अनुक्रम
1992 में संविधान के 74वें संशोधन के माध्मय से पुन: नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को निर्णय
लेने के स्तर पर सक्रिय व प्रभावशाली भागीदारी बनाने का प्रयास किया गया है। इसके माध्यम से
नगर निकायों (नगर निगम, नगर पलिका, नगर पंचायतों) में शहरी लोगों की भागीदारी बढ़ाने के
साथ-साथ यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि अब शहरों, नगरों, मोहल्लों की भलाई उनके हित
व विकास संबंधी मुद्दों पर निर्णय लेने अधिकार केवल सरकार के हाथ में नहीं है। 74वें संशोधन
ने आम जन समुदाय की भागीदारी को स्थानीय स्वशासन में सुनिश्चित किया है। नगरीय निकायों
को मिले अधिकारों एवं दायित्वों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि योजनाओं के निमार्ण एवं
क्रियान्वयन का दायित्व नगरीय निकायों को होगा, यही नहीं केन्द्र एवं राज्य की योजनाओं का
क्रियान्वयन भी नगर निकायों के माध्यम से किया जायेगा। यहां इस बात को भी सुनिश्चित किया
गया है कि योजना निमार्ण प्रक्रिया नीचे से ऊपर की ओर चले। जिससे आम जन समुदाय अपनी
प्राथमिकता के अनुसार योजनाओं के निमार्ण व क्रियान्वयन में अपनी प्रभावशाली भागीदारी निभा
सके।
नगरों की उचित व्यवस्था व नागरिकों के सामाजिक व आर्थिक विकास हेतु सरकार द्वारा कई प्रकार की योजनाओं का निर्माण व क्रियान्वयन किया जा रहा है। नगर विकास की इन योजनाओं की जानकारियां आम नागरिक को होनी अत्यधिक आवश्यक है तभी वह इन योजनाओं में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेगा ओैर योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति को मिल पायेगा।
स्वर्ण जयन्ती शहरी विकास योजना के अन्तर्गत पूर्ण एवं आंशिक रूप से बेरोजगार व्यक्ति पात्र है। विशेष रूप से निर्धन महिलाओं के समग्र एवं सर्वागींण विकास एवं उनके सुदृढ़ीकरण करने हेतु समाजिक सशक्तीकरण एवं महिला समूहों की सहभागिता को प्रोत्साहित करते हुए महिलाओं को लाभान्वित किया जाता है, साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा विकलांगों के विकास के संबंध में भी विशेष बल दिया जाता है। स्वर्ण-जयंती शहरी विकास योजना केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकार द्वारा वित्त पोशित योजना है जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध करायी जाती है।
नगरीय क्षेत्र की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धन व्यक्ति (महिला एवं पुरूष)। नगरीय क्षेत्रों में मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धनतम व्यक्तियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम वर्ष 1996-97 में प्रारम्भ किया गया।
इस योजना के अन्र्तगत निम्न लिखित मूलभूत भौतिक सुविधाओं का प्रावधान है -
नगरों की उचित व्यवस्था व नागरिकों के सामाजिक व आर्थिक विकास हेतु सरकार द्वारा कई प्रकार की योजनाओं का निर्माण व क्रियान्वयन किया जा रहा है। नगर विकास की इन योजनाओं की जानकारियां आम नागरिक को होनी अत्यधिक आवश्यक है तभी वह इन योजनाओं में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेगा ओैर योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति को मिल पायेगा।
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना (एस.जे.एस.आर.वाई.)
