आज ‘समाचार’ शब्द हमारे लिए कोई नया शब्द नहीं है। मनुष्य ने
घटनाओं के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए प्राचीन काल से ही तमाम
तरह के तरीकों, विधियों और माध्यमों को खोजा आरै विकसित किया। पत्र के
जरिए समाचार प्राप्त करना इन माध्यमों में सर्वाधिक पुराना माध्यम है जो लिपि
और डाक व्यवस्था के विकसित होने के बाद अस्तित्व में आया। पत्र के जरिए
अपने मित्रों और शुभाकांक्षियों को अपना समाचार देना और उनका
समाचार पाना आज भी मनुष्य के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है।
समाचार
पत्र, रेडियो, टेलीविजन समाचार प्राप्ति के आधुनिक साधन हैं जो मुद्रण,
रेडियो और टेलीविजन जैसी वैज्ञानिक खोज के बाद अस्तित्व में आए हैं। तो
आइए समाचार का अर्थ, परिभाषा, तत्व एवं प्रकार के बारे में विस्तार से जानें।
समाचार का अर्थ
समाचार शब्द अंग्रेजी शब्द ‘न्यूज’ का हिन्दी अनुवाद है। शब्दार्थ की „ दृष्टि से ‘न्यूज’ शब्द अग्रेंजी के जिन चार अक्षरों से बनता है उनमें ‘एन’, ‘ई’, ‘डब्ल्यू’, ‘एस’ है। यह चार अक्षर ‘नार्थ’ उत्तर, ‘ईष्ट’ पूर्व, ‘वेस्ट’ पश्चिम और ‘साउथ’ दक्षिण के संकेतक हैं। इस तरह ‘न्यूज’ का भाव चतुर्दिक में उसकी व्यापकता से है।अगर न्यूज को अंग्रेजी शब्द ‘न्यू’ के बहुबचन के रूप में देखा
जा सकता है जिसका अर्थ ‘नया’ होता है। यानी समाज में चारों आरे जो कुछ
नया, सामयिक घटित हो रहा है, उसका विवरण या उसकी सूचना समाचार
कहलाता है।
यहां उल्लेखनीय है कि कोई भी घटना स्वयं में समाचार नहीं
होती है, बल्कि उस घटना का वह विवरण जो समाचार पत्रो या अन्य माध्यमों से पाठकों या श्रोताओं तक पहुंचता है तो समाचार कहलाता है।
समाचार की परिभाषा
समाचार की परिभाषा कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाओं का उल्लेख किया जा रहा है :विलियम जी ब्लेयर:- किसी सामयिक घटना का विवरण जिसका किसी समाचार पत्र के संपादकीय विभाग ने संपादन कर्मियों द्वारा चयन किया गया हो, क्योंकि वह पाठकों के लिए रुचिकर एवं महत्वपूर्ण है, अथवा उसे बनाया गया है।
हार्पर लीच:- और जान सी कैरोल समाचार एक गतिशील साहित्य है।
जान बी बोगार्ट:- जब कुत्ता आदमी को काटता है तो वह समाचार नहीं है परंतु यदि कोई आदमी कुतते को काट ले तो वह समाचार होगा।
जे जे सिडलर:- पर्याप्त संख्या में मनुष्य जिसे जानना चाहे, वह समाचार है शर्त यह है कि वह सुरूचि तथा प्रतिष्ठा के नियमों का उल्लंघन न करे।
डा. निशांत सिंह:- किसी नई घटना की सूचना ही समाचार है
केपी नारायणन:- समाचार किसी सामयिक घटना का महत्वपूर्ण तथ्यों का परिशुद्ध तथा निष्पक्ष विवरण होता है जिससे उस समाचारपत्र में पाठकों की रूचि होती है जो इस विवरण को प्रकाशित करता है।
भारतीय विद्वानों ने समाचार की परिभाषा में लगभग एक सी बात कही है। डा. निशांत सिंह एवं नवीन चंद्र पंत ने नई घटना को समाचार माना है।
नंद किशोर त्रिखा ने जिस घटना के साथ लोगों की रूचि हो उसे समाचार माना है। संजीव भवावत ने भी घटना की असाधारण की सूचना को समाचार माना है।
नवीन चंद्र पंत:- किसी घटना की नई सूचना समाचार है।
