Showing posts from July, 2020
वैदिक वाड़्मय में मानव जाति के आदि पिता प्रजापति के रूप में मनु का उल्लेख मिलता है। इसमें मनु का अर्थ मनुष्य से किया गया है। मनु में पिता शब्द जुड़ा हुआ है जिससे यह अनुमान किया गया है कि मनुष्य के पिता मनु हुये जिन्होंने सृष्टि को उत्पन्न किया तथा मनु…
तुलसीदास भक्त कवि हैं। ‘मूलगोसाइर्ंचरित’ में तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 (1497 ई.) में माना गया है। विल्सन तथा गार्सा द तासी ने उनका जन्म संवत् 1600 (1543 ई.) में माना है। डा. ग्रियर्सन आदि ने तुलसीदास का जन्म संवत् 1589 (1532 ई.) माना है तथा इसे ही स…
कुपोषण पोषण वह स्थिति है जिसमें भोज्य पदार्थ के गुण और परिणाम में अपर्याप्त होती है। आवश्यकता से अधिक उपयोग द्वारा हानिकारक प्रभाव शरीर में उत्पन्न होने लगता है तथा बाहृा रूप से भी उसका कुप्रभाव प्रदर्शित हो जाता है। जब व्यक्ति का शारीरिक मानसिक विकास…
मानव संसाधन प्रबंधन की अवधारणा प्रबंधन के क्षेत्र की एक नूतन अवधारणा है और यह आज सर्वाधिक प्रचलित अवधारणा के रूप में देखी जाती है। आरम्भ में यह अवधारणा रोजगार प्रबंधन, कार्मिक प्रबंधन, औद्योगिक सम्बन्ध, श्रम कल्याण प्रबंधन, श्रम अधिकारी, श्रम प्रबंधक…
Vitamins का आविष्कार C. Funk ने 1911 में किया था। यह एक ऐसा कार्बनिक यौगिक है जिससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त नहीं होती है। (वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा देते है।)। शरीर का पदार्थों से ऊर्जा प्राप्त करने का क्रम-1. कार्बोहाइड्रेट 2.वसा 3.प्र…
साम्प्रदायिक शब्द की उत्पत्ति समूह अथवा समुदाय से हुई है, जिसका अर्थ होता है व्यक्तियों का ऐसा समूह जो अपने समुदाय को विशेषरूप से महत्व देता है या अपने धर्म या नस्लीय समूह को शेष समाज से अलग हटकर पहचान देता है। एक सम्प्रदाय के दूसरे सम्प्रदाय के विरुद…
व्यापारिक क्रांति ने एक नवीन आर्थिक विचारधारा को जन्म दिया। इसका प्रारंभ सोलहवीं सदी में हुआ। इस नवीन आर्थिक विचारधारा को वाणिज्यवाद, वणिकवाद या व्यापारवाद कहा गया है। फ्रांस में इस विचारधारा को कोल्बर्टवाद और जर्मनी में केमरलिज्म कहा गया। 1776 ई. मे…
अस्तित्ववाद बीसवीं सदी का दर्शन है हालांकि यह संज्ञान में काफी पहले आ गया था। अस्तित्ववाद से हमारा परिचय साहित्यिक आंदोलन के रूप में होता है। अस्तित्ववाद में सिद्धांत व विचार की अपेक्षा व्यक्ति के अस्तित्व को महत्व दिया गया। वह उन सभी मान्यताओं, सिद्ध…
ग्राम सभा एक ऐसी अवधारणा है जो सामान्य जन की आवश्यकताओं एवं इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करती है और जाति, धर्म, लिंग, वर्ग, राजनीतिक प्रतिबद्धता पर विचार किए बिना ग्रामीण समुदाय को सन्दर्भित करती है। यह आमजन की सर्वोच्चता को स्थापित करती है। ग्राम सभा स्था…