शब्द कितने प्रकार के होते है | उदहारण सहित समझे

शब्द भाषा की स्वतंत्र व अर्थवान ईकाई है। एक या एक से अधिक अक्षरों से बनी स्वतंत्र सार्थक ध्वनि को शब्द कहते है। परन्तु कुछ ऐसी ध्वनियाँ भी है जिनका स्वतंत्र रूप से कोई अर्थ नहीं निकलता वरन् वाक्य में प्रयोग करने के पश्चात वे अर्थपूर्ण बन जाती है। जैसे ‘ कलश ने गरीबों की मदद की ’ इस वाक्य में ‘ने’, ‘की’ ऐसे शब्द है। जिनका स्वतंत्र रूप से अर्थ नहीं है। लेकिन वाक्य में अपना महत्वपूर्ण अर्थ देते है। इस प्रकार अपने वास्तविक अर्थ में- शब्द एक या एक से अधिक अक्षरों के योग से बनी वह ध्वनि हैं जिससे अपने स्वतंत्र रूप में अथवा वाक्य में प्रयुक्त होने पर एक निश्चित अर्थ की प्रतीति होती हैं।

महाभारत के शान्तिपर्व में ष्वेतकेतु द्वारा शब्द की परिभाषा की उल्लेख हैः ‘‘कल्पयेन च वर्णानाम् परिवादकृतो हि यः। ‘‘स श्ब्द इति विज्ञेयः’’

अर्थात् वर्णो के आगे-पीछे जोड़ने से बोलने का जो प्रकार किया जाता है, वह शब्द होता है। इस प्रकार से संक्षेप में कह सकते हैं कि ’’ व्यक्ति के विचारों के प्रतीक रूप में उच्चरित की जाने वाली ध्वनियों के समूह या संकेतों को ‘शब्द’ कहते हैं।

शब्द के प्रकार

1. अर्थ के आधार पर शब्द

  1. एकार्थी 
  2. अनेकार्थी 
  3. पर्यायवाची 
  4. विपरीतार्थी 
  5. समभिन्नार्थक
1. एकार्थी - जब शब्द एक ही अर्थ देता है। जैसे पुस्तक, लड़का, घर, विद्यालय, अर्थात् शब्द का प्रयोग उसी रूप में किया जाता हैं, जिसके लिए वह बना हो।

2. अनेकार्थी - एक ही शब्द के कई अर्थ होते हैं और वाक्य प्रसंग के अनुकूल उसका अर्थ स्वीकार कर लिया जाता है जैसे - कनक - सोना, धतूरा, पत्र - पत्ता, चिट्ठी

3. पर्यायवाची - जिन शब्दों के अर्थ समान हांे, वे पर्यायवाची या समानार्थी कहलाते हैं। यहाँ इस बात को ध्यान में रखना है कि प्रत्येक शब्द स्वयं में एक अलग अर्थ रखता है उसमें सूक्ष्म अंतर अवश्य होता है जैसे ‘मेघ’ सामान्य रूप से बादल के लिए शब्द है, जबकि ‘जलद’ उस मेघ को कहते है जो पानी से भरा हो। फिर भी जो शब्द आमतौर पर एक सा अर्थ रखते है, पर्यायवाची कहलाते है। जैसे - कान - कर्ण, श्रवण, श्रोत्र, घर -गृह, आलय, निकेतन

4.  विपरीतार्थी - शब्द के विपरीत अर्थ रखने वाले शब्द विलोम या विपरीतार्थी कहलाते हैं। यथा - जय - पराजय, पूर्व - पश्चिम

5. श्रुतभिन्नार्थक - उच्चारण की दृष्टि से कुछ शब्द एक जैसे प्रतीत होने लगते है,जबकि इनका अर्थ भिन्न होता है । यथा - 1. ग्रह - नक्षत्र 2. कुल - वंष, गृह - घर कूल - किनारा

2. रचना के आधार पर शब्द

  1. रूढ़ शब्द 
  2. यौगिक शब्द
  3.  योगरूढ़ शब्द
1. रूढ़ शब्द - वे शब्द है जिनके टुकडे़ नही किये जा सकते, जैसे - बकरी, बैल, फूल, गाय आदि।

2. यौगिक शब्द - जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बनते हैं वे योैगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे - मकान + मालिक = मकानमालिक , ईमान + दार = ईमानदार, मुख्य + मंत्री = मुख्यमंत्री आदि।