नंद किशोर त्रिखा:- किसी घटना या विचार जिसे जानने की अधिकाधिक लोगों की रुचि हो समाचार है।
संजीव भवावत:- किसी घटना की असाधारणता की सूचना समाचार है
रामचंद्र वर्मा:- ऐसी ताजा या हाल की घटना की सूचना जिसके संबंध में लोगों को जानकारी न हो समाचार है।
सुभाष धूलिआ:- समाचार ऐसी सम सामयिक घटनाओं, समस्याओं और विचारों पर आधारित होते हैं जिन्हें जानने की अधिक से अधिक लोगों में दिलचस्पी होती है और जिनका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता है।
मनुकोडां चेलापति राव:- समाचार की नवीनता इसी में है कि वह परिवर्तन की जानकारी दे। वह जानकारी चाहे राजनीतिक, सामाजिक अथवा आर्थिक कोई भी हो। परिवर्तन में भी उत्तेजना होती है।
रामचंद्र वर्मा ने घटना की सूचना जिसका लोगों से संबंधित हो को समाचार माना है। सुभाष धूलिआ ने सामयिक घटना, विचार जिसका अधिक से अधिक लोगों से संबंधित हो तो मनुकोडां चेलापति राव ने नवीनता लिए कोई भी विषय हो समाचार माना है जो परिवर्तन को सूचित करता है।
केपी नारायणन ने निष्पक्ष होकर किसी सामयिक घटना को पाठकों की रूचि अनुसार पेश करना ही समाचार है। इस तरह विभिन्न विद्वानों ने समाचार की परिभाषा अपने हिसाब से दिया है।
नवीन चंद्र पंत:- किसी घटना की नई सूचना समाचार है।
नंद किशोर त्रिखा:- किसी घटना या विचार जिसे जानने की अधिकाधिक लोगों की रुचि हो समाचार है।
संजीव भवावत:- किसी घटना की असाधारणता की सूचना समाचार है
रामचंद्र वर्मा:- ऐसी ताजा या हाल की घटना की सूचना जिसके संबंध में लोगों को जानकारी न हो समाचार है।
सुभाष धूलिआ:- समाचार ऐसी सम सामयिक घटनाओं, समस्याओं और विचारों पर आधारित होते हैं जिन्हें जानने की अधिक से अधिक लोगों में दिलचस्पी होती है और जिनका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता है।
मनुकोडां चेलापति राव:- समाचार की नवीनता इसी में है कि वह परिवर्तन की जानकारी दे। वह जानकारी चाहे राजनीतिक, सामाजिक अथवा आर्थिक कोई भी हो। परिवर्तन में भी उत्तेजना होती है।
रामचंद्र वर्मा ने घटना की सूचना जिसका लोगों से संबंधित हो को समाचार माना है। सुभाष धूलिआ ने सामयिक घटना, विचार जिसका अधिक से अधिक लोगों से संबंधित हो तो मनुकोडां चेलापति राव ने नवीनता लिए कोई भी विषय हो समाचार माना है जो परिवर्तन को सूचित करता है।
केपी नारायणन ने निष्पक्ष होकर किसी सामयिक घटना को पाठकों की रूचि अनुसार पेश करना ही समाचार है। इस तरह विभिन्न विद्वानों ने समाचार की परिभाषा अपने हिसाब से दिया है।
समाचार के तत्व
समाचार के मूल में सूचनाएं होती है। और यह सूचनाएं समसामयिक
घटनाओं की होती है। पत्रकार उस घटित सूचनाओं को एकत्रित कर समाचार
के प्रारूप में ढालकर पाठकों की जिज्ञासा को पूर्ति करने लायक बनाता है।
पाठकों की जिज्ञासा हमेशा ही कौन, क्या, कब, कहां, क्यों और कैसे प्रश्नों
का उत्तर उस समाचार में ढूंढने की कोशिश करता है। ले
किन समाचार
लिखते समय इन्हीं प्रश्नों का उत्तर तलाशना आरै पाठकों तक उसके संपूर्ण
अर्थ में पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती का कार्य होता है।
छ ‘क’ कार
