केस अध्ययन विधि क्या है? केस अध्ययन विधि के लाभ, दोष

किसी व्यक्ति, समूह या संस्था के संबंध में गहन अध्ययन हेतु एक महत्वपूर्ण विधि केस अध्ययन विधि है। इस विधि के द्वारा व्यक्ति में रोगात्मक लक्षणों को पहचान कर कारणों के ज्ञान के आधार पर निदान किया जाता है। अतः इसे नैदानिक विधि भी कहते हैं। इस विधि के द्वारा अध्ययनकर्ता किसी रोगी व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए उसकी जीवन की सभी तरह की घटनाओं का एक विस्तृत इतिहास ज्ञात किया जाता है। घटनाओं की जानकारी में प्रारम्भिक सूचनाएं, अतीत की घटनायें तथा वर्तमान अवस्थाओं के बारे में अधिक जानकारी संकलित की जाती हैं तथा उनका विश्लेषण कर परिणाम ज्ञात किये जाते हैं। जानकारी में साक्षात्कार प्रश्नावली, व्यक्तित्व परीक्षण तथा मापनी आदि का प्रयोग किया जाता है पर व्यक्ति का गहन अध्ययन, विकास का क्रम तथा जीवन की समस्याएं जानने की समुचित विधि है। इस विधि में अनेक स्रोतों जैसे व्यक्ति विशेष, उसके माता पिता, पारिवारिक जन, रिश्तेदार, पडौसी, विद्यालय, मित्रगणों, सहयोगियों एवं संबधित अभिलेखों से सूचना एकत्रित कर किसी व्यक्ति, स्थिति, समूह अथवा संस्था के संबध में अध्ययन किया जाता है।

केस अध्ययन विधि की प्रक्रिया के प्रमुख बिन्दु

समस्या चयन
(व्यक्ति, रोग, आदत, संस्था से संबधित)
समस्या का कथन
(उद्देश्यों का निर्धारण)
योजना
(अध्ययन की विधियों का निर्धारण)
तथ्य संकलन के उपकरणों का निर्धारण
तथ्य प्राप्ति के स्त्रोंतो का निर्धारण

(व्यक्ति विषेष, माता पिता, पारिवारिक जन, रिश्तेदार, पडौसी, विद्यालय, मित्रगण, सहयोगी एवं संबधित अभिलेख)
तथ्य संग्रह
तथ्यों का विश्लेषण एवं विवेचन
परिणाम तथा प्रतिवेदन

केस अध्ययन विधि के लाभ

  1. केस अध्ययन विधि के द्वारा गहन, सूक्ष्म तथा विस्तृत जानकारी प्राप्त हो जाती है।
  2. रोगी के रोग के स्वरूप, कारण आदि के समझने में सहायक है।
  3. उपचार के चयन हेतु महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
  4. चारित्रिक विकृतियों, बालअपराधों व मनस्ताप आदि रोगों को समझने में सहायक है।

केस अध्ययन विधि के दोष

  1. इसमें प्राप्त जानकारी लोगों के स्मरण पर निर्भर करती है। अतः त्रुटिपूर्ण हो सकती है।
  2. विस्मरण के कारण विस्वसनीयता कम होती है।
  3. अध्ययनकर्ता के आतमगत तत्व प्रभाव डालते हैं।
  4. इसमें समय, श्रम तथा धन अधिक लगता है।

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