निबंध का अर्थ
निबंध शब्द ‘नि+बंध’ से बना है, जिसका अर्थ है अच्छी तरह से बँधा हुआ। इनकी
भाषा विषय के अनुकूल होती है। निबंध की शक्ति है अच्छी भाषा। भाषा के अच्छे प्रयोग
द्वारा ही भावों विचारों और अनुभवों को प्रभावशाली दंग से व्यक्त किया जा सकता है।
निबंध की परिभाषा
आचार्य शुक्ल के अनुसार-’’यदि गद्य कवियों को कसौटी है, तो निबंध गद्य की।’’
पं.श्यामसुंदर दास-’’निबंध वह लेख है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तारपूर्वक और पाण्डित्यपूर्व ढंग से विचार किया गया हो।’’
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल निबंध के रहस्य को उद्घाटित करते हुए कहते हैं- ‘‘यदि गद्य कवियों या लेखकों की कसौटी है, तो निबंध गद्य की कसौटी है। भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबंध में ही सबसे अधिक सम्भव होता है।’’
इस प्रकार निबंध किसी विषय पर विचार प्रगट करने की कला है।
इसमें विचारों
को क्रमबद्ध रूप में पिरोया जाता है। इसमें ज्ञान विचार और व्यक्तित्व का अद्भुत संगम
होता है। यद्यपि निबंध लिखने का कोई निश्चित सूत्र नहीं है।
निबंध के प्रकार
निबंध के प्रकार के हैं-
- वर्णनात्मक निबंध
- विवरणात्मक निबंध
- भावात्मक निबंध
- साहित्यिक या आलोनात्मक निबंध
1. वर्णनात्मक निबंध
इन निबन्धों में निरूपण अथवा व्याख्या की प्रधानता रहती है। विभिन्न प्रकार के दृश्यों, घटनाओं तथा स्थलों का आकर्षक वर्णन करना ही इन निबन्धों का कलेवर - विषयवस्तु होता है। इन निबन्धों की अन्य विशेषता यह है कि- यहाँ प्राय: प्रत्येक निबंधकार अपने निबंध में एक सजीव-चित्र उपस्थित करता है। तीर्थ, यात्रा, नगर, दृश्य-वर्णन, पर्व-त्यौहार, मेले-तमाशे, दर्शनीय-स्थल आदि का मनोरम एवं संश्लिष्ट वर्णन करना ही निबंधकार का प्रमुख उद्देश्य होता है। इनमें लेखक प्रकृति और मानव-जगत् में से किसी से भी विषय चयन कर सर्वसाधारण के लिए निबंध-रचना करता है।
2. विवरणात्मक निबंध
विवरणात्मक-निबन्धों में कल्पना एवं अनुभव की प्रधानता होती है। साथ ही इस वर्ग के निबन्धों में वर्णन के साथ-साथ विवरण की प्रवृत्ति भी विद्यमान रहती है। इन्हें कथात्मक अथवा आख्यानात्मक निबंध भी कहा जाता है। विवरणात्मक-निबन्धों की विषयवस्तु मुख्यत: जीवनी, कथाएँ, घटनाएँ, पुरातत्त्व, इतिहास, अन्वेषण, आखेट, युद्ध आदि विषयों पर आधृत होती है। ये निबंध ‘व्यास-शैली’ में लिखे जाते हैं।
3. भावात्मक निबंध
भावात्मक-निबन्धों में बुद्धि की अपेक्षा रागवृत्ति की प्रधानता रहती है। इनका सीधा सम्बन्ध ‘हृदय’ से होता है। अनुभूति, मनोवेग अथवा भावों की अतिशय अभिव्यंजना इन निबन्धों में द्रष्टव्य है। इन निबन्धों में निबंधकार सहृदयता, ममता, प्रेम, करुणा, दया आदि भावनाओं से युक्त व्यवहार को प्रकट करता है।
4. साहित्यिक या आलोनात्मक निबंध
किसी साहित्यकार, साहित्यिक विधा या साहित्यिक प्रवृत्ति पर लिखा गया निबंध साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध कहलाता है, जैसे मुंशी प्रेमचंद, तुलसीदास, आधुनिक हिन्दी कविता, छायावाद हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग आदि। इसमें ललित निबंध भी आते हैं। इनकी भाषा काव्यात्मक और रसात्मक होती है। ऐसे निबंध शोध पत्र के रूप में अधिक लिखे जाते हैं।
