समाचार के रूप में कैसे दिया जाए? कौन सी बात पहले रखी जाए और कानै सी बात बाद में। घटनाओं को क्रमबद्ध करने का कौन सा तरीका अपनाया जाए कि समाचार अपने में पूर्ण और बोलता हुआ सा लगे। हमने पहले से चर्चा की है कि समाचार लेखन में उल्टा पिरामिड सिद्धांत सबसे प्रभावी होता है। इस हिसाब से क्रम इस प्रकार होगा-षीर्शक, आमुख या इंट्रो और विवरण।
समाचार को आकर्षक बनाने में शीर्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। समाचारों के लिए शीर्षक लिखना भी एक कला है, साथ ही महत्वपूर्ण भी। समाचार को उचित ढंग से प्रस्तुत करने के लिए उचित शीर्षक अत्यंत जरूरी होता है। शीर्षक के द्वारा किसी समाचार को संवारा/बिगाड़ा जा सकता है। कभी कभी एक बहुत अच्छा समाचार उचित शीर्षक के अभाव में पाठकों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाता है। दूसरी बात यह है कि कुछ लोग केवल समाचारों के शीर्षक पढ़ने के आदि होते हैं और वे इसी आधार पर ही समाचार के बारे में निर्णय ले लेते हैं।
इस तरह यह कहा जा सकता है कि शीर्षक पाठकों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है। इसके साथ ही समाचार पत्र की पाठकों में एक छवि बनती है।
समाचारों के लिए शीर्षक देते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
समाचारों के लिए शीर्षक देते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- शीर्षक संक्षिप्त और सारगर्भित हो।
- शीर्षक स्पष्ट, अर्थपूर्ण और जीवंत होने चाहिए
- भाषा विषयानुकूल होनी चाहिए
- शीर्षक इस तरह होने चाहिए कि वह सीमित स्थान पर पूरी तरह फिट बैठे।
- शीर्षक विशिष्ट ढंग का और डायरेक्ट होना चाहिए
- केवल सुप्रचलित संक्षिप्त शब्दों का ही प्रयोग शीर्षक में होना चाहिए, अप्रचलित का नहीं
- शीर्षक में है, हैं, था, थे आदि शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
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गुजरात को भी काबू करने उतरेगी दिल्ली
शेयर बाजार धडाम
दाल में नरमी चीनी में गरमी
आमुख या इंट्रो या लीड
समाचार का पहला आकर्षण उसका शीर्षक होता है। शीर्षक के बाद जो पहला अनुच्छेद होता है उसे आमुख या इंट्रो(अंग्रेजी के इंट्रोडक्शन का संक्षित रूप) कहते हैं। पहला अनुच्छेद और बाद के दो-तीन अनुच्छेदों को मिलाकर समाचार प्रवेश होता है जिसे अंग्रेजी में ‘लीड’ नाम दिया गया है।शीर्षक द्वारा जो आकर्षण पाठक के मन में पैदा हुआ, यदि समाचार का प्रथम अनुच्छेद उसे बनाए नहीं रख सका तो समाचार की सार्थकता संदिग्ध हो जाती है। पहला पैराग्राफ समाचार की खिड़की की तरह होता है। पहले पैराग्राफ को पढ़ने के बाद यदि पाठक में आगे पढ़ने की जिज्ञासा जमी तो वह पूरा समाचार बिना रूके पढ़ा जायेगा। इंट्रो की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए। इंट्रो लिखते समय खंड वाक्यों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कम से कम “ाब्दों में अधिक से अधिक संदेश पहुंचाने में ही इटं्रो की सफलता निहित है।
समाचार पत्रों के भी अपने अपने दृष्टिकोण होते हैं और इसलिए एक ही समाचार को विभिन्न पत्र अलग अलग लीड देकर प्रकाशित करते हैं। फिर भी समाचार लेखन में अच्छे इंट्रो या लीड के कुछ सामान्य मापदंड हैं, जिन्हें सर्वत्र अपनाया जाना चाहिए-
- उसे समाचार के अनुकूल होना चाहिए। यदि समाचार किसी गंभीर या दुखांत घटना का है तो लीड में छिछोरापन नहीं होना चाहिए। मानवीय रुचि या हास्यास्पद घटनाओ के समाचारों की लीड गंभीर न होकर हल्की होनी चाहिए, उसे हास्य रस का पुट देकर लिखा जाए तो और भी अच्छा है।
- उसमें समाचारों की सबसे महत्वपूर्ण या सर्वाधिक रोचक बात तो आ जानी चाहिए।
- लीड यथासंभव संक्षित हाने चाहिए। संक्षित लीड पढ़ने में तो आसानी हाते ी है उसमें सप्रेंषणीयता भी अधिक होती है।
विवरण
