समाचार के स्रोत, समाचार के प्रमुख स्रोत कौन कौन हैं?

संपादन खबरों का होता है और खबरों का संकलन संपादन की प्रक्रिया का पहला चरण है। समाचार संकलन के लिए अखबार एजेंसियों और अपने संवाददाताओं पर निर्भर होते हैं। किसी भी घटना से संबंधित तथ्यों की जानकारी के बगैर समाचार लेखन असंभव है और यह कार्य संवाददाता करते हैं। कोई भी संवाददाता अपने विवेक के आधार पर समाचार का संकलन करता है लिखकर रिपोर्ट के रूप में भेजता है। इसीलिए किसी भी संवाददाता में समाचार को पहचानने, घटना से संबंधित तथ्यों और आंकड़ों को इकट्ठा करने और उसे यर्थाथपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने का गुण जरूर होना चाहिए। 

समाचारों के संकलन, व्याख्या और यथार्थपूर्ण प्रस्तुतिकरण के लिए संवाददाता में गुप्तचर, मनोवैज्ञानिक और वकील तीनों के गुण होने चाहिए। देश विदेश की घटनाओं, वर्तमान और संभाव्य को समझने और उनकी व्याख्या करने की अधिक क्षमता रखना उसके लिए जरूरी है। कोई भी घटना अपने आप में समाचार नहीं होती है, बल्कि घटना का विवरण समाचार होता है। समाचार के संकलन की जिम्मेदारी किसी एक संवाददाता पर नहीं होती है। अलग अलग बीट के लिए संवाददाता भी अलग अलग नियुक्त किए जाते हैं। 

देश विदेश में भी संवाददाता नियुक्त किए जाते हैं ताकि दूसरे देशों की खबरें भी प्राप्त की जा सकें। अपने संवाददाताओं के अलावा अखबार खबरों के लिए न्यूज एजेंसियों पर भी निर्भर होते हैं। हर अखबार अपने लिए एक से अधिक न्यूज एजेंसियों की सेवाएं लेते हैं।

समाचार के स्रोत

एक पत्रकार को समाचार संकलन में यह स्रोत ही काम आता है क्योंकि कभी भी कोई समाचार निश्चित समय या स्थान पर नहीं मिलते। समाचार संकलन के लिए पत्रकारों को फील्ड में घूमना पड़ता है। क्योंकि कहीं भी कोई ऐसी घटना घट सकती है जो एक महत्वपूर्ण समाचार बन सकती है समाचार संकलन कहते हैं।

किसी भी समाचार के लिए जरूरी सूचना एवं जानकारी प्राप्त करने के लिए समाचार संगठन एवं पत्रकार को कोई न कोई स्रोत की आवश्यकता होती है। 

यह समाचार स्रोत समाचार संगठन के या पत्रकार के अपने होते हैं। स्रोतों में समाचार एजेंसियां भी आती हैं। इस समाचार स्रोतों को तीन श्रेणियो में बांट सकते हैं-
  1. समाचार के प्रत्याशित स्रोत, 
  2. समाचार के पूर्वानुमाति स्रोत, 
  3. समाचार के अप्रत्याशित स्रोत 

1. समाचार के प्रत्याशित स्रोत 

इस तरह के स्रोत पत्रकारों की जानकारी में पहले से ही होती है, सिर्फ उनसे संपर्क साधने और उनके द्वारा समाचार पाए जाने की कुशलता पत्रकार में होनी चाहिए। इनमें प्रमुख स्रोत है-

1. पुलिस विभाग- सूचना का सबसे बड़ा केन्द्र पुलिस विभाग का होता है। परू े जिले में होनेवेली सभी घटनाओं की जानकारी पुलिस विभाग को होती है, जिसे पुलिसकर्मी-प्रेस के प्रभारी पत्रकारों को बताते हैं।