अच्छे निबंध की विशेषताएं
अच्छे निबंध की विशेषताएं है:-
- कसावट, प्रभावशाली भाषा, विषयानुकूलता
- निबंध में विचार और भाषा दोनों में ही कसावट का गुण होना चाहिए। उद्धरणों की भाषा न बदली जाये ।
- निबंध का अर्थ ही है भली भांति बंघा हुआ या कसा हुआ। विराम चिन्हों का समुचित प्रयोग आवश्यक है।
- विचार बिखरे न हों। चयनित विषय पर चिंतन मनन करें ।
- विचारों में एक श्रंृखला हो जो क्रमबद्ध हो ।
- विचारों में संतुलन हो अर्थात् प्रमुख बातों पर अधिक महत्व एवं गौण बातों को कम महत्व देना चाहिए। निबंध स्पष्ट होना चाहिए।
- निबंध में बदलती हुई विषय-सामग्री के अनुसार पैराग्राफ बदलने चाहिए।
निबंध के अंग
- शीर्षक-शीर्षक आकर्षक होना चाहिए ताकि लोगों में निबंध पढ़ने की उत्सुकता पैदा हो जाए।
- प्रस्तावना-निबंध की श्रेष्ठता की यह नींव होती है। इसे भूमिका भी कहा जाता है। यह अत्यंत रोचक और आकर्षक होनी चाहिए परन्तु यह बहुत लम्बी नहीं होनी चाहिए। भूमिका इस प्रकार की हो जो विषयवस्तु की झलक प्रस्तुत कर सकें।
- विस्तार-यहीं विचारों का विकास होता है। यह निबंध का सर्व प्रमुख अंश है। इनका संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है। यहीं निबंधकार अपना दृष्टिकोण प्रगट करता है।
- उपसंहार-निबंध का समापन एक निश्चित क्रम में होता है। लेखक अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। उपदेश, दूसरे के विचारों को उद्घृत कर या कविता की पंक्ति के माध्यम से निबंध समाप्त किया जा सकता है।
निबंध के गुण
निबन्ध रचना करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना होता है।
1. कला पक्ष
2. भाव पक्ष
1. कला पक्ष
- विषयानुसार शब्दावली का प्रयोग
- सरल वाक्य रचना
- भावानुकूल भाषा
- विचारों की क्रमबद्धता
- रचना की सरलता तथा सजीवता
- विषयान्तर त्याग
- पुनरावृत्ति का बहिष्कार
2. भाव पक्ष
- विचारों की नूतनता
- व्यक्तित्व की छाप
- मौलिकता
- प्रभावोत्पादकता
- कल्पना प्रवणता।
उपन्यास क्या है
ReplyDeleteकुछ तो है
Deleteउपन्यास एक लम्बी कहानी के तौर पर आप इसे समझ सकते हैं।।
DeleteThanks
ReplyDeleteHow do you do
DeleteThanks
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteI need in more details about the composition of essay
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteGood informations
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteभाव
I need to to eassay quality
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteTnx
ReplyDeleteLots of thanks 👍
ReplyDeleteVery good information
ReplyDeleteNibhnadh sahitya ka Vikas kis Kal se Mana jata hai
ReplyDeleteSuch a enough
ReplyDeleteWell done👍
ReplyDeleteAousme
ReplyDeleteThanks a million
ReplyDeleteEnglish eassy v hindi eassy dono m sirf language ka hi antar hota h na baki component same hi rhte h na
ReplyDeleteGood information
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