Showing posts from March, 2018

अरविन्द घोष जीवन परिचय, जीवन दर्शन एवं शिक्षा दर्शन

अरविन्द घोष का जन्म 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में हुआ। अरविन्द घोष के पिता डॉ. कृष्णधन घोष विलायत से डॉक्टरी की पढ़ाई करके लौटे तो अंग्रेजियत के भक्त होकर आये। अरविन्द घोष को जन्म के समय जो नाम दिया गया उसमें बीच में विलायती नाम भी जोड़ा हुआ था - अरविन…

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय || Aadi shankaracharya ka jivan parichay

आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालरी गांव में सन् 684 ई. में हुआ था, उनके पिता का नाम शिवगुरू तथा माता का नाम सती था। शंकराचार्य ने बाल्यकाल से ही सन्यास ले लिया था और वेदान्त की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे महात्मा गोविन्दाचार्य के पास चले गए थे। शि…

मंत्रयोग क्या है मंत्रयोग के प्रकार ?

शास्त्रों के अनुसार अनेक प्रकार के योग बताए गये हैं, इन सभी योग की साधना सबसे सरल और सुगम है। मंत्र योग की साधना कोई श्रद्धा पूर्वक व निर्भयता पूर्वक कर सकता है। श्रद्धापूर्वक की गयी साधना से शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त कर अभीष्ट की प्राप्ति की जा सकती है…

हठयोग का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य

हठयोग में जब इड़ा और पिंगल नाड़ी, वाम और दक्षिण स्वर जब एक समान चलने लगें तो सुषुम्ना का जागरण होता है। जब सुषुम्ना निरन्तर चलने लगती है तो शरीर में सूक्ष्म रूप में विद्यमान कुण्डलिनी शक्ति का जागरण होता है। जब कुण्डलिनी छरूचक्रों का भेदन करती हुई सहस…

ज्ञानयोग क्या है? ज्ञानयोग की साधना के किन साधनों एवं गुणों की आवश्यकता होती है?

ज्ञान योग बुद्धि और विश्लेषण का मार्ग है। यह विवेक से संबंधित है और इसकी अपनी एक क्रियाविधि होती है। इस क्रियाविधि का केन्द्र श्रवण स्मरण और विश्लेषण (मनन) और ध्यान करने की विधि (निदिध्यासन) के इर्दगिर्द घूमता है। आज वैज्ञानिक युग में मनुष्य काफी तर्क…

भक्ति योग क्या है भक्ति योग के प्रकार?

भक्ति से तात्पर्य है कि ईश्वर के प्रति समर्पण और प्रेमपूर्ण आसक्ति। यह शब्द भज् (सम्मिलित होने) धातु से निर्मित है और सहभागिता की ओर संकेत करता है। भक्ति मार्ग पर चलने वाला योगी दिव्य ईश्वर के प्रति स्वयं को समर्पित करता है, भक्ति भाव से सेवा करता है …

कर्मयोग का अर्थ, परिभाषा, भेद एवं प्रकार

कर्मयोग उन लोगों के लिए है जो प्रकृति से सक्रिय होते हैं भगवद ्गीता में कर्म  योग के चार मुख्य नियम वर्णित हैं ताकि आप सभी तनावों से एकदम मुक्त होकर अपन े कर्म (कार्य) का हर क्षण आनन्द ले सके। कर्म कर्तव्य समझकर करें, कार्य को बिना आसक्ति से करें, परि…

अष्टांग योग क्या है अष्टांग योग कितने प्रकार के होते हैं?

अष्टांग योग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित व प्रयोगात्मक सिद्धान्तों पर आधारित योग के परम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु एक साधना पद्धति है।  महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र नामक ग्रंथ में तीन प्रकार की योग साधनाओं का वर्णन किया है।‘अष्टांग’ शब्द दो शब्दों के मेल …

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