित बजट को जिला पंचायत अगर चाहे तो संशोधन हेतु वापिस भी कर सकती है। अगर बजट वापिस नहीं होता तो जिला पंचायत इसे पारित कर देती है। यदि बजट संशोधन हेतु लौटाया जाता है तो कार्य समिति नये सिरे से इस बजट को बनायेगी जिसे अध्यक्ष द्वारा पुन: बैठक में प्रस्तुत कर पारित करवाया जायेगा।जिला निधि का संचालन
जिला पंचायत को राज्य और केन्द्र सरकार तथा दूसरे स्रोतों से प्राप्त धनराषि जिला निधि में जमा होगी। जिला पंचायत नकद या वस्तु के रूप में ऐसे अंषदान ले सकती है जो कोई व्यक्ति किसी सर्वाजनिक कार्य के लिए जिला पंचायत को दे। जिला निधि के खाते का संचालन अध्यक्ष तथा मुख्य विकास अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से होगा। वर्तमान में पंचायतों को प्रेशित की जाने वाली धनराषि का 20 प्रतिषत हिस्सा जिला पंचायत को भेजा जाता है।जिला पंचायत के सलाहकार के रूप में कार्य करने वाले अधिकारी
- मुख्य विकास अधिकारी
- जिला पूर्ति अधिकारी
- उपक्षेत्रीय विपणन अधिकारी
- जिला वन अधिकारी
- अधिषासी अभियन्ता- लोक निर्माण विभाग
- अधिषासी अभियन्ता- विद्युत विभाग
- सामान्य प्रबन्धक- जिला उद्योग केन्द्र
- जिला अर्थ एवं संख्यीकी अधिकारी
जिला पंचायत से सम्बन्धित मुख्य विभाग
जिन कार्यों को पंचायतों से सन्दर्भित किया गया है, उन विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी जिला पंचायत के साथ में कार्य करेंगे। ऐसे अधिकारियों की सूची निम्नलिखित है-- मुख्य विकास अधिकारी
- उप मुख्य चिकित्साधिकारी
- बेसिक शिक्षा अधिकारी
- अधिषासी अभियन्ता- जल निगम
- अधिषासी अभियन्ता- ग्रामीण अभियंत्रण सेवा
- जिला विद्यालय निरीक्षक
- अधिषासी अभियन्ता- नलकूप
- अधिषासी/सहायक अभियन्ता- लघु सिंचाई
- जिला युवा कल्याण अधिकारी
- जिला समाज कल्याण अधिकारी
- जिला पशुधन अधिकारी
- सहायक पंजीयक, सहकारिता
- जिला उद्यान अधिकारी
- जिला गन्ना विकास अधिकारी
- जिला पंचायतराज अधिकारी
- कार्यक्रम अधिकारी(बाल विकास परियोजना)
- जिला कृषि अधिकारी
- जिला भूमि संरक्षण अधिकारी
- सहायक निदेशक, मत्स्य
- जिला दुग्ध विकास अधिकारी
धन्यवाद आपका ।
ReplyDeleteधन्यवाद आपका ।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteConcept clear ho gya sir.
ReplyDeleteZila panchayat sadsya ki powers kya hoti hi sir plz baataye
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteKiya punchyat pardhan advising cometey bana Santa hi?
ReplyDeleteअपर मुख्य अधिकारी का काम क्या है फिर
ReplyDeleteBahut bahut dhanya bad sir
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