समाचार के अर्थ में हमने देखा समाचार का स्वरूप क्या है। उसके
प्रमुख तत्वों को आसानी से समझा जा सकता है। शुष्क तथ्य समाचार नहीं
बन सकते पर जो तथ्य आम आदमी के जीवन आरै विचारों पर प्रभाव डालते
हैं उसे पसंद आते हैं और आंदोलित करते हैं, वे ही समाचार बनते हैं।
समाचार के इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए समाचार में छह तत्वों का
समावेश अनिवार्य माना जाता है । ये हैं-क्या, कहां, कब, कौन, क्यो और
कैसे।
अंग्रेजी में इन्हें पांच ‘डब्ल्यू’, हू, वट, व्हेन, व्हाइ वºे अर और एक ‘एच’
हाउ कहा जाता है। इन छह सवालों के जवाब में किसी घटना का हर पक्ष
सामने आ जाता है लेकिन समाचार लिखते वक्त इन्हीं प्रश्नों का उत्तर
तलाशना आरै पाठको तक उसे उसके संपूर्ण अर्थ में पहुंचाना सबसे बड़ी
चुनौती का कार्य है। यह एक जटिल प्रक्रिया है।
- क्या - क्या हुआ? जिसके संबंध में समाचार लिखा जा रहा है।
- कहां - कहां? ‘समाचार’ में दी गई घटना का संबंध किस स्थान, नगर, गांव प्रदेश या देश से है।
- कब - ‘समाचार’ किस समय, किस दिन, किस अवसर का है।
- कौन - ‘समाचार’ के विषय (घटना, वृत्तांत आदि) से कौन लोग संबंधित हैं।
- क्यों - ‘समाचार’ की पृष्ठभूमि।
- कैसे - ‘समाचार’ का पूरा ब्योरा।
समाचार लेखन की प्रक्रिया
उल्टा पिरामिड सिद्धांत समाचार लेखन का बुनियादी सिद्धांत है। यह
समाचार लेखन का सबसे सरल, उपयोगी और व्यावहारिक सिद्धांत है।
समाचार लेखन का यह सिद्धांत कथा या कहनी लेखन की प्रक्रिया के ठीक
उलट है। इसमें किसी घटना, विचार या समस्या के सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों या
जानकारी को सबसे पहले बताया जाता है, जबकि कहनी या उपन्यास में
क्लाइमेक्स सबसे अंत में आता है। इसे उल्टा पिरामिड इसलिये कहा जाता है
क्योंकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य या सूचना सबसे पहले आती है जबकि
पिरामिड के निचले हिस्से में महत्वपूर्ण तथ्य या सूचना होती है। इस शैली में
पिरामिड को उल्टा कर दिया जाता है।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण सूचना पिरामिड
के सबसे उपरी हिस्से में होती है आरै घटते हुये क्रम में सबसे कम महत्व की
सूचनाये सबसे निचले हिस्से में होती है।
समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के तहत लिखे गये समाचारो के सुविधा की दृष्टि से मुख्यत: तीन हिस्सों में विभाजित किया जाता
है-मुखड़ा या इंट्रो या लीड, बाडी और निष्कर्ष या समापन। इसमें मुखड़ा या
इटं्रो समाचार के पहले आरै कभी-कभी पहले और दूसरे दोनों पैरागा्रफ को
कहा जाता है। मुखड़ा किसी भी समाचार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है
क्योंकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों आरै सूचनाओं को लिखा जाता है। इसके
बाद समाचार की बाडी आती है, जिसमें महत्व के अनुसार घटते हुये क्रम में
सूचनाओं और ब्यौरा देने के अलावा उसकी पृष्ठभूमि का भी जिक्र किया जाता
है। सबसे अंत में निष्कर्ष या समापन आता है।
समाचार लेखन में निष्कर्ष जैसी कोई चीज नहीं होती है और न ही समाचार
