विपणन मिश्रण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ और तत्व

प्रत्येक निर्माता का उद्देश्य लाभ प्राप्त करना होता है। यह लाभ उसे उपभोक्ताओं से प्राप्त होगा और उपभोक्ता से यह लाभ तब प्राप्त होगा जब उत्पादक उपभोक्ताओं की पसंद के अनुसार वस्तु का उत्पादन करके उनको अधिकतम संतुष्टि उपलब्ध कराता है। उपभोक्ता बाजार का राजा है अतः निर्माता उन्हीं वस्तुओं का निर्माण करता है जो उपभोक्ता खरीदता है। उपभोक्ता द्वारा की जानी वाली पसंद, उसके द्वारा व्यय करने का ढंग, किसी वस्तु को उत्पादन एवं स्वरूप को निर्धारित करता है। 

इस प्रकार किस वस्तु का उत्पादन एक उत्पादक द्वारा किया जाए इसका निर्धारण उपभोक्ता द्वारा किया जाता है। उपभोक्ता वस्तु की खरीदने का निर्णय विभिन्न आधारों पर करता है जैसे वस्तु की कीमत, वस्तु की किस्म, वस्तु के सम्बंध में विक्रय स्वर्द्धन, ब्रांडिंग तथा पैकेजिंग आदि। निर्माता की अत्यधिक लाभ कमाने के लिए बाजार पर प्रभावपूर्ण ढंग से नियन्त्रण करना होगा। यह तभी सम्भव है जब निर्माता को ऐसे समस्त विपणन निर्णय की जानकारी हो जिससे विक्रय में वृद्धि हो सकती है। विपणन मिश्रण के माध्यम से व्यवसायी यह सब कुछ जान सकता है।

बाजार की सफलतापूर्वक विक्रय करने के लिए एक कम्पनी विपणन मिश्रण के निर्माण की नीति अपनाती है। वह उत्तम सम्भावित परिणाम के लिए विभिन्न विपणन के तत्वों के उपयोग का संयोग है, विक्रेता के लिए विपणन का उद्देश्य विभिन्न विक्रय के उत्पादन के तत्वों को इस प्रकार संयोग करने से जिसमें वह उस लागत पर उस मात्रा तक आवश्यक विक्रय कर सके जिससे वह उसका वांछनीय लाभ प्राप्त कर सके। ये विक्रय उत्पन्न करने वाले तत्व विपणन मिश्रण को इंगित करते हैं और इसके अन्तर्गत निम्न तत्व हैं- 
  1. विपणन अनुसंधान 
  2. उत्पाद, ब्रांड, सवेस्टन आदि 
  3. कीमत 
  4. वितरण के माध्यम 
  5.  विक्रय संवर्द्धन
  6. अविपणन 
  7. विक्रय के बाद की सेवाएं 
विक्रेता के लिए यह समस्या है कि विपणन मोर्चाबन्दी के लिए इन विभिन्न तत्वों का किस प्रकार एकीकरण करें। प्रत्येक संस्था उपर्युक्त घटकों का सम्मिश्रण इस प्रकार करती है कि किसी एक निश्चित समय व स्थिति में उस व्यवस्था से सबसे अधिक लाभ कमाया जा सके। विपणन मिश्रण के सम्बन्ध में कुछ विद्वानों ने निम्न परिभाषा दी हैः- 

डा0 आर0 एस डाबर के अनुसार, ‘‘निर्माता के द्वारा बाजार में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रयोग की जाने वाली नीतियाँ विपणन मिश्रण का निर्माण करती है’’ 

कीली एवं लेजर के अनुसार ‘‘विपणन मिश्रण उस बड़ी बैटरी की यूक्ति से बना है जिसका ग्राहकों को किसी विशेष वस्तु को क्रय करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से काम में लाया जा सकता है।’’

फिलिप कोटलर के अनुसार, “एक फर्म का उद्देश्य अपनी विपणन चलों के लिए सर्वाेत्तम विन्यास को खोजना है यह विन्यास विपणन मिश्रण कहलाता है। 

उपरोक्त अर्थ तथा परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि विक्रय में सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से उत्पादक/विक्रेता विभिन्न नीतियों का विश्रण करता है। यह विपणन मिश्रण कहलाता है।

विपणन मिश्रण की परिभाषा

प्रो. कोटलर के अनुसार - “विपणन मिश्रण उन विपणन औजारों का समूह है जिन्हें कोई संस्था लक्ष्य बाजार में अपने विपणन उदेश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग करती है”।
 
