कृषि प्रबंधन से आप क्या समझते हैं ? कृषि प्रबन्धन के उद्देश्य

कृषि प्रबन्धन में कृषि कार्यों को सुव्यवस्थित ढंग इस प्रकार सम्पादित किया जाता है कि किसान को अधिकतम लाभ प्राप्त हो। इसमें फार्म संगठन, संचालन, क्रय विक्रय तथा वित्तीय व्यवस्था आदि क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। कृषि प्रबन्धन में फार्म सम्बन्धी सम्पूर्ण आंकड़ें एकत्र कर फार्म हेतु योजना बनाई जाती है। और कृषि आगतों को इस प्रकार आंवटित किया जाता है कि कृषि कार्य सुचारू ढंग से सम्पन्न हो। किसान किस अनुपात में कौन सी फसल बोये, कौन सी फसल लाभदायक होगी। उत्पादन के विभिन्न साधनों का किस प्रकार प्रतिस्थापन करें आदि बातों का निर्णय लेने के लिए कृषि प्रबन्धन के सिद्धान्तों जैसे- प्रतिफल के नियम, तुलनात्मक लाभ का सिद्धान्त, साधनों के प्रतिस्थापन का सिद्धान्त, लागत का सिद्धान्त, तुलनात्मक समय का सिद्धान्त, कृषि प्रणाली सिद्धान्त तथा उद्देश्यानुसार प्रबन्धन के सिद्धांत, की सहायता ली जाती है। जो किसान को क्या उत्पादन करें? कैसे उत्पादन करें? तथा कितना उत्पादन करें? आदि समस्याओं के समाधान में सहायक है।

प्रबंधन की परिभाषा

 कृषि प्रबंधन को विभिन्न विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है- 

वारेन के अनुसार, -‘‘ कृषि प्रबंधन व्यावसायिक सिद्धान्तों का अध्ययन है। इसका सम्बन्ध फार्म के संगठन सम्बन्धी विज्ञान और फार्म की इकाइयों सम्बन्धी उस प्रबंधन से है जो निरन्तर अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है।’’ 

ग्रे के अनुसार- ‘‘ कृषि प्रबंधन से तात्पर्य सुव्यवस्थित ढंग से फार्म का प्रबंधन करने से है जिसे लाभकारिता के मापदण्ड से मापा जा सकता है।’’ 

एफरसन के अनुसार-‘‘ कृषि प्रबंधन वह विज्ञान है जो प्रक्षेत्र (कृषि) संगठन एवं संचालन को ध्यान में रखकर फर्म की दक्षता और निरन्तर लाभ के दृष्टिकोण से सम्बन्धित हो।’’ 

ब्लैक के अनुसार, ‘‘कृषि प्रबंधन में संगठन, संचालन, क्रय-विक्रय तथा वित्तीय व्यवस्था इन चारों का समावेश रहता है।’’ 

बैकफोर्ड एवं जाॅनसन के अनुसार,‘‘फार्म प्रबंधन निम्नलिखित पांच कार्यों को करने का विज्ञान हैः 1. अवलोकन, 2. विश्लेषण, 3. निर्णय लेना, 4. लिये गये निर्णयो को कार्यान्वित करना तथा 5. निर्णयों के परिणामों का दायित्व वहन करना।’’ 

कृषि प्रबंधन की उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन एवं विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि सभी परिभाषाओं में निहित तत्वों में पर्याप्त समानता है। सभी विद्वानों ने अपनी परिभाषाओं में फार्म पर उपलब्ध सीमित संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करके फार्म से निरन्तर अधिकतम लाभ प्राप्ति पर बल दिया है। 

