Showing posts from March, 2019
वर्तमान शताब्दी के प्रथम चतुर्थांश तक सन्तुलित और अतिरेक का बजट आदर्श बजट माना जाता था। परन्तु आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में विकास प्रक्रिया की विभिन्न आर्थिक और कल्याणकारी क्रियाओं में राज्य का एक समर्थ अभिकर्ता के रूप में प्रवेश होने के कारण सम्प्रति उ…
जब सार्वजनिक आय की तुलना में सार्वजनिक व्यय अधिक होता है तथा इस सार्वजनिक व्यय की पूर्ति सार्वजनिक ऋण लेकर की जाती है, जिसे सार्वजनिक ऋण कहते हैं। सरकार जब सार्वजनिक व्यय सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति करारोपण के द्वारा नहीं कर पाती है। तथा घाटे की वित्त…
सामान्यत: दी जाने वाली सार्वजनिक बजटिंग की अवधारणा को परम्परागत बजटिंग से ही सम्बन्धित किया जाता रहा है। आपको यहाँ यह समझने में आसानी होगी कि परम्परागत बजटिंग के अन्तर्गत उन विधियों, व्ययों तथा मदों को सामान्य रूप से शामिल किया जाता है जिन्हें विगत व…
उत्पादक कर की राशि थोक विक्रेता से वसूल लेता है, थोक विक्रेता फुटकर विक्रेता से वसूल लेता है कर के टालने की इस प्रक्रिया को कर-विवर्तन कहते है। कर विवर्तन क्या है? कर विवर्तन उस क्रिया को कहा जाता है जिसके द्वारा कर का आंशिक या कुल भार एक व्यक्ति से …
कर के टालने की प्रक्रिया जब समाप्त हो जाती है और जिस व्यक्ति पर इसका भार अन्त में, पड़ता है उस व्यक्ति पर करापात हुआ माना जाता है। उपभोक्ता पर करापात होता है। जब सरकार किसी व्यक्ति या संस्था पर कर लगाती है तो वह व्यक्ति या संस्था उस कर की राशि को स्व…
कराकरोपण अर्थव्यवस्था के समस्त मुख्य भागों को प्रभावित करता है। कार्य करने की क्षमता एवं इच्छा पर करारोपण का प्रभाव करारोपण की प्रकृति के आधार पर पड़ता है जो उसी दिशा में उत्पादन को प्रभावित करता है। बचत करने की क्षमता तथा इच्छा का उत्पादन से सीधा सम्…
करारोपण एक अत्यन्त प्राचीन अवधारणा है। सरकारों को अपने सार्वजनिक कार्यों को सम्पन्न करने के लिए करारोपण द्वारा अनिवार्य रूप से कुछ धनराशि बसूली जाती है जिसे जनता द्वारा अदा किया जाता है। करारोपण का निर्धारण सरकारों द्वारा मनमाने ढंग से नहीं किया जा सक…