पैकेजिंग का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएँ, कार्य, लाभ या महत्व

पैकेजिंग का महत्व बढ़ता जा रहा है। पैकेजिंग एक ओर तो उत्पाद को सुरक्षा प्रदान करता है और दूसरी ओर, इसके आकर्षण में वृद्धि करता है। सामान्य अर्थ में पैकेजिंग से आशय किसी उत्पाद को किसी अन्य वस्तु में सुरक्षा के साथ रखा जाना है अथवा लपेटा जाना है तथा उसके बाहरी आवरण पर उत्पाद का नाम एवं ब्राण्ड आदि चिन्हित किया जाना है

पैकेजिंग का अर्थ

पैकेजिंग का अर्थ किसी वस्तु को किसी में बन्द करने एवं ढ़कने की क्रिया से है ताकि वह सुरक्षित रह सके एवं एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जायी जा सके। पैकेजिंग को संवेष्टन के नाम से भी जाना जाता है। 

पैकेजिंग में वे सभी क्रियाए सम्मिलित है जो किसी उत्पाद के लिए किसी पात्र या डिब्बे या आवरण की रूपरेखा बनाने तथा उनका निर्माण करने से सम्बन्ध रखती है। ऐसे पात्र, डिब्बे या आवरण का निर्माण लकड़ी, धातु, प्लास्टिक, कागज, काँच अथवा किसी अन्य पदार्थ से किया जा सकता है।

पैकेजिंग की परिभाषा

पैकेजिंग का अर्थ भिन्न-भिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से लगाया है। इस सम्बन्ध में कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्न प्रकार हैं-

स्टेन्टन के अनुसार ‘‘पैकेजिंग में सभी क्रियाएँ सम्मिलित है जो किसी उत्पाद के लिए पात्र या डिब्बे या आवरण का डिजाइन तैयार करने तथा उसका निर्माण करने हेतु की जाती है।’’
 
फिलिप कोटलर के अनुसार, ‘‘किसी उत्पाद के लिए पात्र या डिब्बा डिजाइन करने तथा निर्माण करने की सभी क्रियाएँ पैकेजिंग है।’’
 
प्रो. आर.एस. डावर के अनुसार, ‘‘पैकेजिंग वह कला या विज्ञान है जो एक उत्पाद का किसी कन्टेनर में बन्द करने या कन्टेनर को उत्पाद के पैंकिंग के उपयुक्त बनाने हेतु सामग्रियों, विधियों एवं उपकरणों के विकास तथा उपयोग से सम्बन्धित है ताकि वितरण की विभिन्न अवस्थाओं के दौरान उत्पाद पूर्णत: सुरक्षित रहे।

प्रो. विलियम जे. स्टाण्टन के अनुसार, ”पैकेजिंग को वस्तु-नियोजन की उन सामान्य क्रियाओं के समूह की परिभाषित किया जा सकता है जिसमें किसी वस्तु के लिए लपेटने या आधानपत्रा का उत्पादन करने और उनका डिजाइन बनाने से सम्बन्धित हैं।’’ 

प्रो. आर. एस. डावर के शब्दों में, ”पैंकेजिंग वह कला और/या विज्ञान है जो एक वस्तु को किसी आधानपत्रा में बन्द करने या आधानपात्रा को वस्तु के संवेष्ठन के उपयुक्त बनाने हेतु सामग्रियों, ढंगों और साज-सज्जा के विकास एवं प्रयोग से सम्बन्धित है जिससे वस्तु वितरण की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते समय पूर्ण रूप से सुरक्षित रहे।’’ 

मैसन व रथ के मत में, ”आधानपात्रा व लपेटने वाले सामान का उपयोग पैकेजिंग है जिसमें लेबिल लगाना व सजाना भी शामिल है जिससे वस्तु सुरक्षित रहे, उसकी बिक्री करने में सहायता मिले तथा उस वस्तु को उपभोक्ता के द्वारा काम में लाने में सुविधा रहे।’’