स्वर्ण जयन्ती शहरी विकास योजना भारत सरकार द्वारा संचालित योजना है जिसे नेहरू रोजगार योजना, यू बी.एस.पी तथा पी.एम.आई.यू.पी. आदि योजनाओं को एकीकृत कर उसमें कुछ नये कार्यकलापों को शामिल करते हुए तैयार की गई है। यह योजना एक बहुआयामी योजना है जिसका उद्देश्य नगरीय क्षेत्र के निर्धन बेरोजगार अथवा आंशिक बेरोजगार व्यक्तियों को स्वरोजगार उद्यम अथवा मजदूरी रोजगार के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना है। रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ इस योजना के माध्यम से सामुदायिक सम्पत्तियों का सृजन भी किया जाता है। स्वर्ण जयन्ती शहरी विकास योजना जन सहभागिता के सिद्धान्त पर आधारित है जिसके अन्र्तगत समुदाय का सशक्तिकरण कर उन्हें नियोजन और अनुश्रवण की प्रक्रिया से जोड़ना प्राथमिकता से रखा गया है। इस योजना में सामुदायिक विकास समिति (सी.डी.एस) को केन्द्र बिन्दु मानकर इसके माध्यम से लाभार्थियों का चयन, परियोजना का चयन, प्रार्थना-पत्रों को तैयार करना तथा वसूली का अनुसरण किया जा रहा है।स्वर्ण जयन्ती शहरी विकास योजना के अन्तर्गत पूर्ण एवं आंशिक रूप से बेरोजगार व्यक्ति पात्र है। विशेष रूप से निर्धन महिलाओं के समग्र एवं सर्वागींण विकास एवं उनके सुदृढ़ीकरण करने हेतु समाजिक सशक्तीकरण एवं महिला समूहों की सहभागिता को प्रोत्साहित करते हुए महिलाओं को लाभान्वित किया जाता है, साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा विकलांगों के विकास के संबंध में भी विशेष बल दिया जाता है। स्वर्ण-जयंती शहरी विकास योजना केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकार द्वारा वित्त पोशित योजना है जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध करायी जाती है।
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना की उपयोजनायेंं
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना में मुख्य रूप में निम्न 6 उपयोजनायें सम्मिलित की गई हैं।- नगरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यू.एस.ई.पी.)
- स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम
- नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम (यू.डब्लू.ई.पी)
- नगरीय क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास (डवाकुआ)
- ऋण बचत समूह (थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी)
- सोशल सेक्टर (साामाजिक क्षेत्र)
राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम
- नगरीय क्षेत्रों में मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धन व्यक्तियों का सामाजिक विकास करना।
- नगरीय क्षेत्रों में मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धनतम व्यक्तियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना।
- मलिन बस्तियों को आदर्श मलिन बस्ती के रूप में स्थापित करना।
नगरीय क्षेत्र की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धन व्यक्ति (महिला एवं पुरूष)। नगरीय क्षेत्रों में मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धनतम व्यक्तियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम वर्ष 1996-97 में प्रारम्भ किया गया।
इस योजना के अन्र्तगत निम्न लिखित मूलभूत भौतिक सुविधाओं का प्रावधान है -
- जलापूर्ति, जल निकासी हेतु नाली का निर्माण
- स्नानगृह का निर्माण, सड़कों व गलियों को चौड़ा किया जाना
- सीवर व्यवस्था
- सामुदायिक शौचालय
- पथ-प्रकाश व्यवस्था
- सामुदायिक केन्द्रों का निर्माण
- आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों के लिए भवनों के निर्माण की व्यवस्था एवं आश्रय सुधार
- क्षेत्र के मलिन बस्तियों में रहने वालों को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना,
- टीकाकरण
राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर
पंचायत/नगर पालिका परिषद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास
अभिकरण कार्यालय (जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है) से
पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरांत आवश्यक
दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में
जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) को अस्पृश्यता निवारण एवं मानव अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने तथा नगरों में स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए शुष्क शौचालयों को सस्ते जल प्रवाहित शौचालयों में परिवर्तित किये जाने के साथ मानव द्वारा मानव मल उठाये जाने की घृणित कुप्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना शुरू की गयी है। उक्त योजना के अन्तर्गत उत्तरांचल के शहरी क्षेत्रों में ऐसी समस्त बस्तियों में जिसमें शौचालय नहीं है अथवा शुष्क शौचालय है उसमें व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण कराया जायेगा। इस योजना के अन्तर्गत सस्ते जल प्रवाहित व्यक्तिगत शौचालय निमार्ण हेतु शौचालय के कुल निर्माण लागत का 45 प्रतिशत भारत सरकार से सब्सिडी (अनुदान) के रूप में दिया जाएगा, 5 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था लाभाथ्र्ाी द्वारा स्वयं की जाएगी, तथा 50 प्रतिशत हाउसिंग डेवलेपमेंट कॉपोर्र ेशन (हडको) के माध्यम से ऋण के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। इस ऋण की अदायगी लाभाथ्र्ाी द्वारा 10 प्रतिशत ब्याज सहित आसान किस्तों में की जायेगी।
कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगर पालिका परिषद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय (जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है) से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरांत आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
बाल्मीकि अम्बेडकर मलिन बस्ती आवास योजना (वैम्बे) के अन्तर्गत पहली प्राथमिकता गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार को दी जाती है। लाभाथ्र्ाी का चयन जिला नगरीय विकास अभिकरण द्वारा सम्बन्धित स्थानीय निकायों (नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत) के सहयोग से किया जायेगा। चयन में ऐसे परिवारों को प्राथमिकता दी जायेगी, जिसकी मुखिया महिला होगी। भूमि/आवास पति-पत्नी दोनों के नाम से या केवल पत्नी के नाम से होना चाहिए। वाल्मीकि अम्बेडकर मलिन बस्ती आवास योजना (वैम्बे) में लाभार्थियों को योजना में आरक्षण की व्यवस्था भी की गई है ताकि समाज के उपेक्षित वर्ग को योजना का पूरा-पूरा लाभ मिल सके। आरक्षण की व्यवस्था निम्न है -
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत निर्धन पात्र लाभार्थियों को आवश्यकतानुसार सम्बन्धित स्वरोजगार में प्रशिक्षण दिलाये जाने का प्रावधान स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत किया गया है। जिनकी व्यवस्था जिला शहरी विकास अभिकरण (डूडा) द्वारा आई.टी.आई. /राजकीय संस्थान/सामुदायिक विकास समितियों के माध्यम से की जाती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम कम से कम 3 माह तथा अधिक से अधिक 6 माह तक की अवधि के होते हैं इस अवधि के दौरान कम से कम 300 घंटे प्रशिक्षण होना अनिवार्य है।
प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को रू0 100/- प्रतिमाह छात्रवृत्ति के रूप में भी दी जाती है तथा रू0 600/- मूल्य का प्रशिक्षण किट उपलब्ध कराया जाता है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रत्येक प्रशिक्षणाथ्र्ाी के कौशल विकास हेतु रू0 2000/- प्रति व्यय किया जाता है। स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम (यू.डब्लू.ई.पी.) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
नगरीय क्षेत्र में महिला एवं विकास (डवाकुआ) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
ऋण बचत समूह (थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस)
- सिर पर मैला ढ़ोने की घृणित कुप्रथा समाप्त करना।
- अस्पृश्यता निवारण एवं मानव अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना।
- नगरों में स्वच्छ वातावरण प्रदान करना।
- शुष्क शौचालयों को सस्ते जल प्रवाहित शौचालयों में परिवर्तित करना।
कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) को अस्पृश्यता निवारण एवं मानव अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने तथा नगरों में स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए शुष्क शौचालयों को सस्ते जल प्रवाहित शौचालयों में परिवर्तित किये जाने के साथ मानव द्वारा मानव मल उठाये जाने की घृणित कुप्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना शुरू की गयी है। उक्त योजना के अन्तर्गत उत्तरांचल के शहरी क्षेत्रों में ऐसी समस्त बस्तियों में जिसमें शौचालय नहीं है अथवा शुष्क शौचालय है उसमें व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण कराया जायेगा। इस योजना के अन्तर्गत सस्ते जल प्रवाहित व्यक्तिगत शौचालय निमार्ण हेतु शौचालय के कुल निर्माण लागत का 45 प्रतिशत भारत सरकार से सब्सिडी (अनुदान) के रूप में दिया जाएगा, 5 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था लाभाथ्र्ाी द्वारा स्वयं की जाएगी, तथा 50 प्रतिशत हाउसिंग डेवलेपमेंट कॉपोर्र ेशन (हडको) के माध्यम से ऋण के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। इस ऋण की अदायगी लाभाथ्र्ाी द्वारा 10 प्रतिशत ब्याज सहित आसान किस्तों में की जायेगी।
कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगर पालिका परिषद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय (जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है) से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरांत आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
बाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना
बाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना (वैम्बे) का उद्देश्य नगरीय क्षेत्र अन्तर्गत निवासरत ऐसे गरीब व्यक्तियों को आवासों का निर्माण करना है जिनके पास आवास नहीं हं।ै नगरीय क्षेत्रों की मलिन बस्तियों में गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे तथा दुर्बल आय वर्ग के परिवार पात्र होंगे जिनके पास आवास की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। मलिन बस्तियों में व अन्य स्थानों पर निवास करने वाले निर्धन व्यक्ति (महिला एवं पुरूष) जिनका आवास जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है।बाल्मीकि अम्बेडकर मलिन बस्ती आवास योजना (वैम्बे) के अन्तर्गत पहली प्राथमिकता गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार को दी जाती है। लाभाथ्र्ाी का चयन जिला नगरीय विकास अभिकरण द्वारा सम्बन्धित स्थानीय निकायों (नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत) के सहयोग से किया जायेगा। चयन में ऐसे परिवारों को प्राथमिकता दी जायेगी, जिसकी मुखिया महिला होगी। भूमि/आवास पति-पत्नी दोनों के नाम से या केवल पत्नी के नाम से होना चाहिए। वाल्मीकि अम्बेडकर मलिन बस्ती आवास योजना (वैम्बे) में लाभार्थियों को योजना में आरक्षण की व्यवस्था भी की गई है ताकि समाज के उपेक्षित वर्ग को योजना का पूरा-पूरा लाभ मिल सके। आरक्षण की व्यवस्था निम्न है -
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति - 50 प्रतिशत (50 प्रतिशत से कम नहीं)
- पिछडा वर्ग - 30 प्रतिशत
- अन्य दुर्बल आय (सामान्य सहित) - 15 प्रतिशत
- विकलांग - 5 प्रतिशत
बालिका समृृिद्ध योजना
बालिका समृ़िद्ध योजना के क्रियान्वयन द्वारा बालिकाओं को त्वरित आर्थिक सहायता मुहैया कराने के साथ ही अब बीमा लाभ की भी सुविधा देकर स्वावलम्बन और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गयी है।- लैंगिक सामाजिक असमानता का निराकरण।
- बालिकाओं को बालकों के ही समान समाज में सम्मानित स्थान दिलाना।
- बालिका शिशु के जन्म पर परिवार एवं समाज की पारम्परिक विकृत सोच को बदलना।
- भू्रण हत्या-बालिका शिशु हत्या को हतोत्साहित कर इसकी प्रभावी रोकथाम करना।
- गरीब परिवारों की बालिकाओं को कुपोषण से बचाना।
- बालिकाओं को अच्छी शिक्षा दिलाकर आत्म निर्भर बनाना।
- बालिकाओं को समानता और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना।
- समाज और प्रदेश के विकास हेतु बालिकाओं की सहभागिता विकसित करना।
बालिका समृद्धि योजना के अन्र्तगत बीमा की शर्तेें
- बालिका समृद्धि योजना के अन्तर्गत ऐसी बालिकाओं के माता पिता पात्र नहीं होते हैं जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक न हो।
- माता-पिता दोनों में से किसी एक की दुर्घटनावश मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी बालिका के नाम रू. 25000 जमा करेगी।
- बीमा कंपनी उस बालिका के माता-पिता में से किसी एक अथवा उनके अभिभावक या स्वयं बालिका को उस जमा राशि में से उसकी शिक्षा हेतु आवश्यक धनराशी का भुगतान करेगा।
- यदि बालिका की शिक्षा 18 वर्ष की आयु तक जारी नहीं रह पाती है तो 18 वर्ष पूरा हाने पर उनके खाते में जमा अवशेष राशि उसको देय होगी।
- यदि बालिका की मृत्यु 18 वर्ष पूर्ण हाने के पहले ही हो जाती है तो बालिका के खाते में जमा अवशेष राशि उसके जीवित माता-पिता अथवा अभिभावक को देय होगी।
- अवशेष धनराशि रू. 400 राष्ट्रीय बचत पत्र के माध्यम से भुगतान किये जाने की व्यवस्था है।
नगरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यू.एस.ई.पी.)
