परिवहन का अर्थ, परिभाषा, महत्व एवं प्रकार

परिवहन मानव साधन का एक माध्यम है जिसकी सहायता से व्यक्तियों, वस्तुओं और विभिन्न संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है। किसी भी राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक विकास तथा भावात्मक एकता के लिए उन्नत एवं विकसित परिवहन के सभी साधनों का होना नितांत आवश्यक होता है। 

प्राचीन समय में मनुष्य ही परिवहन का सर्वोत्तम माध्यम होता था, अर्थात स्वयं मनुष्यों को तथा सामानों को सिर या कंधे पर लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में मदद करता था। बाद में सभ्यता के विकास के साथ-साथ पशुओं का सहारा लिया। गधे, खच्चर, घोंड़े, हाथी, कुत्ते आदि पशुओं के साथ माल ढोने का कार्य लिया गया। बाद में बैल एवं भैंस का प्रयोग किया जाने लगा। 

आधुनिक सभ्यता के विकास के साथ-साथ तकनीकी परिवहनो का प्रयोग किया जाने लगा। आज वर्तमान में त्वरित एवं सहज-सुलभ परिवहन माध्यम में रेल को ज्यादा महत्व दिया जाता है। चाहे यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में या फिर किसी उद्योग के लिए कच्चे माल की आयात या निर्मित माल को लंबी दूरी तक ले जाने में रेलवे की भूमिका महत्वपूर्ण रहा है।

परिवहन का अर्थ

परिवहन शब्द संस्कृत के ‘‘वह’’ धातु से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ ‘‘वहन’’ से है तथा ‘परि’’ उपसर्ग जोड़कर परिवहन शब्द का अर्थ लगाया जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ भार को वहन करना है। इसके अलावा कंधे से उठाकर ले जाना या सिर पर वहन करने जैसे भावार्थ लगाया जाता है। परिवहन में यांत्रिकी के प्रयोग से भी लगाया जाता है। जैसे साइकिल का प्रयोग करना, चार पहिये, छ: या दस पहिये का प्रयोग करना भी होता है, यह परिवहन सड़क मार्ग द्वारा संचालित किये जाते हैं। इसके साथ ही रेल या ट्रेन जिसे संस्कृत में लौह पथ गामिनी के नाम से भी जाना जाता है। वायुयान या जलयान भी परिवहन का प्रकार है। 

परिवहन का अर्थ उन गतिविधियों से है, जिनके अंतर्गत सामान और व्यक्तियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने में सहायता मिलती है। व्यवसाय में इसको एक सहायक क्रिया के रूप में माना जाता है, जो कच्चे माल को उत्पादन के स्थान तक और तैयार समान को उपभोग/बिक्री के लिए लोगों तक पहुँचाने में व्यापार और उद्योग की सहायता करती है। जो व्यक्ति अथवा व्यावसायिक इकाइयाँ इस गतिविधि में लगी हैं, उन्हें ट्रांसपोर्टर कहा जाता है। ट्रांसपोर्टर कच्चे माल, तैयार सामान, व्यक्तियों आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं।

परिवहन का महत्व

ऊपर हम विचार विमर्श कर चुके हैं कि परिवहन, दूरी की बाध को समाप्त कर देता है, क्योंकि आजकल एक स्थान पर बनाई गई (तैयार की गई) वस्तु अलग-अलग स्थानों पर उपलब्ध हो जाती है। चाहे पूरे संसार में दूरी जितनी भी हो। बिना परिवहन के कोई भी व्यापार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता है।

1. निर्माताओं और उत्पादकों को कच्चा माल उपलब्ध कराना : परिवहन के माध्यम से ही कच्चे माल को उसके उपलब्ध् होने के स्थानों से उन स्थानों तक ले जाना संभव हो पाता है, जहाँ उसे संसाध्ति तथा एकित्रत करके उससे अर्(निर्मित अथवा पूर्णत: निर्मित वस्तुएँ तैयार की जाती हैं।