के अंत में यह बताया जाता है कि यहां समाचार का समापन हो गया है।
मुखड़ा या इंट्रो या लीड
उल्टा पिरामिड शैली में समाचार लेखन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू
मुखड़ा लेखन या इंट्रो या लीड लेखन है। मुखड़ा समाचार का पहला पैराग्राफ
होता है जहां से कोई समाचार शुरु होता है। मुखड़े के आधार पर ही
समाचार की गुणवत्ता का निर्धारण होता है।
एक आदर्श मुखड़ा में किसी समाचार की सबसे महत्वपूर्ण सूचना आ
जानी चाहिये आरै उसे किसी भी हालत में 35 से 50 शब्दो से अधिक नहीं
होना चाहिये किसी मुखड़े में मुख्यत: छह सवाल का जवाब देने की कोशिश
की जाती है - क्या हुआ, किसके साथ हुआ, कहां हुआ, कब हुआ, क्यों और
कैसे हुआ है। आमतौर पर माना जाता है कि एक आदर्श मुखड़े में सभी छह
ककार का जवाब देने के बजाये किसी एक मुखड़े को प्राथमिकता देनी
चाहिये। उस एक ककार के साथ एक-दो ककार दिये जा सकते हैं।
बाडी
समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड लेखन शैली में मुखड़े में उल्लिखित
तथ्यों की व्याख्या और विश्लेषण समाचार की बाडी में होती है। किसी समाचार
लेखन का आदर्श नियम यह है कि किसी समाचार को ऐसे लिखा जाना
चाहिये, जिससे अगर वह किसी भी बिन्दु पर समाप्त हो जाये तो उसके बाद
के पैराग्राफ में एसे ा कोई तथ्य नहीं रहना चाहिये जो उस समाचार के बचे
हुऐ हिस्से की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण हो। अपने किसी भी समापन बिन्दु
पर समाचार को पूर्ण, पठनीय और प्रभावशाली होना चाहिये।
समाचार की बाडी
में छह ककारो में से दो क्यो और कैसे का जवाब देने की कोशिश की जाती
है। कोई घटना कैसे और क्यो हुई, यह जानने के लिये उसकी पृष्ठभूमि,
परिपेक्ष्य और उसके व्यापक संदभेर्ं को खंगालने की कोशिश की जाती है।
इसके जरिये ही किसी समाचार के वास्तविक अर्थ और असर को स्पष्ट किया
जा सकता है।
निष्कर्ष या समापन
समाचार का समापन करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि न सिर्फ
उस समाचार के प्रमुख तथ्य आ गये हैं बल्कि समाचार के मुखड़े और समापन
के बीच एक तारतम्यता भी होनी चाहिये समाचार में तथ्यो और उसके
विभिन्न पहलुओं को इस तरह से पेश करना चाहिये कि उससे पाठक को
किसी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिले।
भाषा और शैली
पत्रकार के लिए समाचार लेखन और संपादन के बारे में जानकारी होना
तो आवश्यक है। इस जानकारी को पाठक तक पहुंचाने के लिए एक भाषा की
जरूरत होती है। आमतौर पर समाचार लोग पढ़ते हैं या सुनते-देखते हैं वे
इनका अध्ययन नहीं करते। हाथ में शब्दकोश लेकर समाचारपत्र नहीं पढ़े
जाते। इसलिए समाचारों की भाषा बोलचाल की होनी चाहिए। सरल भाषा,
छोटे वाक्य और संक्षिप्त पैराग्राफ। एक पत्रकार को समाचार लिखते वक्त इस
बात का हमेशा ध्यान रखना होगा कि भले ही इस समाचार के
पाठक/उपभोक्ता लाखों हों लेकिन वास्तविक रूप से एक व्यक्ति अकले े ही इस
समाचार का उपयोग करेगा।
Samachar ki lokpriya shaili kon si hai
ReplyDeleteमीडिया एवं प्रिंट मीडिया
DeleteSir patrakarita ke tatv babaiye
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