2. प्रेस विज्ञप्तियाँ- सरकारी विभाग, सार्वजनिक अथवा व्यक्तिगत प्रतिष्ठान तथा अन्य व्यक्ति या संगठन अपने से संबंधित समाचार को सरल और स्पष्ट भाषा में लिखकर ब्यूरो ऑफिस में प्रसारण के लिए भिजवाते हैं। सरकारी विज्ञप्तियाँ चार प्रकार की होती हैं। 
  1. प्रेस कम्युनिक्स- शासन के महत्वपूर्ण निर्णय प्रेस कम्युनिक्स के माध्यम से समाचार-पत्रों को पहुँचाए जाते हैं। इनके सम्पादन की आवश्यकता नहीं होती है। इस रिलीज के बाएँ ओर सबसे नीचे कोने पर संबंधित विभाग का नाम, स्थान और निर्गत करने की तिथि अंकित होती है। जबकि टीवी के लिए रिपोर्टर स्वयं जाता है। 
  2. प्रेस रिलीज- शासन के अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण निर्णय प्रेस रीलिज के द्वारा समाचार-पत्र आरै टी.वी. चैनल के कार्यालयो को प्रकाशनार्थ भेजे जाते हैं।
  3. हैण्ड आउट- दिन-प्रतिदिन के विविध विषयो, मंत्रालय के क्रिया-कलापो की सूचना हैण्ड-आउट के माध्यम से दी जाती है। यह प्रेस इन्फारमेशन ब्यूरो द्वारा प्रसारित किए जाते हैं। 
  4. गैर-विभागीय हैण्ड आउट- मौखिक रूप से दी गई सूचनाओं को गैर-विभागीय हैण्ड आउट के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। 
3. सरकारी विभाग- पुलिस विभाग के अतिरिक्त अन्य सरकारी विभाग समाचारों के केन्द्र होते हैं। पत्रकार स्वयं जाकर खबरों का संकलन करते हैं अथवा यह विभाग अपनी उपलब्धियों को समय-समय पर प्रकाशन हेतु समाचार-पत्र और टीवी कार्यालयों को भेजते रहते हैं। 

4. कारपोरेट आफिस- निजी क्षेत्र की कम्पनियों के आफिस अपनी कम्पनी से संबंधित समाचारों को देने में दिलचस्पी रखते हैं। टेलीविजन में कई चैनल व्यापार पर आधारित हैं। 

5. न्यायालय- जिला अदालतां,े उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले व उनके द्वारा व्यक्ति या संस्थाओं को दिए गए निर्देश समाचार के प्रमुख स्रोत होते हैं। 

6. साक्षात्कार- विभागाध्यक्षो अथवा अन्य विशिष्ट व्यक्तियों के साक्षात्कार समाचार के महत्वपूर्ण अंग होते हैं। 

7. पत्रकार वार्ता- सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थान अक्सर अपनी उपलब्धियों को प्रकाशित करने के लिए पत्रकारवार्ता का आयोजन करते हैं। उनके द्वारा दिए गए वक्तव्य समाचारों को जन्म देते हैं। 

8. समाचारों का फालो-अप या अनुवर्तन- महत्वपूर्ण घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट रुचिकर समाचार बनते हैं। दर्शक चाहते हैं कि बड़ी घटनाओं के संबंध में उन्हें सविस्तार जानकारी मिलती रहे। इसके लिए संवाददाताओं को घटनाओं की तह तक जाना पडत़ा है।

9. समाचार समितियाँ- देश-विदेश में अनेक ऐसी समितियाँ हैं जो विस्तृत क्षेत्रों के समाचारों को संकलित करके अपने सदस्य अखबारों और टीवी को प्रकाशन और प्रसारण के लिए प्रस्तुत करती हैं। 

मुख्य समितियों में पी.टी.आई. (भारत), यू.एन.आई.(भारत), ए.पी.(अमेरिका), ए.एफ.पी.(फ्रान्स), रायटर (ब्रिटेन) आदि। उपर्युक्त स्रोतों के अतिरिक्त सभा, सम्मेलन, साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम, विधानसभा, संसद, नगर निगम, नगरपालिका की बैठकें, मिल, कारखाने और वे सभी स्थल जहाँ सामाजिक जीवन की घटना मिलती है, समाचार के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं।

2. समाचार के पूर्वानुमानित स्रोत

इस श्रेणी में वे स्रोत होते हैं जहां से समाचार मिलने का अनुमान तो है लेकिन निश्चितता नहीं होती है। केवल अनुमान के आधार पर ऐसे स्रोतों से समाचार पाने के लिए निकाला जा सकता है। जैसे बडे नगरों में गंदी बस्तियो की समस्या, छोटे नगरों में गंदी सड़कों एवं नालियों की। इनसे जन जीवन कितना और किस तरह प्रभावित हो रहा है? अस्पतालों सफाई और स्वच्छता की क्या स्थिति है? वहां लंबी-लंबी लाईनें क्यों लगी रहती है? क्या चिकित्सकों की कमी है या नर्स और कंपाउंडर पूरे नहीं हैं? मरीजो को जमीन पर बिस्तर बिछाकर क्यों लिटाया जाता है? इसी तरह विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, विद्यालय में शैक्षणिक समस्याएँ, इसकी आंतरिक राजनीति के क्या हाल हैं? सरकारी योजनाएं लागू की जाती है। उसे लागू करने के बाद उसका लोगों को लाभ मिला या नहीं। 