पैकेजिंग की विशेषताएँ

  1. यह किसी उत्पाद अथवा वस्तु को किसी में बन्द करने एवं ढ़कने की क्रिया है। 
  2. यह उत्पाद नियोजन की सामान्य क्रियाओं का समूह है। 
  3. पैकेजिंग का सम्बन्ध किसी उत्पाद के लिए लपेटने अथवा रेपर का निर्माण करने एवं उनका डिजाइन बनाने से है। 
  4. यह कला एवं विज्ञान है।
  5. यह एक नया व्यवहार एवं अपूर्व संवर्द्धनात्मक तकनीक है। 
  6. यह सम्बन्धित उत्पाद को ग्राहकों अथवा उपभोक्ताओं तक सुरक्षित पहुँचाने का माध्यम है। 
  7. इसमें ब्राण्डिंग एवं लेबलिंग की क्रियाएँ स्वत: ही सम्मिलित हो जाती हैं क्योंकि लेबल पैकेज पर लगाया जाता है तथा ब्राण्ड प्राय: लेबल पर लगी होती है।

पैकेजिंग के कार्य

पैकेजिंग का मुख्य कार्य वस्तु को सुरक्षित पहुँचाना है। पैकेजिंग के प्रमुख कार्य इस प्रकार है -
  1. पैकेजिंग उत्पाद पहचान का कार्य करती है।
  2. पैकेजिंग का मुख्य कार्य धूल, मकोड़े, नमी व टूट फूट से सुरक्षा
  3. प्रदान करना है।
  4. पैकेजिंग उत्पाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने, स्टाक करने व उपभोग करने में सुविधा प्रदान करती है।
  5. पैकेजिंग से विक्रय संवर्धन का काम सरल हो जाता है।

पैकेजिंग के लाभ या महत्व

  1. लोग के स्वास्थ्य के प्रति अधिक सचेत होने के कारण वे पैक्ड वस्तुएं खरीदना पसंद करते हैं। क्योंकि इनमें मिलावट की सम्भावना कम होती है। 
  2. पैकेज के रंग, पदार्थ व आकार के कारण विक्रेता उत्पाद की क्वालिटी में अन्तर को जान सकता है।

पैकेजिंग के प्रकार

पैकेजिंग के तीन प्रकार होते है। दूसरे शब्दों में, पैकेजिंग का तीन भागों में वर्गीकरण किया जा सकता है,

1. प्राथमिक पैकेज - प्राथमिक पैकेज वह डिब्बा या आवरण है जिसमें किसी उत्पाद को सर्वप्रथम रखा जाता है या लपेटा जाता है। उदाहरणार्थ, किसी चाकलेट या टॉफी को सर्वप्रथम एक आवरण में लपेटा जाता है अथवा ठण्डे पेय पदार्थ को किसी काँच या प्लास्टिक या धातु के डिब्बे या पात्र में डाला जाता है तो वह उसका प्राथमिक पैकेज है। 

2. मध्यवर्ती पैकेज - मध्यवर्ती पैकेज वह पात्र या डिब्बा है जिसमें किसी उत्पाद को सजाने, सँवारने एवं प्रदर्शित करने या उसके स्थानान्तरण या हस्तान्तरण के दौरान सुरक्षा प्रदान करने हेतु रखा जाता है। उदाहरणार्थ, जब दवाई की बोतल को या टूथपेस्ट की ट्यूब को कार्ड बोर्ड या मोटे कागज के डिब्बे में रखा जाता है तो वह डिब्बा मध्यवर्ती पैकेज है।

3. परिवहन या मार्गस्थ पैकेज - जब किसी उत्पाद के पैकेजो को किसी बड़े डिब्बे या पात्र में रखा जाता है तो उस डिब्बे या पात्र को परिवहन या मार्गस्थ पैकेज कहा जाता है। परिवहन पैकेज भारी-भरकम होता है। 

पैकेजिंग के उद्देश्य 

पैकेजिंग कार्यक्रमों का मूलभूत उद्देश्य फर्म के लाभों में वृद्धि करना, लागतों में कमी करना और ग्राहकों को वस्तु संरक्षण एवं उपयोग में सुविधायें उपलब्ध करना होता है। पैकेजिंग के प्रमुख उद्देश्य निम्नानुसार हैं।