स्टेन्टन, एटजेल तथा वाकर के अनुसार - “विपणन मिश्रण चार घटकों- उत्पाद, मूल्य संरचना, वितरण व्यवस्था तथा संवर्द्धनात्मक क्रियाओं का संयोजन है जिनका किसी संस्था के लक्ष्य बाजार की आवश्यकता को सन्तुष्ट करने तथा साथ ही विपणन उदेश्यों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है।”

विपणन मिश्रण की विशेषताएँ

  1. विपणन मिश्रण चार प्रमुख घटकों का मिश्रण है जो उत्पाद, मूल्य, स्थान तथा संवर्द्धन नाम से जाने जाते है। इन्ही चार घटकों के संयोजन से विपणन उदेश्यों को प्राप्त किया जाता है।  
  2. विपणन मिश्रण का कार्य सदैव करना पड़ता है तथा समय-समय पर विपणन मिश्रण में परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि विपणन मिश्रण एक सतत् प्रक्रिया है। 
  3. प्रत्येक संस्था को अपनी एक विपणन व्यूह रचना तैयार करनी पड़ती है। जिसमें विपणन की विभिन्न क्रियाओं, विधियों, नीतियों आदि का समावेश करना पड़ता है। इस प्रकार यह कहना ठीक होगा कि विपणन मिश्रण एक व्यूह रचना है जिसमें विभिन्न विपणन क्रियाओं का समावेश होता है।
  4. विपणन मिश्रण की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर है कि विपणन मिश्रण में प्रत्येक घटक का समावेश उपक्रम की स्थिति एवं वातावरण को ध्यान में रखकर किया जाय। संक्षेप में, विपणन मिश्रण की प्रभावशीलता उसके समुचित मिश्रण पर निर्भर करती है। 
  5. विपणन मिश्रण एक व्यवस्थित अवधारणा है जो विपणन समस्याओं के समाधान में सहायता प्रदान करती है। विपणन मिश्रण का कार्य अतिमहत्वपूर्ण है अत: इसे विपणन प्रबन्धक द्वारा सम्पादित किया जाता है। 
  6. विपणन मिश्रण एक व्यवस्थित अवधारणा है जो विपणन समस्याओं के समाधान में सहायता प्रदान करनी है। 
  7. विपणन मिश्रण का उदेश्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करते हुए संस्था के लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

विपणन मिश्रण को प्रभावित करने वाले घटक

विपणन मिश्रण को प्रभावित करने वाले घटको को दो भागों में बांटकर अध्ययन किया जा सकता है -

1. अनियन्त्रण योग्य तत्व/बाजार तत्व - 

वे तत्व या शक्तियाँ जिन पर किसी भी प्रकार से नियन्त्रण स्थापित नहीं किया जा सकता उन्हें अनियन्त्रण योग्य तत्व या बाजार तत्व या वातवरण तत्व के नाम से जाना जाता है। ऐसे तत्व हैं :-

1. उपभोक्ता व्यवहार - उपभोक्ता की रूचि, मांग एवं फैशन में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। एक सफल विपणन प्रबन्धन को सदैव इन पर नजर रखनी चाहिए एवं उत्पाद की मांग पर पड़ने वाले उपभोक्ता व्यवहार के प्रभावों का अध्ययन करना चाहिए।

2. वितरण व्यवस्था - बाजार में विद्यमान वितरण व्यवस्था संस्था की वितरण व्यवस्था को प्रभावित करती है। अत: एक विपणन प्रबन्धक को बाजार में विद्यमान मध्यस्थ श्रृंखला, परिवहन, भण्डारण आदि का व्यवस्थित रूप से अध्ययन कर अपना विपणन मिश्रण तैयार करना चाहिए। 

3. प्रतियोगी स्थिति - प्रत्येक विपणन प्रबन्धक को बाजार में विद्यमान प्रतियोगिता की स्थिति का अध्ययन कर अपना विपणन मिश्रण तैयार करना चाहिए। विपणन प्रबन्ध को प्रतियोगी संस्था की विपणन नीतियों, व्यूह रचनाओं, उत्पाद की किस्म, मूल्य आदि का भली प्रकार अध्यन कर लेना चाहिए तथा इसके बाद ही अपना विपणन मिश्रण तैयार करना चाहिए। 

4. सरकारी नियम एवं नीतियाँ - देश की व्यापार एवं विपणन नीति, औद्योगिक नीति, कर नीति, उदारीकरण नीति, व्यापारिक एवं औद्योगिक सéियम संस्था के विपणन मिश्रण को प्रभावित करते हैं। विपणन मिश्रण तैयार करते समय सरकारी नियम एवं नीतियों का ध्यान रखना चाहिए तथा इसके बाद ही विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था का विपणन मिश्रण तैयार करना चाहिए।

