पोषक तत्व किसे कहते हैं, और उनके कार्य

भोजन का प्रमुख कार्य स्वस्थ शरीर के विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना है, जो शरीर के विकास एवं विभिन्न क्रियाओं के संचालन हेतु अतिआवश्यक है। भोजन कई रासायनिक पदार्थों के सम्मिश्रण से बना होता है, जो शरीर को पोषण के रूप में प्राप्त होते हैं। लगभग 50 रासायनिक पदार्थ भोजन में उपस्थित रहते हैं, जिन्हें पोषक तत्व कहा जाता है। 

पोषण का हमारे स्वास्थ्य के साथ धनात्मक संबंध है, जिससे शरीर स्वस्थ, चुस्त, फुर्तीला एवं निरोगी रहता है। पोषण से शारीरिक एवं मानसिक कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। 

इस प्रकार ‘‘वह स्थिति जिसमें भोजन में सभी पौष्टिक तत्व व्यक्ति की उम्र, लिंग, अवस्था, शारीरिक एवं मानसिक कार्यक्षमता तथा अन्य आवश्यकता के अनुकूल रहते हैं, पोषण कहलाता है’’।

पोषक तत्व किसे कहते हैं

शरीर को पोषक प्रदान करने वाला भोजन अनेको रासायनिक पदार्थ का संयोजन है। लगभग 50 रासायनिक पदार्थ शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार 6 प्रमुख समूल में बॉट दिये गये है । इन्ही 6 समूह प्रोटीन, कार्बोज, वसा, विटामिन, खनिज, लवण, जल को पौष्टिक तत्वों के नाम से जाना जाता है । "

पोषक तत्व के कार्य

भोजन में सभी पोषक तत्व सही मात्रा, अनुपात व संतुलन में होना आवश्यक होता है। ये विभिन्न प्रकार के 50 पोषक तत्व हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। ग्रहण किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ - अनाज, दालें, सब्जियाँ, फल, दूध, मांस-मछली-अण्डे एवं खाद्य तेल से भी पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। 

इन खाद्य पदार्थों में कई अलग-अलग पोषक तत्व विद्यमान होते हैं। इन पोषक तत्वों को मुख्य रूप से छ: समूहों में विभक्त किया गया है-
  1. कार्बोज
  2. प्रोटीन
  3. वसा
  4. खनिज लवण
  5. विटामिन
  6. जल

पोषक तत्व किसे कहते हैं

1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) -  भोजन में कार्बोहाइडे्रट्स, मोनोसैकराइड्स (Monosaccharides), डाइसैकराइड्स (Disacchrides) एवं पॉलीसैकराइड्स (Polysaccharides) के रूप में पाया जाता है। मोनोसैकराइड्स शर्करा का सरलतम रूप है, जो हमारे द्वारा ग्रहण किये गये भोजन में ग्लूकोज, फ्रक्टोस एवं गैलेक्टोज के रूप में उपस्थित रहता है। डाइसैकराइड्स, सुक्रोज, माल्टोज एवं लेक्टोज तथा पॉजीसैकराइड्स, स्टार्च, डेक्सट्रीन तथा सैल्युलोज के रूप में उपस्थित रहता है। कार्बोहाइडे्रट्स आहार में ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्वों में प्रमुख है। आहार में इसकी कमी होने पर ऊर्जा की कमी हो जाती है।

आहार में कम से कम 100 ग्राम कार्बोहाइडे्रट्स की दैनिक उपस्थिति आवश्यक है। बाल आयु वर्ग के भोजन में कार्बोहाइडे्रट्स की उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि 58 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइडे्रट्स से प्राप्त होती है। कार्बोहाइडे्रट्स की कमी होने से प्रोटीन द्वारा ऊर्जा का संग्रहण होता है तथा प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण के लक्षण छोटे बच्चों में यह मरास्मस के रूप में दिखाई देते हैं।

