Showing posts from September, 2018
उत्पाद विकास का अर्थ उत्पाद-विचार को वास्तविक उत्पाद मे परिवर्तित करने से लिया जाता है। यह वह प्रक्रिया है जो तकनीकी एवं विपणन क्षमताओं को संयोजित करती है और पतनोन्मुख उत्पादों के पुनस्र्थापनों के रूप में नये उत्पाद अथवा संशोधित उत्पाद बाजार में प्रस्…
विपणनकर्ता किन उत्पादों का निर्माण या वितरण करें, उत्पादों का स्वरूप कैसा हो, उत्पाद रेखा के उद्देश्य क्या हों, फर्म स्वयं अग्रणी बनकर नेतृत्व करें या अन्य फर्मो का अनुसरण करें, आदि अनेक प्रश्नों के समाधान के कार्य क्षेत्र को उत्पाद नियोजन कहा जाता ह…
सामान्य अर्थ में, उत्पाद से तात्पर्य उन सभी वस्तुओं एवं सेवाओं से है, जिनसे उपभोक्ताओं की सन्तुष्टि होती हैं। किन्तु विस्तृत अर्थ में उत्पादन का आशय उन सदृश्य, भौतिक एवं रासायनिक लक्षणों से है जो आसानी से पहचान में आने वाली आकृति, आकार, परिमाण आदि में…
उपभोक्ता व्यवहार विश्व की समस्त विपणन क्रियाओं का केन्द्र बिन्दु उपभोक्ता है। आज विपणन के क्षेत्र में जो कुछ भी किया जा रहा है उसके केन्द्र में कही न कही उपभोक्ता विद्यमान है। इसलिए उपभोक्ता को बाजार का राजा या बाजार का मालिक कहा गया है। सभी विपणन संस…
बाजार विभक्तीकरण वह क्रिया है जिसके द्वारा बाजार को विभिन्न खण्डों में बांटाा जाता है। बाजार खण्ड कुल बाजार का ऐसा भाग या हिस्सा है जिससे प्रत्येक ग्राहक के क्रय-व्यवहार में एक समापन या समानता पायी जाती है। इस प्रकार बाजार विभक्तीकरण का उद्देश्य विभिन…
वातावरण से आशय किसी संगठन के आस पास विद्यमान उन घटकों, शक्तियों से हैं जो संगठन को प्रभावित करते है लेकिन संगठन का उन पर किसी भी प्रकार का नियन्त्रण नहीं होता है विपणन वातावरण के अन्तर्गत आती है। 1. कोटलर एवं आर्मस्ट्रांग - ”एक संस्था के विपणन वातावरण…
प्रत्येक निर्माता का उद्देश्य लाभ प्राप्त करना होता है। यह लाभ उसे उपभोक्ताओं से प्राप्त होगा और उपभोक्ता से यह लाभ तब प्राप्त होगा जब उत्पादक उपभोक्ताओं की पसंद के अनुसार वस्तु का उत्पादन करके उनको अधिकतम संतुष्टि उपलब्ध कराता है। उपभोक्ता बाजार का र…