3. योग रूढ़ - ये वे शब्द होते हैं जो दो शब्दों के मेल (यौगिक) से बनते हैं लेकिन इनका अर्थ रूढ़ हो जाता है । जैसे - चारपाई अर्थात् चार पाये से है जिसके। यहाँ चार पाई का अर्थ खाट से है न कि गाय, कुर्सी आदि से ।

3. प्रयोग या व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर शब्द

  1. विकारी शब्द
  2. अविकारी शब्द
1. विकारी शब्द वे शब्द है जो लिंग, वचन, काल, कारक आदि के प्रभाव से अपना रूप परिवर्तित कर लेते है। जैसे लड़की से लड़कियाँ , विद्यालय से विद्यालयों आदि रूप भी बनते है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विकारी शब्दों के अन्तर्गत आते हैं।

2. अविकारी शब्द - जिन शब्दों में लिंग, वचन, काल आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता, प्रत्येक परिस्थिति में एक ही रूप रहता है, अविकारी शब्द कहलाते है। इन्हें अव्यय भी कहते हैं। क्रिया विशेषण, समुच्चयबोधक, संबंधबोधक, विस्मयादि बोधक और निपात अविकारी शब्द होते है जैसे- यहाॅ, न , जब , तक, यदि, तो और, किन्तु परन्तु, के बिना, अरे ! आदि।

4. उत्पत्ति आधार पर शब्द

  1. तत्सम् 
  2. तद्भव
  3. देशज 
  4. विदेशी 
  5. संकर 
  6. अनुकरणात्मक शब्द
1. तत्सम शब्द - वे शब्द जो संस्कृतभाषा से हिन्दी भाषा में ज्यों के त्यों लिये गये । जैसे अग्नि, जल, भूमि, पुत्र , राष्ट्र आदि ।

2. तत्भव शब्द - वे शब्द जो संस्कृत से हिन्दी में समय, काल, परिस्थिति के कारण परिवर्तित हो गये है। तत्भव शब्द कहलाते है। जैसे -काम, बरस, साॅप, घर, आग, खेत आदि।

3. देशज शब्द - वे शब्द जो हिन्दी ने देष, क्षेत्र की भाषाओं जैसे बंगला, मराठी, उर्दू, बुंदेलखंडी से ग्रहण किये है। जिन शब्दों का मूल रूप उपलब्ध नहीं होता। स्थानीय, प्रान्तीय भाषा से आये शब्द देशज शब्द कहे जाते है। जैसे - खाट, पगड़ी, चिडि़या, चिरौंटा आदि।

4. विदेशी शब्द - वे शब्द है जिन्हें हिन्दी ने विदेशी भाषा से ग्रहण किया है, जैसे आदमी, अलमारी, कमरा, सिनेमा, कोट, स्टेशन, पेंसिल, रबर, आदि।

5. संकर - जैसा कि नाम से ज्ञात होता है कि दो भाषाओं के शब्दों के मिश्रण से बने शब्द संकर कहलाते हैं। जैसे - डबलरोटी - (अंग्रेजी + हिन्दी ), रेलगाड़ी - (अंग्रेजी + हिन्दी ), जाँचकर्ता - ( हिन्दी + संस्कृत )

6. अनुकरणात्मक शब्द - पदार्थो की ध्वनि तथा पशु-पक्षियों की आवाज को सुनकर जिन शब्दों का निर्माण किया गया है। वे शब्द अनुकरणात्मक शब्द कहलाते हैं। जैसे चट-पट, खट-खट, टप-टप, भौं-भौं, म्याऊँ-म्याऊँ आदि।

संदर्भ -
  1. अनुराधा (2013), व्याकरण वाटिका, विकास पब्लिषिंग हाउस प्रा.लि. न्यू दिल्ली।
  2. जीत, भाई योगेन्द्र (2008), हिन्दी भाषा शिक्षण, अग्रवाल पब्लिकेषन, आगरा।
  3. लाल, रमन बिहारी लाल, हिन्दी शिक्षण, रस्तोगी पब्लिकेषन्स, मेरठ।
  4. यादव, सियाराम (2016) पाठ्य क्रम एवं भाषा विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा।
  5. कौशिक, जयनारायण (1990), हिन्दी शिक्षण, हरियाणा साहित्य अकादमी, चण्डीगढ़।

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