उपयुक्त और शीर्षक और अच्छा आमुख या इंट्रो लिखे जाने के बाद समाचारों की शेष रचना सरल जरूर हो जाता है, लेकिन सही इंट्रो लिख देने से ही पत्रकार की संपूर्ण दक्षता का परीक्षण समाप्त नहीं हो जाता। यदि आपका इंट्रो ने पाठक के मन में पूरी खबर पढ़ने की रुचि पैदा की है तो उसे समाचार के अंत तक ले जाना भी आपका काम है। अत: समाचार इस प्रकार लिखा जाना चाहिए कि पाठक उसे अद्योपांत पढ़े और पढ़ने के बाद उसे पढ़ने का पूर्ण संतोष मिले।समाचार उल्टा पिरामिड के समान होता है जिसका चौड़ा भाग ऊपर और पतला भाग नीचे होता है। समाचार लेखन में सबसे पहले महत्वपूर्ण तथ्यों को समेटा जाता है फिर धीरे धीरे कम महत्वपूर्ण तथ्य सामने आते हैं। यह पत्रकारिता की दृश्टि से भी सहायक तरीका है। कभी कभी समाचार प्रकाशन करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होता है तो समाचार को आसानी से काटा जा सकता है, जिसका पूरे समाचार की समग्रता पर बहुत कम असर पड़ता है। समाचार लिखते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए-
(क) सरलता (ख) सुस्पष्टता (ग) तारतस्य (घ) छह ककारो के उत्तर (ड) आवश्यक पृष्ठभूमि (च) विषयानुकूल भाषा समाचार में अनुच्छेदों का आकार छोटा रखा जाना चाहिए।
इससे पठनीयता बढ़ती है और समाचार रोचक और अच्छा लगता है। एक ही प्रकार के शब्दों या वाक्य खंडों का बार-बार प्रयोग नहीं करना चाहिए। ‘कहा’, ‘बताया’, ‘मत व्यक्त किया’, ‘उनका विचार था’ आदि शब्दों और खंड वक्यों का भाव के अनुरूप बदल बदलकर प्रयोग करना चाहिए।
समाचार का समापन करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि न सिर्फ उस समाचार के प्रमुख तथ्य आ गये हैं बल्कि समाचार के मुखड़े और समापन के बीच एक तारतम्यता भी होनी चाहिये समाचार में तथ्यों और उसके विभिन्न पहलुओं को इस तरह से पेश करना चाहिये कि उससे पाठक को किसी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिले।
समाचार का समापन करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि न सिर्फ उस समाचार के प्रमुख तथ्य आ गये हैं बल्कि समाचार के मुखड़े और समापन के बीच एक तारतम्यता भी होनी चाहिये समाचार में तथ्यों और उसके विभिन्न पहलुओं को इस तरह से पेश करना चाहिये कि उससे पाठक को किसी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिले।
समाचार लेखन के सूत्र
विज्ञान विषय की तरह समाचार लिखने का एक सूत्र है। इसे उल्टा पिरामिड सिद्धांत कहा जाता है। यह समाचार लेखन का सबसे सरल, उपयोगी और व्यावहारिक सिद्धांत है। समाचार लेखन का यह सिद्धांत कथा या कहनी लेखन की प्रक्रिया के ठीक उलटा है। इसमें किसी घटना, विचार या समस्या के सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों या जानकारी को सबसे पहले बताया जाता है, जबकि कहनी या उपन्यास में क्लाइमेक्स सबसे अंत में आता है। इसे उल्टा पिरामिड इसलिये कहा जाता है क्योंकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य या सूचना पहले बताना पड़ता है। इसके बाद घटते हुये क्रम में सबसे कम महत्व की सूचनाये सबसे निचले हिस्से में होती हैं।समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के तहत लिखे गये समाचारों को सुविधा की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन हिस्सों में विभाजित किया जाता है-मुखड़ा या इंट्रो या लीड, बाडी या विवरण और निष्कर्ष या पृष्ठभूमि। इसमें मुखड़ा या इंट्रो समाचार के पहले और कभी-कभी पहले और दूसरे दोनों पैराग्राफ को कहा जाता है। मुखड़ा किसी भी समाचार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों और सूचनाओं को लिखा जाता है। इसके बाद समाचार की बाडी आती है, जिसमें महत्व के अनुसार घटते हुये क्रम में सूचनाओं का ब्यौरा देने के अलावा उसकी पृष्ठभूमि का भी जिक्र किया जाता है।