1. उपभोक्ता जरूरतों को पूरा करना-पैकेजिंग द्वारा उपभोक्ताओं की वस्तु-संरक्षण एवं उपयोग-सुविधा सम्बन्धी जरूरतें पूरी की जाती हैं। उपभोक्ता एक स्थान से दूसरे स्थान पर वस्तु को सुविधापूर्वक लाना-ले जाना भी चाहते हैं। उदाहरण के लिए पिकनिक पर जाते हुए उपभोक्ता ट्रान्जिस्टर या रेकाॅर्ड-प्लेयर ले जाना चाहेंगे, अथवा कैमरा ले जाना चाहेंगे। उनकी ये जरूरते तभी पूरी हो सकती हैं, जबकि पैकेजिंग परिवहन एवं उसके दौरान टूट-फूट से बचाव करे। 

2. कुल उपभोक्ता-मांग में वृद्धि करना -विपणन संस्था की दृष्टि से पैकेजिंग का उद्देश्य वस्तु की बिक्री को बढ़ाना होता है। पैकेजिंग के द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति भली प्रकार की जा सकती है। पैकजिंग उत्पाद-परिचय देता है तथा उत्पाद के स्मरण में ग्राहकों को सहयोग करता हैं। अनेक संस्थाओं का स्पष्ट कहना है कि हम वर्षों से केवल पैकेज-परिवर्तन ही कर सके हैं। पैकेजिंग विक्रय सन्देश ग्राहकों तक पहुंचाता है और उन्हें क्रय निर्णय लेने में सहयोग करता है जिससे उपभोक्ता-मांग बढ़ती है। 

3. विद्यमान उपभोक्ता मांग का अनुकूल पुनर्वितरण करना-पैकेजिंग का अन्य उद्देश्य किसी संस्था के उत्पाद की गिरती हुई दशा को सुधारना एवं विद्यमान मांग को अपने अनुकूल पुनर्वितरित करना भी होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु नये, आकर्षक एवं पुनः प्रयोग-योग्य पैकेज काम में लिये जाते हैं। 

4. वितरण के दौरान वस्तु संरक्षण एवं लागतों में कमी करना-उत्तम पैकेजिंग उत्पादन केन्द्र से उपभोक्ता-केन्द्रों तक वस्तु के परिवहन में वस्तु की पूरी सुरक्षा करता है, उसे धूल, पानी, नमी, कीड़ों-मकोड़ों एवं मिलावट से बचाता है और टूट-फूट से उसका बचाव करता है ताकि वस्तु खराब नहीं होती है, छीजन नहीं हो पाता है और बदलने या उसकी कीमत में कमी नहीं करनी पड़ती है। ये बचतें वितरण लागत में कमी कर देती हैं। 

5. उत्पाद व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करना-पैकेजिंग का अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य उत्पाद व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करना है और उत्पाद की छवि को समुन्नत बनाना है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि पैकेजिंग का कार्य उत्पाद के व्यक्तित्व का निर्माण करना नहीं है। जिस प्रकार उत्तम सौन्दर्य-प्रसाधन एक सुन्दर लड़की के व्यक्तित्व को निखार देते हैं उसी प्रकार, उत्तम पैकजिंग उत्पाद की छवि एवं उसके व्यक्तित्व को नाटकीय किन्तु सरलता से पहचान-योग्य रूप में अभिव्यक्त कर देता है।

