Showing posts from November, 2018
यदि परिभाषित करें तो अधिवास मानवीय बसाहट का एक स्वरूप है जो एक मकान से लेकर नगर तक हो सकता है। अधिवास से एक और पर्याय का बोध होता है-क्योंकि अधिवास में बसाहट एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत पूर्व में वीरान पड़े हुए क्षेत्र में मकान बना कर लो…
व्यक्तियों के एक स्थान से दूसरे स्थान में जाकर बसने की क्रिया को प्रवास कहते हैं। इसके कई प्रकार हो सकते हैं। किसी दूसरे स्थान में आकर बसावट की प्रकृति के आधार पर इस प्रवास को (i) स्थाई अथवा (ii) अस्थाई कह सकते हैं। स्थाई प्रवास मेंं आए हुए व्यक्ति बस…
भारत में आधुनिक औद्योगिक विकास का प्रारंभ मुंबई में प्रथम सूती कपड़े की मिल की स्थापना (1854) से हुआ। इस कारखाने की स्थापना में भारतीय पूँजी तथा भारतीय प्रबंधन ही मुख्य था। जूट उद्योग का प्रारंभ 1855 में कोलकाता के समीप हुगली घाटी में जूट मिल की स्था…
जल राष्ट्रीय अमूल्य निधि है। सरकार द्वारा जल संसाधनों की योजना, विकास तथा प्रबंधन के लिए नीति बनाना आवश्यक है, जिससे पृष्ठीय जल और भूमिगत जल का न केवल सदुपयोग किया जा सके, अपितु भविष्य के लिए भी जल सुरक्षित रहे। वर्षा की प्रकृति ने भी इस ओर सोचने के ल…
वर्षा जल संग्रहण का सामान्य अर्थ वर्षा के जल को एकत्रित करने से है। विशेष अर्थों में यह भूमिगत जल के पुनर्भरण बढ़ाने की तकनीक है। इस तकनीक में जल को बिना प्रदूषित किए स्थानीय रूप से वर्षा जल को एकत्रित करके जल को भूमिगत किया जाता है। इससे स्थानीय घरेल…
पौधों की जातियों, जैसे पेड़ों, झाड़ियों, घासों, बेलों, लताओं आदि के समूह, जो किसी विशिष्ट पर्यावरण में एक दूसरे के साहचर्य में विकसित हो रहे हैं, को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं। भारत में प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार आर्द्र उष्णकटिबन्धीय सदाहरित एवं…
पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत को मृदा कहते हैं। यह अनेक प्रकार के खनिजों, पौधों और जीव-जन्तुओं के अवशेषों से बनी है। यह जलवायु, पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं और भूमि की ऊँचाई के बीच लगातार परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप विकसित हुई है। इनमें से प्रत्येक घटक क्षेत्र…
भूमि संसाधन क्या है? भूमि हमारा मौलिक संसाधन है। ऐतिहासिक काल से हम भूमि से ईधन, वस्त्र तथा निवास की वस्तुएं प्राप्त करते आए हैं। इससे हमें भोजन, निवास के लिए स्थान तथा खेलने एवं काम करने के लिए विस्तृत क्षेत्र मिला है। यह कृषि, वानिकी, पशुचारण, मत्स्…
जब जल तरल (जल बिन्दुओं) या ठोस (हिमकणों) रूप में धरातल पर गिरता है तो उसे वर्षण कहते हैं। वायु में संघनन की सतत प्रक्रिया के परिणामस्वरूप जल बिन्दुओं या हिम कणों का भार अधिक व आकार बड़ा हो जाता है तथा वे वायु में तैरते हुये रूक नहीं पाते तो पृथ्वी के …
जलवाष्प के धनीभवन होकर जल में बदलने की प्रक्रिया संघनन (Condensation) कहलाती है। वाष्पीकरण में जल से वाष्प बनाती है जबकि संघनन में वाष्प से जल रुप में परावर्तित होता है। संघनन वायुमण्डल में उपस्थित सापेक्षिक आर्द्रता की मात्रा पर निर्भर करता है। जलवाष…
पृथ्वी के सभी जलीय भागों जैसे समुद्र, झील तालाब, नदी आदि से हर तापमान पर वाष्पीकरण होता रहता है। जल के तरल से गैसीय अवस्था में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं। एक ग्राम जल को जलवाष्प में परिवर्तित करने के लिए लगभग 600 कैलोरी ऊर्जा का…
वायुदाब के अन्तर के कारण क्षैतिज रूप में चलने वाली वायु को पवनें कहते हैं। जब वायु ऊध्र्वाधर रूप में गतिमान होती है तो उसे वायुधारा कहते हैं। पवनों के प्रकार धरातल पर चलने वाली पवनों को स्थूल रूप से तीन वर्गों में रखा जाता है। भूमण्डलीय या स्थाई…
वायुमंडल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण उसके चारों ओर लिपटा रहता है। वायु का एक स्तम्भ जो धरातल पर अपना भार डालता है उसे वायुदाब या वायुमंडलीय दाब कहते हैं। वायुमंडलीय दाब को वायुदाब मापी यंत्रा (बेरोमीटर) से मापा जाता है। आजकल वायुमंडलीय दाब को माप…