मिस्र सभ्यता की लिपि कौन सी थी ?

मिस्र को अकसर नील नदी का तोहफा कहते हैं, जो बिल्कुल सही है। हर साल नदी में बाढ़ आती और उसके किनारे जनमग्न हो जाते। वहां गाद की एक मोटी तह जमा हो जाती, जो जमीन को बेहद उपजाऊ बना देती। इस तरह वहां बारिश नही के बराबर होने के बावजूद किसान अच्छी फसल उपजाते। प्राचीन मिस्रवासियों ने बढ़िया सिंचाई प्रणाली भी विकसित कर ली थी। 

ईसा पूर्व 3100 तक मिस्र एक राजा के अधीन आ गया था। मिस्रवासी अपने राजा को भगवान मानते थे। मिस्री राजाओं को फराओं कहा जाता है। वे देश पर राज करते और साम्राज्य की स्थापना के लिए जंग लड़ते। फराओं की सेवा में मंत्राी और अधिकारी थे। वे जमीन का प्रशासन चलाते और राजा के आदेश के अनुसार कर वसूलते। समाज में पुरोहितों का भी एक ऊंचा और सम्मानजनक स्थान था। हर कस्बे या शहर में मंदिर एक खास देवता को समर्पित होते। प्राचीन मिस्री लिपि को चित्रालिपि या चित्राक्षर कहते हैं। व्यापारी और सौदागर समुद्री तथा जमीनी दोनों तरह के व्यापार करते थे। 

मिस्र में संगतराश, बढ़ई, लोहार, चित्रकार, कुम्हार जैसे कुशल मजदूर थे। प्राचीन मिस्रवासियों को गणित की खासकर रेखागणित की अच्छी जानकारी थी। उन्हें मापतोल की भी खासी जानकारी थी।

हिरोग्लिफिक्स लिपि
हिरोग्लिफिक्स लिपि

फराओं ने प्राचीन विश्व के महान स्मारक पिरामिड बनवाए। मिस्रवासी मौत के बाद जिंदगी पर यकीन करते थे और इसलिए उन्होंने शवों को संरक्षित रखा। इन संरक्षित शवों को ममी कहा जाता है। पिरामिड को मृत राजाओं के ममी किए गए शवों को रखने के लिए मकबरों के रूप में बनाया गया था।

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