शाब्दिक संचार क्या है?
जो संचार शब्दों की सहायता से हो, शाब्दिक कहलाता है। यह मौखिक, लिखित या मुद्रित हो सकता है। यदि दो या अधिक लोगों के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध हो और शब्दों के माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान हो रहा हो तो वह शाब्दिक संचार है।
यहां हम लोग मौखिक संचार के बारे में बात करेंगे। एक अच्छा वक्ता बनने के लिए किसी भी व्यक्ति में खूबियां होना आवश्यक है:
यहां हम लोग मौखिक संचार के बारे में बात करेंगे। एक अच्छा वक्ता बनने के लिए किसी भी व्यक्ति में खूबियां होना आवश्यक है:
- स्पष्ट आवाज,
- सही गति से बोल पाने की योग्यता,
- एक अकेले श्रोता से लेकर हजारों की भीड तक को संबोधित कर सकने का आत्मविश्वास,
- अशाब्दिक भाव-भंगिमाएं किस प्रकार श्रोताओं की प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं, इसकी जानकारी होना,
- जब कोई दूसरा बोल रहा हो तो उसे बीच में न तो काटें और न ही उसमें विघ्न डालें। यानी आपमें दूसरों को सुनने की योग्यता होनी चाहिए। दूसरों की बात ध्यान से सुनें और फिर अपने जवाब भी तैयार कर लें,
- श्रोताओं की रुचि पैदा करने के लिए अलग-अलग लय में बोलने की योग्यता।
- इसमें प्रतिपुष्टि त्वरित होती है।
- सूचनाओं को शीघ्रता से सामने वाले के पास पहुंचाया जा सकता है।
- कर्मचारियों के बीच सहयोग की भावना बलवती होती है।
- हालांकि इस प्रकार के संचार के कुछ नुकसान भी हैं।
- यदि संचार के प्रतिभागी अकुशल हैं तो लोगों की भीड के सामने बोलना उनके लिए काफी डरावना सिद्ध हो सकता है।
- वहीं अशाब्दिक संचार का बहुत कम प्रयोग भी ज्यादा लाभदायक नहीं होता।
- दूसरे व्यक्ति तक सूचना का तत्काल स्थानांतरण,
- उनका प्रयोग आसान है और लगभग हर जगह आसानी से मिल जाते हैं,
- प्रतिपुष्टि तुरंत मिल जाती है,
- इस सेवा की दरें भी काफी किफायती होती हैं।
- मोबाइल के बढते प्रचलन ने तो इस लाभ को और भी बढा दिया है, क्योंकि इस पर व्यक्ति को कभी भी कहीं भी संपर्क किया जा सकता है। लेकिन इस माध्यम के साथ भी कुछ नुकसान जुडे हुए हैं।
- प्रेषक और प्रापक एक-दूसरे की अशाब्दिक भाषा का अध्ययन नहीं कर सकते।
- व बातचीत का कोई औपचारिक रिकार्ड इत्यादि नहीं रखा जाता तो कोई इस बात को साबित नहीं कर सकता कि किसी ने कब क्या कहा था। (कुछ विशेष मामलों में फोन टेपिंग यह सुविधा उपलब्ध करवाती है।)
एक अच्छा वक्ता बनने के लिए सुझाव
- दमदार बोलिए: यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी आवाज इतनी तेज है कि सभी श्रोता उसे आसानी से सुन सकें। यदि आप सिर्फ एक व्यक्ति से ही बात कर रहे हैं तो चिल्लाने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि लोगों की भीड को संबोधित करना है तो आपको सामान्य से थोडा ऊंचा बोलना पडेगा।
- स्पष्ट आवाज: शब्दों को अपने मुंह में ही मत चबाइए। शब्दों का सही उच्चारण सीखने के लिए अभ्यास करें। यदि आपको बुदबुदाने की आदत है और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपने दोस्तों व परिजनों से कहिए कि आप जब भी ऐसा करें वे टोक दें। ऐसा करने से आप इस चीज को ठीक करने के लिए और जोश से काम करेंगे।
- गति कम रखिए : आपको इतनी धीमी गति से भी नहीं बोलना कि लोग सोने ही लग जाएं और इतने तेज वेग से भी नहीं चलना कि आपके बोले गए शब्दों का अर्थ ही लोगों को समझ में न आए। यदि आप चाहते हैं कि श्रोता आपके सभी शब्दों को ध्यान से सुनें तो अपनी गति को सही तारतम्यता देने का अभ्यास करें। जब आप मौखिक संचार कौशल विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं तो इन चीजों की उपेक्षा करने की कोशिश करें:
- आक्रामक न हों : शांत रहें। गुस्से में आकर आप अपनी बात को ज्यादा प्रभावी ढंग से नहीं कह सकते, लेकिन यदि शांत रहकर कहा तो इसका प्रभाव काफी ज्यादा होगा।
- बोरियत पैदा न करें : श्रोताओं को अपनी बातों की तरफ आकर्षित करने के लिए जरूरी है कि आपका मौखिक संचार उबाऊ न हो। अपनी आवाज में उतार-चढाव लाकर काफी हद तक लोगों की बोरियत दूर की जा सकती है।
एक अच्छा श्रोता बनने के लिए सुझाव
- शांत रहें : जब आपसे सुनने की उम्मीद की जाती है, उस समय न बोलें। सिर्फ बोली गई बातों को ध्यान से सुनें। विचलित न हों : सुनने के समय पर आपसे उम्मीद की जाती है कि आप ध्यान से सुनें। अपनी बारी आने पर आप उनमें से कुछ चीजों पर सवाल भी उठा सकते हैं। यदि सुनते वक्त ध्यान भंग हो गया तो यह सब नहीं हो पाएगा। अत: लोगों की बातों को सुनने और समझने की योग्यता विकसित करें।
- अपनी भूमिका पहचान ें: आप अपनी भूमिका के प्रति विश्वस्त नहीं हैं कि सामने वाला व्यक्ति आपसे संचार में किसी योगदान की अपेक्षा कर रहा है या फिर वह आपसे सिर्फ सुनने की अपेक्षा कर रहा है, तो उससे पूछें।
- बिना मांगी सलाह न दें: जब कोई व्यक्ति आपसे सुनने को कहता है तो वे मौका ताड रहे होते हैं कि कोई व्यक्ति उन्हें सुने। यदि वह आपकी सलाह चाहता है तो मांगेगा। किसी को बिना मांगी सलाह न दें।
- समस्या समाधानक न बनें: कई लोगों की आदत होती है कि वे दूसरों की समस्याओं के समाधान में ज्यादा रुचि लेते हैं। क्या किया जाए? इस पर यदि कोई आपसे सलाह मांगता है तो बोलें, अन्यथा चुप रहें। यदि कोई वक्ता बीच में आपसे किसी समस्या के समाधान के बारे में पूछता है तो उसके जानने का मकसद होता है कि आप कितना ध्यान से सुन रहे हैं। बिना किसी के मांगे समाधान प्रस्तुत करना शुरू न करें
- किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं: सबको अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अधिकार है। आपको कोई हक नहीं बनता कि आप किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं।
- शांतचित्त बनें रहें: यदि कोई व्यक्ति आपसे चिल्ला कर बात कर रहा है तो आप भी उसके साथ चिल्लाना शुरू न करें। उन्हें कुछ वक्त दें और शांत करने की कोशिश करें। इसके बाद ही वार्तालाप शुरू करें।