अच्छे पैकेजिंग की विशेषताएं

एक अच्छे पैकेज में ये विशेषताएं होनी चाहिए-
  1. उत्पाद की पूर्ण सुरक्षा कर सके।
  2. उत्पाद छवि में सुधार करें।
  3. उत्पाद के उपयोग के बाद भी उपयोगी सिद्ध हो, जैसे- डालडा या रथ घी के डिब्बे उपयोग के बाद अन्य घरेलू वस्तुओं को रखने में काम में लाये जा सकते हैं।
  4. पैकेज ऐसा हो जो उत्पाद बेचने के बाद भी उपभोक्ता स्मरण करता रहे, ताकि दुबारा बेचा जा सके।
  5. पैकेज ऐसा हो जिससे उत्पाद को लाने ले जाने में सुविधा हो।
  6. पैकेज ऐसा हो जो लोगों का ध्यान आकर्षित करे ।
  7. पैकेज ऐसा हो जिसे आसानी से पहचाना जा सके एक बार देखने के बाद ग्राहक उसे तत्काल पहचान सके।
  8. जो ग्राहक के मन में उत्पाद के प्रति रूचि पैदा कर सके और उसे बनाये रखे।
  9. पैकेज ऐसा हो जिसे देखकर ग्राहक के मन में उत्पाद को प्राप्त करने की इच्छा जाग्रत हो ।
  10. ग्राहक को उत्पाद को खरीदने के लिए बाध्य करें।

पैकेजिंग की भूमिका

उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से पैकेजिंग की भूमिका को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है।

निर्माताओं के लिए 

  1. पैकेजिंग से उत्पाद को सुरक्षा मिलती है। इन्हें धूल, मिट्टी, कीड़े-मकोड़े एवं चोरी आदि से बचाया जा सकता है। 
  2. पैकेजिंग के पश्चात मिलावट सम्बन्धी दोषों से मुक्ति मिल जाती हैं। 
  3. निर्माता, बिक्री उत्पादों को गोदाम तक भण्डारण कर सकता है। 
  4. पैकेजिंग से उत्पाद का स्वत: विज्ञापन हो जाता है। 
  5. पैकेजिंग से उपभोक्ता आकर्षित होता है जिससे उत्पाद की बिक्री बढ़ने से उत्पादक एवं निर्माता के लाभों में वृद्धि होती है। 
  6. पैकेजिंग से उत्पादक द्वारा विक्रेता को वस्तुएँ बेच दी जाती हैं, किन्तु विक्रेता आसानी से पुनर्विक्रय कर सकता है। 
  7. वस्तु की प्रकृति के अनुसार पैकिंग सामग्री एवं कन्टेनर्स का उपयोग किया जाता है जिससे उत्पाद-विभेद करने में आसानी होती है। 

मध्यस्थों के लिए

  1. माल को उठाने, ले जाने एवं रखना आदि। 
  2. वस्तुओं को भण्डार में सुरक्षित भी रखा जा सकता है। 
  3. पुनर्विक्रय सहज हो जाता है क्योंकि मध्यस्थों द्वारा थोक में विक्रय करने पर पैकेज को आसानी से उठाकर दिया जा सकता है। 
  4. पैक की गई वस्तुएँ स्वयं विज्ञापन का कार्य करती है। इसका कारण यह है कि जब तक वह पैकेज सुरक्षित रहेगा, वह बार-बार वस्तु का स्मरण करता रहेगा। 
  5. ग्राहकों को दिखाने में सुविधा रहती है।
  6. उत्पाद की अधिक बिक्री से मध्यस्थ के लाभ बढ़ जाते हैं।

उपभोक्ता के लिए

  1. उसमें मिलावट की सम्भावना नहीं रहती है। 
  2. उत्पाद को लाने, ले जाने तथा उठाने में सुविधा रहती है।
  3. वस्तुओं को बनाने में कौन-सी सामग्रियाँ, कितनी प्रयुक्त की गयी, क्या मूल्य, उपयोग में कैसे लाया जाये, क्या सावधानी बरती जाये आदि।
  4. उपभोक्ता उचित मूल्य का भुगतान कर सकता है क्योंकि पैकेज पर मूल्य अंकित रहता है। 
  5. उत्पादक अथवा निर्माता कौन है, उपयोग करते समय क्या-क्या सावधानियाँ बरती जाय, कितने समय की गारन्टी है एवं रख-रखाव का तरीका क्या हो, आदि। 
  6. पैकेज में रखी वस्तुएँ में रखी वस्तुएँ धूल, मिट्टी एवं अन्य पदार्थो से नष्ट होने से बच जाती है। 

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