ऊर्जा संरक्षण क्या है ऊर्जा संरक्षण के कुछ महत्त्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं -

ऊर्जा संरक्षण के उपाय

ऊर्जा संरक्षण का अर्थ , ऊर्जा उपयोग को कम करने की प्रणालियों को अपनाते हुए ऊर्जा के उपभोग को कम करना है। अब प्रश्न उठता है कि हमें ऊर्जा का संरक्षण क्यों करना चाहिये ? आखिर हमें हर प्रकार की ऊर्जा हर क्षण सुगमता से उपलब्ध है। ऊर्जा का संरक्षण हमें कई कारणों से करना पड़ता है। 

आज की दुनिया में जो भी काम हम करते हैं चाहे वह कार्यस्थान में हो, घर में हो, कार में हो, कोई मनोरंजन कर रहे हो, सभी के लिए ऊर्जा की आवष्यकता है। उदाहरण के रूप में हम लाईट्स, ए सी या फैन्स ऑन किए बिना अपने कार्य स्थान में काम नहीं कर सकते हैं। जब हम टी वी देखते हैं, कपड़े धोते हैं, खाना पकाते हैं, नहाते हैं, मोबाईल फोन का उपयोग करते हैं, कंप्यूटर का उपयोग करते हैं, कार्य करते हैं, तब हम ऊर्जा का उपयोग करते हैं। जब हम कार या दो पहिया वाहन चलाते हैं, तब भी हम ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या, औघोगिकरण, सड़कों पर यातायात और घर, ऑफिस व खेत में स्वचलित यंत्रों के कारण ऊर्जा की मॉग बढ़ रही है। आपने स्वयं भी देखा होगा कि लगातार बढ़ती जनसंख्या से ऊर्जा की मांग बढ़ती जा रही है। बढ़ती जनसंख्या के लिये रहने के लिये घर भी अधिक चाहिये। इससे पेड़ो के कटने की रफ्तार भी बढ़ती जा रही है ताकि फर्नीचर व घर बनाने के लिये लकड़ी प्राप्त हो सके। अधिक लोगों के लिये अधिक कोयला, मिट्टी का तेल और गैस की भी आवश्यकता होगी ताकि अधिक लोगों के लिये खाना पकाया जा सके। आज अधिक लोगों को अपने घर में प्रकाश करने के लिये अधिक बिजली की आवश्यकता है। अपने कूलरों व गीजरो को चलाने के लिये, वांशिंग मशीन व कम्प्यूटर आदि चलाने के लिये उन्हें बिजली की आवश्यकता है जिसका परिणाम अधिक बिजली की खपत और अधिक बिजली की कटौती है। आप ऊर्जा की मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिये कौन से कदम उठाने चाहेंगे ?
  1. आपूर्ति बढ़ाकर 
  2. मांग को घटाकर 
चूंकि ऊर्जा की आपूर्ति सीमित है अत: हमारे पास एक विकल्प रह जाता है अर्थात् ऊर्जा की मांग को कम करना। हम ऐसा किस प्रकार कर सकते है ?

ऊर्जा संरक्षण के उपाय

नीचे ऊर्जा की बचत के कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं -
  1. जहां तक हो सके प्रकृति के द्वारा मिलने वाले उपहारों पर अधिक-से-अधिक निर्भरता रखें एवं कृत्रिम ऊर्जा का कम-से-कम उपयोग करे। सूर्य की किरणें, बहती हुई हवा, पेड़-पौधे, झरने, समुद्र, पहाड़, भूगर्भ ऊष्मा आदि से वातावरण स्वच्छ बनाये रखा जा सकता हैउपयोग में न आने पर पंखे, लाइट व विद्युत से चलने वाले अन्य उपकरणों को बंद कर दें। पानी के नल खुले न छोड़ें।
  2. चावल, दाल आदि पकाते समय बर्तन को ढक दें और खाना पकाने के लिए केवल पानी की आवश्यकता मात्रा का ही उपयोग करें। यदि आप दालों को पकाने के पहले कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखेंगे तो इन्हें पकाने में कम ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
  3. ऊर्जा की बचत का एक अन्य तरीका यह है कि आप अधिक दक्ष उपकरणों का प्रयोग करें। उदाहरण के लिए, बल्ब या ट्यूबलाइट के प्रयोग की बजाय एलईडी या सीएफएल का प्रयोग अधिक दक्षता प्रदान करता है तथा बल्ब की तुलना में उतनी ही शक्ति की ट्यूबलाइट अधिक प्रकाश देती है। यहाँ तक कि कुछ देशों में तो बल्ब का प्रचलन बंद-सा होता जा रहा है। अच्छे स्टोव ईधन का अधिक दक्षता से दहन करते हैं और दहन किए गए प्रति इकाई ईधन के लिए अधिक ऊष्मा प्रदान करते हैं। ईधन दक्ष वाहनों का उपयोग करना चाहिए व उनके इंजनों का उचित रख-रखाव करना चाहिए।
यह केवल कुछ ही ऐसी आदतें हैं जिनके द्वारा काफी अधिक ऊर्जा की बचत की जा सकती है। जहाँ ऊर्जा बचाई जा सकती है वहां हमें इसे बचाने के उपाय खोजने चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपको पास ही किसी जगह पर जाना है तो वाहन का प्रयोग न कर आप साइकिल से या पैदल भी जा सकते हैं। ईधन बचाने के लिए आप अपने वाहन की जगह सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग भी कर सकते हैं। कार्यालय अकेले जाने की बजाय आप अपने सहकर्मियों को भी साथ ले जा सकते हैं।

ऊर्जा संरक्षण के क्या लाभ हैं?

सबसे प्रमुख बात यह है कि ऊर्जा उपयोग को कम करने से पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सकता है। इस तरह हमारे पर्यावरण प्रदूषण मुक्त हो जाएगा और हमारी जिन्दगी उच्च स्तरीय बन जाएगी। इसके अलावा ऊर्जा सुरक्षित रखने का अर्थ है हमारे पास पहले ही उपलब्ध संसाधनों को सुरक्षित रखना । ऊर्जा का संरक्षण करना, न कि संसाधनों का संरक्षण करना है बल्कि वित्तीय बचत के लिए योगदान करना भी है।

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