Propaganda प्रोपेगेंडा का क्या अर्थ है?

प्रोपेगेंडा शब्द अंग्रेजी शब्द 'Propaganda' का हिन्दी रूपान्तर है। यह शब्द लैटिन भाषा के ‘propagare’ शब्द से निकला है , जिसका अर्थ उगाना, बढ़ाना या विकास करना है। प्रोपेगेंडा शब्द का उदभव लैटिन भाषा के प्रोपेगेटस से हुआ है, जिसका अर्थ है जारी रखना। यहां जारी रखने से तात्पर्य किसी भी संदेश को लगातार जारी रखने से है। किसी जानकारी को अधिक से अधिक प्रसारित करने के साथ साथ जब यह भी प्रयत्न हो कि जनता प्रसारित संदेश को न केवल स्वीकार करें अपितु उसके अनुरूप कोई कदम भी उठाएं या करवाई भी करें तो यह प्रक्रिया सूचना या प्रकाशन से एक कदम आगे प्रचार या प्रोपेगंडा कहलाती है। जब किसी सूचना का प्रचार प्रसार किसी साज़िश या फिर अति से ज्यादा हो जाये तो सम्प्रचार या प्रोपेगंडा कहा जा सकता है।

उदाहरण के लिए-शहर में अर्द्ध सौनिक बलों की भर्ती चल रही है। रेडियो व दूरदर्शन द्वारा बताया गया कि फलां जगह पर फलां तारीख तक अर्द्ध सैनिक बलों की भर्ती चल रही है तो यह है सूचना। इसके नियमों आदि के साथ विस्तृत जानकारी बार बार दी गई तो वह है प्रचार और यदि उसके साथ यह भी बताया जाए कि देश की रक्षा, आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए यह किया जा रहा है और इसके लिए चुने गए उम्मीदवारों को निर्धारित वेतन के साथ भणे भी दिए जाएंगे, आजीवन पेंशन दी जाएगी, यात्रा भाडे़ में छूट मिलेगी आदि तो अर्थ है कि आप लोगों को प्रेरित कर रहे हैं यह कहलाएगा प्रोपेगंडा।

सन 1633 ई. मिशनरी के कार्यों के प्रचार के लिए इस शब्द का प्रयोग किया गया । प्रोपेगंडा को मानवीय सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए अष्टम पोप के द्वारा सर्वप्रथम किया गया। इसका उद्देश्य रोमन कैथोलिक के विश्वासों का प्रचार करना था। इसमें प्रोपेगंडा का मतलब सिर्फ उपदेश देने के लिए किया गया था। 

प्रोपेगंडा का अभिप्राय लोगों के विश्वास एवं विचारों में परिवर्तन लाना है तथा उसे क्रियात्मक रूप से प्रेषित करना है। 

प्रोपेगेंडा की परिभाषा 

चाल्र्स बर्ड ने इसके विषय में अपना मत व्यक्त करते हुये कहा है, प्रोपेगंडा व्यक्तियों के बड़े समूहों क े प्रति सुझाव का नियोजित तथा क्रमबद्ध उपयोग है, जिसका उद्देश्य उनकी मनोवृणियों को नियन्त्रित करना तथा व्यवहार के पूर्व निर्धारित ढंग को प्राप्त करना है। 

इनसाइक्लोपीडिया ऑफ कम्युनिकेशन के अनुसार, प्रोपेगंडा व्यक्तिगत लाभ के लिए पक्षपात के द्वारा प्रेरित करने का इरादतन किया गया प्रयास है। जैसे चुनाव के समय हर पार्टी बहुमत प्राप्त करने का दावा पेश करती है। 

प्रोपेगंडा के प्रकार

पहला प्रकार विज्ञापन के तौर पर देखा जाता है । अगर कोई संस्था या व्यक्ति विज्ञापन के रूप में प्रोपेगंडा करेगा तो आवश्यक नहीं कि सभी लोग उसको सच मान लें, लेकिन इसमें कुछ सच्चाई है, ऐसा मान लेते है। अर्थात इस तरह का प्रोपेगंडा पूर्णत: सफल तो नहीं होता लेकिन कुछ हद तक असरकारी होता है। 

दूसरा प्रकार के प्रोपेगंडा को विज्ञापन का रूप न देकर समाचार का रूप दिया जाता है, तथा उसका प्रसारण माध्यम की सहायता से कर दिया जाए तो लोग यही कहेंगे कि यह पूर्णत: सत्य है तथा इस आधार पर प्रोपेगंडा के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

राजनैतिक दलों का समाचार पत्रों में चुनाव के दौरान प्रोपेगेंडा

चुनाव राजनेताओं के लिए उनके कैरियर की सबसे पहली सीढ़ी माना जाता है। इसलिए राजनेता अपने चुनाव में ऐसी कोई भी कमी नही छोड़ना चाहते है जिससे चुनाव परिणाम आने के बाद उन्हें कुछ निराशा हाथ लगे। इसलिए राजनेता चुनाव के समय अपने क्षेत्र के समाचार पत्रों में अपनी नीतियों, पार्टी के घोषणा पत्र, चुनावी रैली, जनसम्पर्क, विज्ञापन के माध्यम से जनता के बीच पहुंच बनाते हैं। समाचार पत्र में प्रचार केवल एक व्यक्ति विशेष के लिए नहीं होता है वह एक समूह के लिए किया जाता है। 

 जनसम्पर्क की इस विधा को सामाजिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण भी माना जाता है। समाचार पत्रों में संपादक भी उस सूचना को ज्यादा प्रकाशित करता है जिससे समाचार से ज्यादा लोग जुड़ सकें। क्योंकि प्रचार एक व्यक्ति से एक समूह की तरफ जाता है। समाचार पत्र नेताओं से जुडी हुयी खब़रों को अपने समाचार पत्रों में स्थान भी देते हैं। नेता चाहता है कि वह किसी विपक्षी के खिलाफ बोले हुये प्रत्येक भाषण को अक्षरश: अपने समाचार पत्र में स्थान दें लेकिन चुनाव के समय कुछ आचार संहिता निर्वाचन आयोग और अखबार की आचार सहिंता के अनुरूप ही संपादक अपने समाचार पत्र में राजनेताओं के प्रोपेगेंडा को स्थान देता है।

निर्वाचन अभियान की प्रविधियों में नारों का महत्वपूर्ण स्थान है। अत: नारों का उपयोग व्यापक रूप में किया गया । नारों ने दल व प्रत्याशी के हित में वातावरण तैयार किया है तथा मतदाताओं के मस्तिष्क को नारों में निहित आकर्शण से प्रभावित किया गया है। नारों का चयन राष्टण्ीय, प्रादेशिक व स्थानीय समस्याओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात हुए 1984 के महानिर्वाचन कई दृष्टि में अतिमहत्वपूर्ण था। 

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