2. उपभोक्ताओं को वस्तुएं उपलब्ध कराना : परिवहन की सहायता से वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक बड़ी आसानी और तेजी से पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार दूर-दराज के स्थानों पर तैयार सामान देश के विभिन्न क्षेत्रों में पैफले उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग किया जा सकता है। 

3. लोगों का जीवन-स्तर बेहतर बनाना : परिवहन-साध्नों की सहायता से कम लागत में बड़े पैमाने पर सामान का उत्पादन होता है। इससे लोगों में अपनी पसंद का और अलग-अलग कीमत वाला बढ़िया किस्म का सामान खरीदने की इच्छा जागती है। इससे लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा उठता है। 

4. कम लागत मेंं अध्कि उत्पादन को सुविधजनक बनाता है : हम जानत े है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन सदा हमारी पसंद के स्थान पर होना सम्भव नहीं है, क्योंकि इसके लिए बड़े बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है, विशेषत: जमीन की, जो आसानी से हर जगह उपलब्ध् नहीं होती है। परन्तु परिवहन, सुगमता से मानव शक्ति एवं आवश्यक कच्चा माल विनिर्माण के लिए अंतिम रूप से चयनित स्थान पर उपलब्ध करा देता है। बड़े पैमाने पर उत्पादन से प्रति इकाई लागत कम आती है। 

5. आपातकाल और प्रा्राकृतिक आपदा की स्थिति में सहायता पहुँचाना : युद्ध या आंतरिक गड़बड़ी (अशांति) जैसी राष्ट्रीय संकट की स्थिति में परिवहन सशस्त्रा सेनाओं और उनके लिए जरूरी सामान को शीघ्रता से संकट के स्थान पर पहुंचाने में मदद करता है।

6. रोजगार सृजन मेंं सहायता करना : परिवहन से लोगों को ड्राइवर, कंडक्टर, पायलट, विमान कर्मचारी, समुद्री जहाज के कैप्टन आदि के पदों पर रोजगार मिलता है। इन लोगों को परिवहन व्यवसाय में प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। इसके अलावा कुछ लोगों को परिवहन से अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार मिलता है जैसे परिवहन के विभिन्न साधनों और परिवहन के उपकरणों का निर्माण करने वाले कारखानों में लोगों को काम मिलता है। लोग परिवहन के साधनों की मरम्मत और रख-रखाव के लिए सुविधाजनक स्थानों पर सर्विस सेंटर भी खोल सकते हैं। 

7. मजदूरों की गतिशीलता में सहायता : परिवहन सुविधाएँ मजदूरों को कार्य के स्थानों तक पहुँचाने में बहुत मदद करती हैं। आपको मालूम होगा कि दूसरे देशों के उद्योगों और कारखानों में काम करने के लिए हमारे देश से लोग दूसरे देश जाते हैं और विदेशी भी हमारे देश में कार्य करने के लिए आते हैं। देश में भी लोग रोजगार की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। साथ ही यह हमेशा संभव नहीं होता कि कारखाने के आस-पास से ही मजदूर मिल जाए। अधिकांश उद्योगों में लोगों को उनके निवास स्थान से कार्य स्थल तक लाने ले जाने के लिए परिवहन की अपनी व्यवस्था है। 

8. राष्ट्रों को निकट लाने में सहायता : परिवहन से लोगों तथा माल के एक देश से दूसरे देश में आवागमन में सहायता मिलती है। इससे विभिन्न देशों के लोगों में संस्कृति, विचारों और रीति रिवाजों का आदान-प्रदान होता है। इससे लोगों में अन्य देशों के बारे में बेहतर समझ तथा ज्ञान उत्पन्न होता है। इस प्रकार परिवहन अंतर्राष्ट्रीय भाईचारा बढ़ाने में सहायता करता है।