समाचार लिखने का दूसरा सूत्र है छ ‘क’ कार - क्या, कहां, कब, कौन, क्यों और कैसे का समावेश अनिवार्य है। क्योंकि समाचार में पाठकों की जिज्ञासा जैसे कौन, क्या, कब, कहां, क्यों आरै कैसे प्रश्नों का उत्तर देना होता है।
अच्छे समाचार लेखन की विशेषताएं
एक अच्छे पत्रकार के लिए यह जानना आवश्यक है कि सिर्फ घटनाओं का उसी रूप में प्रस्तुत कर दिया जाना काफी नहीं होता है आज के समाचार पत्र किसी समाचार की पृष्ठभूमि को काफी महत्व प्रदान करते हैं क्योंिक समाचारपत्रों द्वारा दी गई सूचनाओ पर व्यक्ति की निर्भरता में निरंतर वृद्धि हुई है। इसलिए शुद्ध और सटिक रिपोटिर्ंग की आवश्यकता बढ़ी है। अत: समाचार लिखना भी एक कला है। इस कला में प्रवीण होने के लिए कई चीजो पर ध्यान देना होता तब जाकर कोई समाचार श्रेष्ठ समाचार की श्रेणी में आता है।किसी सूचना को सर्वश्रेष्ठ समाचार बनने के गुण कौन, क्या, कब, कहां, क्यों और कैसे के प्रश्नों में छिपा हुआ रहता है। पत्रकारिता में इसे छ ‘क’ कार कहा जाता है। यह छह ककार (’’क’’ अक्षर से शुरू होनेवाले छ प्रश्न) समाचार की आत्मा है। समाचार में इन तत्वों का समावेश अनिवार्य है। इन छह सवालों के जवाब में किसी घटना का हर पक्ष सामने आ जाता है। और समाचार लिखते वक्त इन्हीं प्रश्नो का उत्तर पत्रकार को तलाशना होता है और पाठकों तक उसे उसके सपूंर्ण अर्थ में पहुचं ाना होता है। जैसे
- क्या- क्या हुआ? जिसके संबंध में समाचार लिखा जा रहा है।
- कहां- कहां? ‘समाचार’ में दी गई घटना का संबंध किस स्थान, नगर, गांव प्रदेश या देश से है।
- कब- ‘समाचार’ किस समय, किस दिन, किस अवसर का है।
- कौन- ‘समाचार’ के विषय (घटना, वृत्तांत आदि) से कौन लोग संबंधित हैं।
- क्यो- ‘समाचार’ की पृष्ठभूमि।
- कैसे- ‘समाचार’ का पूरा ब्योरा।
दूसरी विशेषता है समाचार में तथ्य के साथ नवीनता हो। साथ ही यह समसामयिक होते हुए उसमें जनरुचि होना चाहिए। समाचार पाठक/दर्शक/श्रोता के निकट यानी की उससे जुड़ी कोई चीज होनी चाहिए। इसके साथ साथ यह व्यक्ति, समूह एवं समाज तथा देश को प्रभावित करने में सक्षम होना चाहिए। पाठक वर्ग की समस्या, उसके सुख दुख से सीधे जुड़ा हुआ हो। समाचार समाचार संगठन की नीति आदर्श का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। सामान्य से हटकर कुछ नया होना चाहिए और व्यक्ति, समाज, समूह एवं देश के लिए कुछ उपयोगी जानकारियां होनी चाहिए। उपरोक्त कुछ तत्वों में से कुछ या सभी होने से वह समाचार सर्वश्रेष्ठ की श्रेणी में आता है।
तीसरी विशेषता है समाचारों की भाषा, वाक्य विन्यास और प्रस्तुतीकरण ऐसा हो कि उन्हें समझने में आम पाठक को कोई असुि वधा या मुश्किल या खीज न हो। क्योंकि आमतौर पर कोई भी पाठक/दर्शक/श्रोता हाथ में शब्दकोष लेकर समाचार पत्र नहीं पढ़ता है या देखता है या सुनता है। समाचार सरल भाषा, छोटे वाक्य और संक्षिप्त पैरागा्रफ में लिखे जाने चाहिए। पत्रकार को अपने पाठक समुदाय के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। दरअसल एक समाचार की भाषा का हर शब्द पाठक के लिए ही लिखा जा रहा है और समाचार लिखने वाले को पता होना चाहिए कि वह जब किसी शब्द का इस्तेमाल कर रहा है तो उसका पाठक वर्ग इससे कितना वाकिफ है और कितना नहीं।
चौथी विशेषता है, समाचार लिखे जाने का उल्टा पिरामिड सिद्धांत को अपनाना चाहिए। इस शैली में समाचार में सबसे पहले मुखड़ा या इंट्रो या लीड होता है। दूसरे क्रम में समाचार की बाडी होती है जिसमें घटते हुए क्रम में सूचनाओं का विवरण दिया जाता है। इसका अनुपालन कर समाचार लिखे जाने से समाचार सर्वश्रेष्ठ समाचार की श्रेणी में गिना जाता है।
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समाचार
Do's and don'ts of newspaper editing
ReplyDeleteGive me some brief of media ethics
ReplyDeleteGood-Information
ReplyDeleteBadiya
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