निबंधात्मक परीक्षण क्या है ? निबंधात्मक परीक्षण कितने प्रकार के होते है?

निबंधात्मक परीक्षण से अभिप्राय ऐसी परीक्षा से है जिसमें विद्यार्थी पूछे गए प्रश्न का उत्तर निबन्ध रूप में प्रस्तुत करता है। इसमें विद्यार्थी अपने विचारों को स्वतन्त्र रूप से व्यक्त करता है जिसमें उसके व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप प्रतिबिम्बित होती है। इनके माध्यम से व्यक्ति की उपलब्धि के साथ-साथ उसकी अभिव्यक्ति, लेखन क्षमता तथा व्यक्तित्व का मूल्यांकन हो जाता है। 

निबंधात्मक परीक्षण विद्यार्थियों के निर्देशन, व्यापक मूल्यांकन, उच्च मानसिक क्षमताओं के मापन, वर्गीकरण मौलिकता, विचारों को संगठित करने की क्षमता, अपेक्षित अध्ययन विधियों के विकास आदि में सहायक होती हैं। इन की रचना सरल है और सभी विषयों में इनका उपयोग किया जा सकता है। परन्तु इनकी विश्वसनीयता, वैधता, वस्तुनिष्ठता, व्यापकता व विभेदकारिता निम्न स्तर की होती है। 

ये परीक्षण रटने पर बहुत अधिक बल देती हैं। इनका अंकन आत्मनिष्ठ होता है जिससे विद्यार्थियों की उपलब्धि का उचित रूप से मूल्यांकन नहीं हो सकता इसीलिए आजकल वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है।

निबंधात्मक परीक्षण क्या है

निबंधात्मक परीक्षाओं से तात्पर्य ऐसी परीक्षाओं से है जिनमें बालक से कोई भी प्रश्न लिखित या मौखिक
रूप से पूछा जाये तो वह उसका उत्तर निबंधात्मक रूप से प्रस्तुत करे। इसमें उत्तर की कोई सीमा निर्धारित नहीं
की जाती है। परीक्षार्थी को अपने विचारों की अभिव्यक्ति हेतु पूर्णतया स्वतंत्रता रहती है, जिसमें उसके व्यक्तित्व की
छाप प्रतिबिम्बत होती है। इन परीक्षाओं से बालक की उपलब्धि के साथ-साथ उसकी अभिव्यक्त करने की क्षमता,
लेखन क्षमता, रूचियों, अभिवृत्तियों, कुशलता आदि का सही-सही मूल्यांकन सम्भव है।

निबंधात्मक परीक्षण के प्रकार

एक निबंधात्मक परीक्षण में शैक्षिक उद्देश्यों के अनुकूल विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को सम्मिलित किया जाता है। ये प्रश्न निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

1. वर्णनात्मक प्रश्न - इन प्रश्नों से विद्यार्थी से किसी वस्तु, घटना, प्रक्रिया अथवा जीव विशेष आदि का वर्णन करने के लिये कहा जाता है।

2. व्याख्यात्मक प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों में कारण-प्रभाव सम्बन्ध की तर्क रूप से व्याख्या करनी होती है। इनके उत्तर में विद्यार्थी को तर्क एवं तथ्य प्रस्तुत करने होते हैं। उदाहरण- 1. जीव विज्ञान का हमारे दैनिक जीवन में क्या उपयोग है? व्याख्या कीजिए। 2. वनों के लाभों की व्याख्या कीजिए।

3. विवेचनात्मक प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों में विद्यार्थी से किसी वस्तु, जीव या प्रक्रिया के वर्णन के साथ-साथ उसकी विशेषताओं एवं दोषों की व्याख्या करने के लिए कहा जाता है। 

4. उदाहरणार्थ प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों में किसी प्रक्रिया की उदाहरण सहित व्याख्या करने के लिए कहा जाता है। ये प्रश्न विद्यार्थियों के व्यावहारिक ज्ञान एवं व्यक्तिगत जीवन के अभ्यास करने में सहायक होते हैं।  उदाहरण- 1. पाचन क्रिया की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। 2. प्रयोग द्वारा सिद्ध करों कि प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा आक्सीजन गैस वायुमण्डल में छोड़ी जाती है।