2. नियन्त्रण योग्य तत्व/आन्तरिक तत्व - 

ऐसे तत्व जिन पर नियन्त्रण स्थापित करना संस्था के अधीन होता है उन्हें नियन्त्रण योग्य तत्व या आन्तरिक तत्वों के नाम से जाना जाता है। ऐसे तत्व हैं :-

1. उत्पाद से सम्बन्धित तत्व - जो तत्व सिर्फ उत्पाद से सम्बन्ध रखते हैं उत्पाद सम्बन्धित तत्व कहलाते है जिन पर कुछ सीमा तक संस्था नियन्त्रण स्थापित कर सकती है जैसे उत्पाद का आकार, पेकिंग, रंग-रूप, डिजाइन, किस्म आदि। इसके अलावा उत्पाद का ब्राण्ड, उत्पाद श्रृंखला एवं प्रत्येक उत्पाद श्रृंखला में उत्पादों की संख्या, उत्पाद के सम्बन्ध में उपलब्ध गारन्टी एवं वारन्टी, इनकी अवधि एवं प्रकार तथा उत्पाद के लिए दी जाने वाली विक्रयोपरान्त सेवाएँ आदि ऐसी बातें हैं जिन पर संस्था नियन्त्रण स्थापित कर सकती है और आवश्यकतानुसार इनमें परिवर्तन कर सकती है। अत: उत्पाद से सम्बन्धित तत्व आन्तरिक तत्व है जिन पर संस्था नियन्त्रण स्थापित कर सकती है।

2. मूल्य से सम्बन्धित तत्व - जो तत्व उत्पाद के मूल्य से सम्बन्ध रखते हैं मूल्य से सम्बन्धित तत्व कहलाते है तथा कुछ सीमा तक संस्था इन पर नियन्त्रण स्थापित कर सकती है इसमें संस्था की मूल्य नीति, मूल्य से सम्बन्धित व्यूह रचना, संस्था की उधार नीति, प्रदत उधार की अवधि, छूटों एवं बट्टों से सम्बन्धित नीति, मूल्य विभेदीकरण आदि ऐसे तत्व है जो संस्था के विपणन मिश्रण को प्रभावित करते हैं।

3. स्थान सम्बन्धी तत्व - स्थान से सम्बन्धित तत्वों में संस्था की वितरण व्यवस्था से सम्बन्धित तत्व आतें है इन तत्वों पर भी कुछ सीमा तक संस्था का नियन्त्रण होता है इनमें संस्था के वितरण माध्यम एवं उनके सम्बन्ध में संस्था की नीति, मध्यस्थों के पारिश्रमिक से सम्बन्धित नीति, उत्पादों के परिवहन, भण्डारण एवं संग्रहण से सम्बन्धित नीति आदि ऐसे तत्व है जो संस्था के विपणन मिश्रण को प्रभावित करते हैं। 

4. संवर्द्धन से सम्बन्धित तत्व - जो तत्व विपणन संवर्द्धन से सम्बन्ध रखते हैं तथा संस्था के विपणन कार्यक्रम को प्रभावित करते है संवर्द्धन से सम्बन्धित तत्व कहलाते हैं। इन पर भी संस्था कुछ सीमा तक अपना नियन्त्रण स्थापित कर सकती है। इनमें संस्था की विज्ञापन नीति, विज्ञापन के माध्यम, विज्ञापन बजट, विक्रय संवर्द्धन से सम्बन्धित नीति, विक्रय संवर्द्धन के साधन, विक्रय संवर्द्धन का वर्तमान एवं भावी बजट, संस्था की प्रचार एवं प्रसार व्यवस्था आदि ऐसे तत्व है जिनका निरन्तर अध्ययन एवं विश्लेषण विपणन प्रबन्धन को करते रहना चाहिए। 
उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि संस्था को अपना विपणन मिश्रण तैयार करते समय सभी नियन्त्रण योग्य एवं अनियन्त्रण योग्य घटकों का ध्यान रखना चाहिए। एक संस्था इस बात का ध्यान रखकर अपनी संस्था के विपणन मिश्रण को समय एवं परिस्थितियों के अनुरूप बनाये रख सकती है।

विपणन मिश्रण के तत्व

विपणन मिश्रण के प्रमुख तत्व है -
  1. उत्पाद मिश्रण 
  2. मूल्य मिश्रण 
  3. वितरण मिश्रण 
  4. संवर्द्धन मिश्रण 