कार्बोहाइडे्रट्स मुख्य रूप से चावल, आलू, फल तथा कन्द वाले भोज्य पदार्थों में पाये जाते हैं। अत: यह ऊर्जा प्राप्ति का सबसे सस्ता साधन है। निम्न आय वर्ग के आहार की 80 प्रतिशत ऊर्जा की आवश्यकता इसी से पूर्ण होती है। आय बढ़ने के साथ-साथ इसके द्वारा पूर्ण की जाने वाले ऊर्जा के प्रतिशत में कमी आती जाती है।

2. प्रोटीन (Protein) - प्रोटीन का अर्थ होता है, ‘‘पहले आने वाला’’, क्योंकि प्रोटीन अन्य पोषक तत्वों में एक महत्वपूर्ण तत्व है। पानी के बाद शरीर का सबसे बड़ा घटक प्रोटीन होता है। जैविक क्रियाओं में प्रोटीन की प्रमुख भूमिका होती है। बाल आयु वर्ग को दैनिक औसतन 60 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन प्राणीज व वनस्पतिज दोनों ही तरह के खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है। मुख्य रूप से प्रोटीन मांस-मछली-अण्डे, दूध एवं दूध से बने पदार्थों से मिलता है। मध्यम मात्रा में सूखे मटर, अनाज, दालें एवं सब्जियों से मिलता है।

3. वसा (Fat) - हम अपने दैनिक आहार में मुख्यत: वसा एवं तेल के रूप में ही लिपिड्स का उपयोग करते हैं। वसा भी 1 ग्राम मात्रा से 9 कैलोरी प्राप्त होती है। मुख्य रूप से दो प्रमुख वसीय अम्ल (Fatty Acids) पाये जाते है - संतृप्त वसीय अम्ल (Saturated Fatty Acids) और असंतृप्त अम्ल (Unsaturated Fatty Acids)A संतृप्त वसीय अम्ल का प्रमुख स्रोत प्राणीज भोज्य पदार्थों जैसे - मक्खन, क्रीम, चिकन, अण्डे, मांस और दूध हैं तथा असंतृप्त वसीय अम्ल का मुख्य स्रोत वनस्पति तेल है। वसा हमारे भोजन का आवश्यक भाग है। 

यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है तथा आवश्यक विटामिन A, D, E और K के वसा में घुलनशील होने के कारण शरीर को इन विटामिनों की आपूर्ति करता है। वसा में प्राप्त वसीय अम्ल ऊतकों को स्वस्थ रखते हैं। 

वसा शरीर के तापक्रम को स्थिर बनाये रखने में सहायता करती है। शरीर के कोमल अंगों जैसे हृदय, फेफड़े, गुर्दे, आदि के चारों ओर वसा की एक सुरक्षात्मक परत पाई जाती है, जो आकस्मिक आघातों से इन अंगों को सुरक्षा प्रदान करती है। वसा द्वारा भोजन का स्वाद रूचिकर बनता है एवं व्यक्ति के खाने की इच्छा तीव्र होती है। अत: भोजन में वसा की एक निश्चित मात्रा का होना आवश्यक होता है।

4. खनिज (Minerals) - खनिज ऐसे अकार्बनिक पदार्थ हैं, जो अस्थियों, दांतो, रक्त, हार्मोन आदि के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। ये ऐसे सुरक्षात्मक भोज्य पदार्थ हैं, जो शरीर को विभिन्न रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। हमारे शरीर में विभिन्न खनिज लवणों की आवश्यकता होती है, इनमें से प्रमुख खनिज कैल्शियम एवं आयरन है।

5. विटामिन (Vitamins) - विटामिन आहार में अत्यंत अल्प मात्रा में पाये जाने वाले वे सुरक्षात्मक भोज्य तत्व हैं, जो शरीर को विभिन्न रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। कुछ विटामिन जल में घुलनशील होते हैं, तो कुछ वसा में घुलनशील होते हैं। विटामिन ‘B’ व विटामिन ‘सी’ जल में घुलनशील है तथा विटामिन ‘A’, ‘D’, ‘E’ वसा में घुलनशील विटामिन हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post