महिला उत्पीड़न के प्रकार

महिला उत्पीड़न के प्रकार

महिलाओं का उत्पीड़न प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है। जैसे- बाल विवाह, विधवाओं का सती होना, अपने से दुगने या तिगुने उम्र के पुरुष से जबरन विवाह करना आदि। प्राचीनकाल में जब संग्राम होते थे तो महिलाओं के साथ यौन अत्याचार होता था। जिसके उदाहरण हैं - कांगों युद्ध, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान बलात्कार, बेस्निायाई युद्ध में बलात्कार, खांडा नरसंहार के दौरान बलात्कार तथा उत्तराखण्ड राज्य गठन के दौरान मुजफ्फरनगर काण्ड।

महिला उत्पीड़न के प्रकार

1. शारीरिक उत्पीड़न - विश्व स्वास्थ्य संगठन ने School of Hygene and Tropical Medicine and Medical Resarch Council के साथ एक शोध किया गया, जिसमें 80 देशों के आँकडे़ं एकत्रित किये गये थे, पाया गया कि लगभग 35% महिलाओं का अपने साथी द्वारा शारीरिक रूप से उत्पीड़न किया जाता है। तथा 30% महिलाएँ अपने साथी से तंग आकर आत्महत्या कर लेती है।

2. मानसिक उत्पीड़न - बार-बार एक ही बात को लेकर महिला को कटोचना मानसिक उत्पीड़न है। महिलाएं मानसिक उत्पीड़न के कारण तनाव व डिप्रेशन में चली जाती हैं। उसके लिए भी समाज उसी महिला को जिम्मेदार ठहराता है। महिलाएं मानसिक उत्पीड़न का शिकार घर पर, समाज में या अपने कार्यस्थल में कहीं भी हो सकती है। कार्यस्थल में बाॅस का अत्यधिक दबाव मानसिक उत्पीड़न का प्रमुख कारण है।

3. मौखिक उत्पीड़न - शब्दों के नुकीले बाणों का प्रहार मौखिक उत्पीड़न है। महिलाओं को बेटी पैदा करने पर गाली गलौच करना तथा अन्य कार्यस्थल पर वांचिक हिंसा करना मौखिक उत्पीड़न के अन्तर्गत आता है। ससुराल में सास, ननद, देवर, जेठ आदि द्वारा आज भी महिला का मौखिक उत्पीड़न किया जाता है। ये उत्पीड़न करने वाली और कोई नहीं वरन् एक महिला ही होती है।

4. आर्थिक उत्पीड़न - आर्थिक शोषण का तात्पर्य है जब एक अपने साथी पर आर्थिक स्रोतों के आधार पर अत्यधिक नियन्त्रण करता है। पति अपनी पत्नी पर संसाधनों की मात्रा को सीमित करता है। या जबरन पत्नी पर दस्तावेजों में हस्ताक्षर तथा चीजों को बेचने के लिए दबाव बनाता है। या आर्थिक उन्नति के लिए पत्नी का वेश्यावृत्ति में धकेलता हे। रिपोर्टों के अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि अधिकांश वेश्यावृत्ति में धकेली गई युवतियाँ भूख की मारी होती है। बेसहारा बलात्कार व अपहृताएं होती है। जिन्हें एक कमरे में जानवरों की तरह रखा जाता हैं भयंकर आर्थिक शोषण और उत्पीड़न के इन मूर्त रूपों को देखकर अपने समाज के विरूद्ध मन आक्रोश से भर जाता है।

5. यौन उत्पीड़न - भारत में एक महिला के साथ हर 29 मिनट में बलात्कार किया जाता है। बालात्कार के ये आँकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। वर्तमान में यौन उत्पीड़न की घटनाएं प्रत्येक दिन समाचार पत्र में प्रकशित होती रहती है। भारत का सबसे बड़ा दुष्कर्म दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय युवती के साथ हुआ था और ऐसे न जाने कितने और यौन उत्पीड़न हैं, जिन्हें सामाजिक लोक लाज के कारण प्रदर्शित नहीं किया जाता है।

6. सामाजिक उत्पीड़न - रोजगार में कार्यरत महिलाओं के घर से आॅफिस के बीच जो दबाव होता है। उसे सामाजिक उत्पीड़न की श्रेणी में रखेंगी। महिलाएं अपने कार्यस्थल पर जाकर समाज की सम्पर्क में आती है। वहाँ पर उनका कई प्रकार से उत्पीड़न होता है। उन्हें महिला समझकर जिम्मेदारियाँ नहीं दी जाती है। जिस कारण महिलाएं तनाव में आ जाती है। सामाजिक उत्पीड़नों में उत्पीड़न, मानसिक उत्पीड़न, आर्थिक उत्पीड़न तथा मौखिक उत्पीड़न सम्मिलित हैं।

महिला हिंसा से निपटने करने के उपाय 

1. सर्वप्रथम महिलाओं को सुरक्षा के सारे गुर सिखाये जायें।

2. महिलाओं को आधुनिक तकनीकी का ज्ञान देना अतिआवश्यक है, जिससे साइबर क्राइम को कम किया जा सकता है।

3. वर्तमान में सबसे अधिक आवश्यकता है - ‘‘मूल्यों की शिक्षा’’। प्राथमिक शिक्षा, शिक्षा की नींव है। इस उम्र में बालक की जो ज्ञान दिया जाता है, वही उसके सफल या असफल जीवन का परिचायक होता है। अतः प्राथमिक शिक्षा में उन सभी मूल्यों का समावेश किया जाना आवश्यक है। जिससे वह बालक एक सकारात्मक दृष्टिकोण वाला नागरिक बने।

4. महिला दिवस मनाया जाना चाहिए। जिसमें प्रत्येक विद्यालय में शपथ पत्र लिखवायी जाना चाहिए, कि सभी समान हैं। सभी लोग महिलाओं का आदर करेंगे। ये सब प्राथमिक शिक्षा से ही लागू किया जाना चाहिए।

5. प्रत्येक विद्यालय में यौन शिक्षा देनी चाहिए, ताकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों के मन की जिज्ञासा को शांत किया जा सके।

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