1. उत्पाद मिश्रण -

उत्पाद मिश्रण उत्पादों का वह समूह है जिसे कोई संस्था विक्रय हेतु बाजार में प्रस्तुत करती है। उदाहरण के लिए हिन्दुस्तान यूनिलीवर कम्पनी द्वारा जितने भी उत्पाद बाजार में बेचे जाते है वे उत्पाद मिश्रण के अन्तर्गत आयेगें। नहाने के साबुन की उत्पाद रेखा में लक्स, रेक्सोना, हमाम, पीयर्स आदि नहाने के साबुन आयेगें। इसमें शामिल उत्पादों के लक्षणों को निर्धारित करना पड़ता है। उत्पाद के लक्षणों में को सम्मिलित किया जाता है :-
  1. उत्पाद की डिजाइन 
  2. उत्पाद का रंग 
  3. उत्पाद की पैकेजिगं 
  4. उत्पाद का ब्राण्ड ओर लेबल 
  5. उत्पाद का स्वाद 
  6. विक्रयोपरान्त सेवाएँ 
  7. उत्पाद की ख्याति

2. मूल्य मिश्रण - 

विपणन प्रबन्धन को अपने उत्पाद के मूल्य से सम्बन्धित नीतियों एवं व्यूह रचनाओं को निर्धारित करना पड़ता है तथा साथ ही साथ मध्यस्थों को प्रदान किये जाने वाले बट्टे छूटों, उधार की शतेर्ं, उधार की अवधि तथा उनको दी जाने वाली सुविधाओं को निर्धारित करना पड़ता है। किसी उत्पाद का मूल्य अनेक घटकों से प्रभावित होता है इनमें से कुछ घटक हैं :-
  1. वस्तु की बाजार मांग
  2. विद्यमान प्रतियोगिता की स्थिति एवं स्तर 
  3. मध्यस्थों को दी जाने वाली सुविधाएँ 
  4. उत्पाद की लागत एवं लाभदेयता
  5. संस्था की ख्याति

3. वितरण मिश्रण - 

वितरण मिश्रण में उन सभी बातों को सम्मलित किया जाता है जिनके द्वारा उत्पाद उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचता है। इनमें उन सब नीतियों एवं व्यूह रचानाओं को शामिल किया जाता है जो उत्पाद के भौतिक वितरण एवं परिवहन के लिए आवश्यक होती है। संक्षेप में, वितरण मिश्रण में थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी, उत्पाद के परिवहन, भण्डारण, पैकिंग आदि के सम्बन्ध में विपणन प्रबन्धन को निर्णय लेना होता हैं ताकि न्यूनतम लागत पर उत्पादक से उपभोक्ता तक माल की निर्बाध पहुंच संभव हो सके।

4. संवर्द्धन मिश्रण - 

ग्राहकों को फर्म के उत्पादों की सूचना प्रदान करना एवं वह उत्पाद खरीदने के लिए उसकाना। संवर्द्धनात्मक मिश्रण में कार्यों को सम्मिलित किया जा सकता है :-
  1. विज्ञापन
  2. विक्रय संवर्द्धन हेतु किये जाने वाले उपाय एवं प्रयास 
  3. प्रचार एवं प्रसार 
  4. विक्रय दलों का गठन एवं वैयक्तिक विक्रय 
  5. टेली मार्केटिंग

विपणन मिश्रण का निर्माण

विपणन मिश्रण का निर्माण करते समय विपणन प्रबन्धन को सबसे पहले बाजार से सम्बन्धित उन शक्तियों या तत्वों की पहचान करनी पड़ती है जो विपणन मिश्रण को प्रभावित करती है तथा इसके पश्चात विपणन प्रबन्धक को उन नीतियों, विधियों, क्रियाओं एवं व्यूह रचनाओं को निर्धारित करना पड़ता है जिनका उपयोग कर विपणन कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता है। इसके लिए विपणन प्रबन्धक को विपणन मिश्रण के प्रत्येक घटक के बारे में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं क्योंकि प्रत्येक घटक दूसरे से भिé होता है तथा एक घटक दूसरे घटक पर प्रभाव डालता है एवं दूसरे घटक से प्रभावित होता है। ऐसे निर्णयों में कुछ निर्णय निम्न प्रकार के हो सकते है:
  1. उत्पाद मिश्रण में कौन-कौन से उत्पाद होंगे। 
  2. उत्पाद मिश्रण में सम्मिलित उत्पाद रेखाएँ एवं प्रत्येक उत्पाद रेखा में सम्मिलित उत्पादों की संख्या। 
  3. उत्पाद को जोड़ना या घटाना। 
  4. मध्यस्थों की संख्या एवं उनके प्रकार। 
  5. उत्पादों के मूल्य सम्बन्धी निर्णय 
  6. उत्पादो के भण्डारण एवं परिवहन से सम्बन्धित निर्णय। 
  7. विक्रय संवर्द्धन से सम्बन्धित निर्णय, 

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