कृषि प्रबंधन के उद्देश्य

कृषि प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य फार्म की विभिन्न व्यावसायिक इकाइयों एवं उद्यमों जैसे-फसलोत्पादन, दुग्ध उत्पादन द्वारा किसानों को अधिकतम शुद्ध लाभ प्राप्त कराना है। फार्म पर दो या दो से अधिक उद्यमों का संयोजन होता है। फार्म प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण उद्यमों से अधिकतम लाभ प्राप्त करना है। फार्म प्रबंधन के अध्ययन के अन्तर्गत उद्देश्य आते हैं- 
  1. कृषि क्षेत्र में उत्पादन के विभिन्न साधनों एवं उनकी सहायता से उत्पादित उत्पादों के मध्य व्याप्त फलनात्मक सम्बन्धों का अध्ययन करना। 
  2. कृषि में आय-व्यय के पारस्परिक सम्बन्ध का अध्ययन करना। 
  3. फार्म संसाधनांें एवं भूमि उपयोग का मूल्यांकन करना।
  4. अधिकतम लाभदायक फसल उत्पादन एवं पशुपालन विधियों को ज्ञात करना। 
  5. प्रति हेक्टेयर तथा प्रति क्विंटल उत्पादन व्यय का अध्ययन करना।
  6. फार्म की विभिन्न व्यवसायिक इकाइयों का तुलनात्मक आर्थिक अध्ययन करना। 
  7. जोत आकार का भूमि उपयोग, फसलोत्पादन प्रणाली, पूंजी नियोजन तथा श्रम का उपयोग से सम्बन्ध ज्ञात करना। 
  8. व्यय तथा आय में अनुकूल सम्बन्ध और संसाधनों के उचित विभाजन द्वारा कृषि व्यवसाय की क्षमता में वृद्धि करने वाले उपायों को ज्ञात करना। 
  9. कृषि व्यवसाय पर प्राविधिक परिवर्तनों का अध्ययन करना। 
  10. कृषि उत्पादों के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक का चुनाव करना।
 उपर्युक्त उद्देश्यों के अध्ययन के आधार पर कृषक निम्नलिखित निर्णय सहजता से ले सकते हैं- 
  1. फार्म पर अधिकतम उत्पादन किस तरह प्राप्त किया जाये।
  2. प्राप्त उत्पादन की अधिकतम कीमत किस तरह प्राप्त की जाये? 
  3. उत्पादन की लागत को न्यूनतम कैसे बनाया जाये? 
  4. सम्पूर्ण फार्म व्यवसाय से अधिकतम शुद्ध लाभ कैसे प्राप्त किया जाये? 
यद्यपि कृषि व्यवसाय से अधिकतम लाभ प्राप्त करना किसानों का प्रधान उद्देश्य होता है, फिर भी यह उनका अन्तिम उद्देश्य नहीं होता। किसान का अन्तिम उद्देश्य रहन-सहन के स्तर तथा पारिवारिक सुख एवं समृद्धि में वृद्धि कर उन्हें अधिकतम सन्तुष्टि प्रदान करना होता है। विवेकशील कृषि के सफल सम्पादन हेतु फार्म प्रबंधन का समुचित ज्ञान होना आवश्यक है। 

कृषि प्रबंधन का क्षेत्र 

फार्म प्रबंधन के अन्तर्गत अनुसंधान, शिक्षण एवं प्रसार तीनों क्रियाओं का समावेश रहता है। अतः इसका क्षेत्र बहुत व्यापक है। फार्म प्रबंधन के अध्ययन क्षेत्र को निम्नवत् प्रस्तुत किया जा सकता है:- 

1. फार्म प्रबंधन सम्बन्धी अनुसंधान- फार्म प्रबंधन में कृषकों की आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के लिए समस्या से सम्बन्धित आंकड़ें एकत्रित किये जाते हैं, फिर उनका विश्लेषण करके उन कारणों को ज्ञात किया जाता है जो कि प्रक्षेत्र की आर्थिक क्षमता को बढ़ाने में बाधक होते हैं। प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर कृषकों को सुझाव दिये जाते हैं। 