उद्देश्य: उक्त योजना के प्रमुख उद्देश्य है-- नगरीय क्षेत्र के बेरोजगार व्यक्तियों को स्वरोजगार उपलब्ध करना।
- स्वरोजगार अपनाने हेतु नगरीय क्षेत्र के बेरोजगार व्यक्तियों को पे्ररित करना।
- ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिसमें नगरीय क्षेत्र के पूर्ण अथवा आंशिक बेरोजगारों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें।
स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम
स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम “ाहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों हेतु प्रमुख उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है-- शहरी निर्धनों को स्वरोजगार हेतु सक्षम बनाना।
- स्वरोजगारियों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत निर्धन पात्र लाभार्थियों को आवश्यकतानुसार सम्बन्धित स्वरोजगार में प्रशिक्षण दिलाये जाने का प्रावधान स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत किया गया है। जिनकी व्यवस्था जिला शहरी विकास अभिकरण (डूडा) द्वारा आई.टी.आई. /राजकीय संस्थान/सामुदायिक विकास समितियों के माध्यम से की जाती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम कम से कम 3 माह तथा अधिक से अधिक 6 माह तक की अवधि के होते हैं इस अवधि के दौरान कम से कम 300 घंटे प्रशिक्षण होना अनिवार्य है।
प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को रू0 100/- प्रतिमाह छात्रवृत्ति के रूप में भी दी जाती है तथा रू0 600/- मूल्य का प्रशिक्षण किट उपलब्ध कराया जाता है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रत्येक प्रशिक्षणाथ्र्ाी के कौशल विकास हेतु रू0 2000/- प्रति व्यय किया जाता है। स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम (यू.डब्लू.ई.पी.)
नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य है:-- गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले शहरी निर्धनों को मजदूरी के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना।
- सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाभकारी सार्वजनिक सम्पत्तियों का निर्माण कराना।
नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम (यू.डब्लू.ई.पी.) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
नगरीय क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास (डवाकुआ)
नगरीय क्षेत्रों में रहने वाली गरीब महिलाओं के विकास के लिए नगरीय क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास योजना के प्रमुख उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लागू की गई है:-- शहरी निर्धन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाकर उनमें बचत की आदत डालना।
- सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाभकारी सार्वजनिक सम्पत्तियों का निर्माण कराना।
नगरीय क्षेत्र में महिला एवं विकास (डवाकुआ) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
ऋण बचत समूह (थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी)
उक्त योजना के प्रमुख उद्देश्य है:-- शहरी निर्धन परिवारों में बचत की आदत डालकर आर्थिक सक्षमता लाना।
- निर्धन महिलाओं को ऋण बचत समूह बनाने हेतु पे्ररित करना।
- शहरी निर्धन परिवारों को सूधखोरों एवं रिश्वतखोरों से बचाना।
ऋण बचत समूह (थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों एवं औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।
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