5. रूपरेखात्मक प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों में किसी वस्तु की रूपरेखा पूछी जाती है। उदाहरण- 1. बायो गैस प्लांट का नामांकित चित्र बनाओं। 2. पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाओ।

6. आलोचनात्मक प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों में किसी विचार की शुद्धता, सत्यापन, पर्याप्तता आदि का मूल्यांकन करके उसके सुधार हेतु सुझाव पूछे जाते हैं। उदाहरण- 1. क्या वर्षा का जल पीने योग्य होता है? यदि नहीं, तो क्यों?

7. विश्लेषणात्मक प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों में तथ्यों अथवा विचारों का विश्लेषण करने के लिए कह जाता है।उदाहरण- 1. किसी आहार शृंखला में छः से अधिक स्तर क्यों नहीं हो सकते ? 2. साफ सुथरा परिवेश बीमारियों की रोकथाम में किस प्रकार सहायक है ?

8. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों मे वस्तुनिष्ठता होती है। कभी-कभी इस प्रकार के प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। उदाहरण- जीवधारियों को कुल कितने वर्गों में बांटा गया है ? - जीवशालाएं कितने प्रकार की होती हैं ?

9. तुलनात्मक प्रश्न - इस प्रकार के प्रश्नों मे विचारों, वस्तुओं, प्रत्ययों, प्रक्रियाओं आदि की तुलना सम्बन्धी प्रश्न पूछे जाते हैं। उदाहरण- 1. रीढ़धारियों एवं अरीढ़धारियों की तुलना कीजिए। 2. श्वसन एंव प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया की तुलना कीजिए।

निबंधात्मक परीक्षण की विशेषताएँ

  1. निबंधात्मक परीक्षण उन विचारों के समाधान करती हैं जिनके उत्तर देने में उच्च मानसिक योग्यताओं की आवश्यकता पड़ती है।
  2. इनमें विद्यार्थी को स्पष्ट एवं प्रभावशाली विधि से अपने विचारों को व्यक्त करने के अवसर मिलते हैं।
  3. इससे विशिष्ट अध्ययन विधि विकास में सहायता मिलती है।
  4. इस परीक्षा द्वारा सूचना प्राप्ति, चिन्तन क्षमता, अध्ययन दक्षता तथा कार्य करने की आदतों जैसे उद्देश्यों के मापन सरलता से किया जा सकता है।
  5. ये परीक्षा पहचान की अपेक्षा प्रत्यास्मरण, तथ्यों एवं उनके सम्बंधों का अवबोध करने एवं उच्च स्तर पर सोचने की प्रेरणा देती है।
  6. ये परीक्षा रचना की दृष्टि से अत्यधिक सरल है।

निबंधात्मक परीक्षण की सीमाएँ

  1. ये परीक्षा सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाती हैं।
  2. इसमें सफलता संयोग पर निर्भर करती है। कभी-कभी पाठ्यक्रम का एक भाग ही पढ़ कर अयोग्य विद्यार्थी भी सफल हो जाता है और कभी-कभी एक भाग का छोड़ देने से योग्य विद्यार्थी भी असफल हो जाता है।
  3. इस प्रकार की परीक्षा में एक रूपता की कमी होती है। इसका निर्माण परीक्षक से परीक्षक, एक वर्ष से दूसरे वर्ष, एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में भिन्न होता है। जिससे विद्यार्थियों की श्रेष्ठता की तुलना कठिन होती है।
  4. ये केवल स्मरण शक्ति या रटने की योग्यता का मूल्यांकन करती हैं।
  5. इसमें अलग-अलग परीक्षकों द्वारा एक ही उत्तर की जाँच करने पर एक समान अंक प्रदान नहीं किये जाते हैं।
  6. इनमें प्रश्नों के उत्तर अत्यधिक लम्बे होते हैं जिससे छात्रों की कमियों तथा कमजोरियों का पता लगाना कठिन होता है।

1 Comments

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