परिवहन के माध्यम

मोटर सायकल, ट्रक, बस, कार, जीप में बैठकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए हमें सड़क मार्ग की आवश्यकता होती है। रेलगाड़ी और मालगाड़ियां रेल की पटरियों पर ही दौड़ती हैं। जल मार्ग से जाने के लिए हम नौका, स्टीमर, जलयान का उपयोग करते है, उसी प्रकार हेलीकाप्टर और हवाई जहाज के लिए हवा की आवश्यकता होती है। अत: परिवहन के सभी साधनों के लिए एक माध्यम विशेष की आवश्यकता होती है। परिवहन के माध्यम है-
  1. सड़क परिवहन 
  2. रेल परिवहन 
  3. जल परिवहन
  4. वायु परिवहन, 
1. सड़क परिवहन - सड़क मार्ग से परिवहन जानवरों के द्वारा (घोड़े, ऊॅंट, गधे) जानवरों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों तथा मोटर वाहन (वैन, ट्रक आदि) से किया जाता है। जानवर तथा जानवरों के द्वारा खींचे जाने वाले वाहन का उपयोग कम मात्रा में गांवों तक ही सीमित है। वैन शहर के भीतर स्थानीय परिवहन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। अधिकांश माल ट्रकों के द्वारा ढोया जाता है जो सुगम, कम खर्चीले तथा सुरक्षित माने जाते हैं।

2. रेल परिवहन - रेल परिवहन से अभिप्राय यात्रियों एवं माल का रेलगाड़ी के माध्यम से आवागमन से है जो इसी उद्देश्य से बिछाई गई रेल की पटरियों पर चलती हैं। दूर स्थानों में ले जाने की क्षमता की दृष्टि से रेल परिवहन कम खर्चीला एवं सुरक्षित है। भारत में रेल परिवहन भारत सरकार के स्वामित्व में है तथा माल के परिवहन में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

रेल परिवहन
रेल परिवहन

3. जल परिवहन - जल परिवहन से अभिप्राय माल एवं यात्रियों को जल मार्ग से लाने व ले जाने से है। जिसमें बोट, स्टीमर, लॉच, जहाज आदि के माध्यमों को उपयोग में लाया जाता है। यह संचालन देश के भीतर अथवा एक  देश से दसू रे देश मे हो सकता है। भारत में परिवहन के इस साधन का उपयोग कम है क्योंकि देश के भीतर जलमार्ग सीमित हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए समुद्र एवं महासागर से परिवहन तटवर्ती क्षेत्रों में बहुत सामान्य है। परिवहन का यह माध्यम लम्बी दूरी तक भारी माल को ले जाने के लिए कम खर्चीला है।

जल परिवहन
जल परिवहन

4. वायु (हवाई) परिवहन - माल लाने ले जाने एवं व्यक्तियों के आने जाने के लिए हवाई जहाज के उपयोग को वायु परिवहन कहते हैं। यह परिवहन का सबसे तेज गति वाला माध्यम है तथा इसका अधिकांश उपयोग यात्रियों को लाने, ले जाने के लिए होता है। जहां तक वस्तुओं का सम्बन्ध है वायु परिवहन का प्रयोग उच्चमूल्य वाली हल्की वस्तुओं के लिए होता हैं जैसे कि दवाए, मशीन के पुर्जे, इलैक्ट्रोनिक सामान आदि। बड़े माल वाहक हवाई जहाजों की व्यवस्था के कारण अब माल ढोनें के लिए हवाई परिवहन का उपयोग देश के भीतर एवं विदेशी व्यापार के लिए काफी बढ़ गया है।

वायु परिवहन
वायु परिवहन

13 Comments

  1. This a nice essay I hope everyone like it

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  2. भारत के सड़क परिवहन में 'बनाओ, चलाओ और हस्तांतरित करो' की नीति क्यों अपनाई गयी ? GT रोड किसे कहते है ? प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना क्या है ? भारत में वायु परिवहन की शुरुआत कब हुई ? भारतीय रेल परिवहन का राष्ट्रीयकरण कब हुआ ? दिल्ली मेट्रो रेल सेवा कब शुरू की गयी ? जानने के लिए देखे -
    https://www.examhelp4.com/2019/09/transport-in-india.html

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    1. examhelp.com सर्च करे google में

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  3. examhelp.com सर्च करे google में

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  4. Achha he project bana sakte he

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  5. bhaiya ji thoda jada likh dete

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