2. फार्म प्रबंधन शिक्षण तथा प्रशिक्षण- वर्तमान समय में सभी विश्वविद्यालयों में बी. एस-सी.( कृषि ) स्तर पर फार्म प्रबंधन का विषय पढ़ाया जाता है। फार्म मैनेजमेण्ट का विशेष कोर्स एम.एस-सी ( कृषि ) तथा पी-एच.डी. स्तर पर पढ़ाया जाता है। फार्म प्रबंधन के ज्ञान से किसान कृषि से सम्बन्धित सही निर्णय लेने में सहायक होता है। जैसे कि किसान कौन-सी फसल बोये, कितनी मात्रा में विभिन्न फसलों का उत्पादन करे, किस प्रकार उत्पादन करे तथा कब और कैसे उत्पादन को बेचे आदि। 

3. फार्म प्रबंधन प्रसार- अध्ययन के ज्ञात निष्कर्षों एवं समाधानों को प्रसार कार्यकर्ताओं द्वारा किसानों को उपलब्ध कराया जाता है तथा उन्हें इससे सम्बन्धित प्रशिक्षण दिया जाता है। चूंकि अधिकांश किसान इतने शिक्षित नहीं है कि अध्ययन के निष्कर्षों तथा समाधान को आसानी से समझ सके तथा उनको ग्रहण कर सकें। इसलिए अनुसन्धान के निष्कर्षों के प्रसार माध्यम द्वारा प्रदर्शन करके दिखाना आवश्यक हो जाता है। यह फार्म प्रबंधन प्रसार के अन्तर्गत आता है। 

4. फार्म योजना का निर्माण- फार्म योजना का निर्माण भी फार्म प्रबंधन के अन्तर्गत आता है। फार्म पर विभिन्न कृषि कार्यों के समुचित सम्पादन हेतु फार्म योजना का निर्माण किया जाता है। फार्म योजना के अन्तर्गत विभिन्न कृषि कार्यों की सूची वरीयता के आधार पर तैयार की जाती है, ताकि फार्म से सम्बन्धित समस्त कार्यों को समय से बिना किसी कठिनाई के पूरा किया जा सके। इस प्रकार फार्म योजना का निर्माण भी फार्म प्रबंधन का ही एक अंग है। 

5. फार्म प्रबंधन का क्षेत्र व्यष्टि - विश्लेषण से सम्बन्धित है। इसमें प्रत्येक फार्म को एक पृथक् इकाई मानकर निर्णय लिया जाता है। अतः फार्म के सम्बन्ध में लिये जाने वाले विभिन्न निर्णय यथा- फसल का चुनाव, सिंचाई की व्यवस्था, उर्वरकों एवं कृषि यन्त्रों का उपयोग आदि से सम्बन्धित क्रियाएं फार्म प्रबंधन के क्षेत्र में सम्मिलित होती है। 