शिलान्यास किए जाने के बाद उस पर काम हुआ या नहीं? किसी निर्माण कार्य की प्रगति आदि ऐसे स्रोत हैं जहां पूर्वानुमाति होते हैं और महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

3. समाचार के अप्रत्याशित स्रोत

इस श्रेणी के स्रोतों से समाचार का सुराग पाने के लिए पत्रकार का अनुभव काम आता है। सतर्क दृष्टिवाले अनुभवी पत्रकारों को, जिनके संपर्क सूत्र अच्छे होते हैं, इस प्रकार के स्रोतों से समाचार प्राप्त करने से ज्यादा कठिनाई नहीं होती। इस प्रकार के समाचारों के संकेत बहुधा सहसा मिलते हैं, जिसे अनुभवी पत्रकार जल्दी ही पकड़ लते े हैं आरै उसके बाद उनकी खोज में लग जाते हैं। 

उदाहरण स्वरूप- नगर के निर्माण विभाग ने एक बहुमंजिली विशालकाय इमारत बनाने का काम हाथ में लिया था। इसे दो वर्ष में पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन डेढ़ साल के बाद भी अभी तक इसमें केवल चार मंजिलें बनकर तैयार हुई है जबकि काम दो तीन महीन से बंद पड़ा है। उधर से गुजरते हुए एक पत्रकार का ध्यान इस ओर गया तो उसने यह जानना चाहा कि इसका कारण क्या है? थोड़ी पूछताछ के बाद पता चला कि ठेकेदार ने काम बंद कर रखा है। ठेकेदार से बात करने पर पता चला कि उसने अपने बिलों के भुगतान के बारे में बहुत तंग किए जाने और अधिकारियो से लंबे समय तक संघर्ष करने के बाद अब काम बंद कर देना ही उचित समझा।

लेकिन विभागीय अधिकारियों का कहना कुछ और था। अधिशासी अभियंता का कहना था कि ठेकेदार ने काम निर्धारित निर्देशों के अनुसार नहीं किया, अत: उनके बिलों का भुगतान रोक दिया गया था, अब जांच कराई जा रही है। जब पत्रकार फिर ठेकेदार से मिला तो ठेकेदार ने उल्टे अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि चूंकि अधिकारीगण काफी मात्रा में पैसा खाना चाह रहे थे और वह ऐसा करने को तैयार नहीं था, इसीलिए उन्होंने काम सही न होने का झूठा मामला बनाकर उसे सबक सिखाना चाहा था। पत्रकार के सामने जब स्थिति स्पष्ट न हो सकी तो वह एक स्वतंत्र स्थापत्य विशेषज्ञ से मिला और अपने समाचार पत्र का हवाला देते हुए उसने यह जानने का प्रयास किया कि क्या सचमुच में काम विशिष्ट निर्देशों के अनुसार नहीं हुआ है। 

पत्रकार ने स्थापत्य विशेषज्ञ से कहा कि मामला जनहित का है, इसलिए आपकी सहायता आवश्यकता है। स्थापत्य विशेषज्ञ ने पत्रकार में रुचि लेते हुए उसकी सहायता की। कुछ दिनों के सूक्ष्म निरीक्षण के बाद स्थापत्य विशेषज्ञ ने पत्रकार को स्पष्ट कर दिया कि यह बात सही है कि काम पूरी तरह से विशिष्ट निर्देशों के अनुसार नहीं किया गया है, लेकिन अब तक बन चुकी इमारत को कोई खतरा नहीं है।

अब समाचार एक सही दिशा की ओर बढ़ने लगा। जब संबंधित अधिकारियों की निजी संपत्ति के बारे में जानने का प्रयास किया तो यह पता चला कि दो अधिकारी इसी समय अपने अपने मकान भी बनवा रहे हैं। उनकी इमारतो पर आनवे ाला सामान आरै मजदूर आदि उसी ठेकेदार के थे जो बहुमंजिली सरकारी इमारत बनवा रहा था, लेकिन अब इन लोगो ने भी काम बंद कर दिया है। गहराई से छानबीन करने पर अंत में पता चला कि यह सारा मामला एक बहुत बड़ा घोटाला है जिसमें ठेकेदार और अधिकारी मिलकर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर रहे हैं।

विभिन्न स्रोतों से समाचारों का सफलतापूर्वक अच्छा दोहन वही पत्रकार कर सकता है जो व्यवहार कुशल हो तथा मानव मन और स्वभाव को समझने की क्षमता रखता है। कहना न होगा कि स्रोतों का भरपूर लाभ उठाना अपने आप में एक कला है और इस कार्य में जो पत्रकार जितना दक्ष होगा उसके समाचारों में उतनी गहनता, नवीनता, सूक्ष्मता और उपयोगिता होगी।

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