कृषि प्रबंधन तथा कृषि अर्थशास्त्र में सम्बन्ध

कृषि अर्थशास्त्र के अन्र्तगत कृषि वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण की क्रियाओं तथा कृषि उद्योग से सम्बन्धित संस्थाओं का अध्ययन किया जाता है। कृषि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की एक महत्वपूर्ण शाखा है। कृषि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत किसानों के धन प्राप्ति एवं धन के व्यय से सम्बन्धित क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। यह कृषि अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत प्रत्येक फार्म में किये जाने वाले सभी कृषि कार्यों के सम्बन्ध में अधिकतम लाभ प्राप्ति के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिये जाते हैं। यद्यपि फार्म प्रबंधन कृषि अर्थशास्त्र का ही अंग है, फिर भी अध्ययन की दृष्टि से फार्म प्रबंधन एवं कृषि अर्थशास्त्र में निम्नलिखित अन्तर विद्यमान हैं- 
  1. कृषि अर्थशास्त्र कृषि विज्ञान की एक शाखा है जबकि फार्म प्रबंधन कृषि अर्थशास्त्र की उसी तरह की एक शाखा है, जैसे- कृषि उत्पादन, कृषि विपणन, कृषि वित्त आदि कृषि अर्थशास्त्र की शाखाएं है। 
  2. अध्ययन की दृष्टि से कृषि अर्थशास्त्र एक समष्टिपरक् विषय है, जबकि फार्म प्रबंधन एक व्यष्टिपरक् विश्लेषण होता है। 
  3. फार्म प्रबंधन के अध्ययन की इकाई एक फार्म होती है जबकि कृषि अर्थशास्त्र के अध्ययन की इकाई किसान समूह अथवा किसान समाज होता है। कृषि अर्थशास्त्र फसल उत्पादन, पशुपालन, कृषि की उन्नति, तकनीकों के ज्ञान के आधार पर देश अथवा क्षेत्र के हितों की सामूहिक रूप में व्याख्या करता है। फार्म प्रबंधन एक ही फार्म अथवा किसान के लिए उपयुक्त उद्देश्यों के प्राप्ति की व्याख्या करता है। 
  4. फार्म प्रबंधन का उद्देश्य किसान को उसके फार्म से निरन्तर अधिकतम लाभ की राशि प्राप्त कराना होता है, जबकि कृषि अर्थशास्त्र का उद्देश्य क्षेत्र के किसानों को अधिकतम लाभ की राशि प्राप्त कराते हुए उनके रहन-सहन के स्तर में सुधार एवं कल्याण में वृद्धि करना होता है। 
उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि कृषि अर्थशास्त्र एवं फार्म प्रबंधन दोनों आपस में अन्तर्सम्बन्धित हे। कृषि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की एक शाखा है। इस प्रकार फार्म प्रबंधन भी अर्थशास्त्र की एक शाखा है जो कृषि व्यवसाय में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। फार्म प्रबंधन कृषि अर्थशास्त्र की ही एक शाखा है। यह एक व्यक्तिगत इकाई के प्रबंधन एवं क्रिया-कलापों से सम्बन्धित है। दूसरी तरफ कृषि अर्थशास्त्र कृषि की समग्रता के आधार पर तथा किसानों के एक समूह का दूसरे समूह के साथ सम्बन्धों का अध्ययन करता है। इस प्रकार फार्म एक सूक्ष्म इकाई तथा कृषि एक वृहद् इकाई समझा जाता है। 

इस तरह फार्म प्रबंधन मुख्य रूप से एक किसान परिवार की समृद्धि से सम्बन्धित है, जबकि कृषि अर्थशास्त्र, पूरे किसान समाज को सम्भागीय या राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्धारण में सहयोग प्रदान करता है। अतः मूल्य नीति, जोत की अधिकतम सीमा, भूमि सुधार, कृषि आयकर आदि कृषि अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री है। 

कृषि एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें अनिश्चिता का तत्व विद्यमान रहता है। कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं कीमतों में प्रायः उतार-चढ़ाव आते रहते हैं ऐसे में फार्म प्रबंधन का ज्ञान सकारात्मक भूमिका निभाता है। अनिश्चित कृषि वातावरण की अवस्था में सतत् लाभ की प्राप्ति हेतु फार्म प्रबंधन का ज्ञान किसानों को फार्म पर कार्यों के करने में सहायक हो सकता हैः- 

1. निर्मित फार्म योजना को फार्म पर क्रियान्वित करना- फार्म योजना के समुचित क्रियान्वयन में फार्म प्रबंधन का ज्ञान सहायक होता है। फार्म योजना से प्राप्त होने वाले लाभ की धनराशि योजना के समुचित क्रियान्वयन पर निर्भर करती है। 

2. उत्पादन, उत्पादकता व कीमतों का भावी अनुमान लगाना- किसान अपने कृषि फार्म के क्षेत्र का विभिन्न उद्यमों के बीच वितरण किस प्रकार करेगा, यह तत्कालीन कीमतों पर निर्भर करता है। परन्तु उत्पादन से प्राप्त होने वाली उसकी आय फसल की कटाई के समय प्रचलित कीमतों पर निर्भर करती है। फसल की कटाई के समय प्राप्त होने वाली कीमतों की सदैव अनिश्चिता बनी रहती है। अतः उत्पादन, उत्पादकता एवं कीमतों का सही आकलन करना आवश्यक हो जाता है। फार्म प्रबंधन का ज्ञान इसके आंकलन में सहायक होता है। 

3. कृषि उत्पादों के अनुमानित उत्पादन, उत्पादकता व कीमतों को प्राप्त करने के लिए फार्म योजना बनाना- फार्म प्रबंधन का ज्ञान होने से किसान इस तरह फार्म योजना तैयार करता है कि उत्पादन एवं उत्पादकता के लक्ष्य की प्राप्ति के साथ-साथ वह अपने उत्पादों की उचित कीमत भी प्राप्त कर सके। 

4. फार्म योजना के संचालन से प्राप्त लाभ अथवा हानि को वहन करना- सामान्यता फार्म योजना के समुचित क्रियान्वयन के फलस्वरूप निर्धारित लक्ष्यों की सकारात्मक प्राप्ति की अधिक सम्भावना रहती है और उसके अनुसार प्रत्याशित लाभ भी प्राप्त होता है। कभी-कभी मौसम एवं कीमतों की प्रतिकूलता की दशा में फार्म योजना से हानि भी हो सकती है। इस प्रकार फार्म योजना को कार्यान्वित करने से उत्पन्न हुए लाभ अथवा हानि को फार्म प्रबंधनक को ही वहन करना पड़ता है। 

कृषि प्रबंधन की विषय सामग्री 

कृषि प्रबंधन की मुख्य भूमिका फार्म संगठन एवं क्रिया-कलाप के बारे में इस प्रकार निर्णय लेना है जिससे कि फार्म से अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए फार्म प्रबंधन के अन्तर्गत निम्नलिखित विषयों का अध्ययन किया जाता है- 
  1. फार्म का चुनाव, क्षेत्रफल एवं मूल्यांकन।
  2. फार्म संसाधनों का मूल्यांकन। 
  3. व्यावसायिक इकाइयों के सम्बन्ध का अध्ययन। 
  4. व्यय सम्बन्धी निर्णय का अध्ययन। 
  5. आय एवं व्यय के अनुपात के चुनाव का अध्ययन। 
  6. फार्म योजना एवं प्रक्षेत्रीय आय- व्यय 
  7. फार्म मूल्य लाभ एवं साख 
  8. प्रत्येक व्यवसायिक इकाई एवं सम्पूर्ण फार्म पर आय एवं व्यय का अध्ययन। 
  9. फार्म उत्पादन का विपणन। 
  10. जोखिम एवं अनिश्चितता। 
उपर्युक्त विषय आपस में इस प्रकार सम्बन्धित है कि उन्हें अलग करना सम्भव नहीं। इसलिए व्यवसाय की न्यूनता एवं विकल्प की परिधि में समझने हेतु सभी विषयों का समुचित अध्ययन आवश्यक है।

सन्दर्भ -
  1. आर0 एन0; ‘‘कृषि अर्थशास्त्र के मुख्य विषय ’’ ; 2007; विशाल पब्लिशिंगकम्पनी, जालन्धर।
  2. माथुर बी0 एल0; (2011) ‘‘कृषि अर्थशास्त्र‘‘; अर्जुन पब्लिशिंग हाऊस, नई दिल्ली।
  3. डाॅ0 शिव भूषण‘; (2010) ‘‘ कृषि अर्थशास्त्र ‘‘; साहित्य भवन आगरा।

1 Comments

  1. Bahut sunder sabdo ke sath likha gya he

    ReplyDelete
Previous Post Next Post