कावूर कौन था? इटली के एकीकरण में उसका क्या योगदान था?

कावूर का पूरा नाम काउंट कैमिलो दे कावूर था । कावूर का जन्म 1810 ई0 में ट्यूरीन के एक कुलीन परिवार में हुआ था। सैनिक शिक्षा प्राप्त कर वह सेना में इंजीनियर के रूप में भर्ती हुआ। किन्तु अपने उदार विचारों के कारण उसे सेना से 1841 ई0 में त्यागपत्र देना पड़ां 1841-1846 ई0 तक वह अपनी जमींदारी का कार्य करता रहा, इसी समय वह अपनी उदासी दूर करने के लिए कई बार फ्रांस और इग्लैण्ड की यात्रा पर गया। इग्लैण्ड में रहकर उसने संसदीय प्रणाली को नजदीक से देखा और उससे प्रेरित होकर अपने देश में भी उसी प्रकार की शासन प्रणाली स्थापित करने का प्रयत्न करने लगा। 1847 ई0 काउंट कावूर ने ‘इल रिसार्जीमेन्टो’ नामक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया था। इस पत्र के माध्यम से इटली के एकीकरण की बात कहीं जाने लगी।

1848 ई0 में वह सार्डीनिया-पीडमोन्ट की प्रथम संसद का सदस्य चुना गया। उसकी योग्यता के कारण उसे 1850 ई0 में वित्त एवं उद्योग मंत्री बना दिया गया। 1852 ई0 में डी. एजे्रग्लिओ के मंत्रिमण्डल के त्यागपत्र देने पर वह प्रधानमंत्री बना। काउंट कावूर के प्रधानमंत्री नियुक्त होते ही इटली के इतिहास में एक नवीन अध्याय की शुंरूआत हुई। अपने इस काल में उसने एक कूटनीतिज्ञ एवं अद्वितीय राजनीतिज्ञ होने का परिचय दिया। मेजिनी और गैरीबाल्डी के समान काउंट कावूर भी सच्चा देशभक्त था और इटली को स्वतंत्र कर उसका एकीकरण करना चाहता था। वह चाहता था कि-
  1. इटली का एकीकरण सार्डीनिया के नेतृत्व में ही सम्भव हो सकता है।
  2. एकीकरण के लिए यह आवश्यक है कि इटली के राज्यों को आस्ट्रिया से मुक्त कराया जाय और
  3. आस्ट्रिया से मुक्ति प्राप्त करने के लिए विदेशी सहायता आवश्यक है। 
यह काउंट कावूर के महान मस्तिष्क का कार्य था, जिसने मेजिनी के प्रेरणा को एक प्रबल कूटनीतिज्ञ शक्ति के रूप में गतिमान बनाया और गैरीबाल्डी की तलवार का एक राष्ट्रीय अस्त्र के रूप में प्रयोग किया। वास्तव में  काउंट कावूर के बिना मैजिनी का आदर्शवाद और गैरीबाल्डी की वीरता निरर्थक होती। काउंट कावूर ने इन दोनों के विचारों में सामंजस्य स्थापित किया।

कावूर के उद्देश्य

कावूर इटली का एकीकरण करना चाहता था जिस तरह मैजिनी, लेकिन दोनों के रास्ते अलग थे। जहाॅ कावूर संवैधानिक राजतंत्र का प्रबल समर्थक था वही मैजिनी इटली में गणतंत्र की स्थापना करना चाह रहा था। 
  1. उसका विश्वास था कि इटली का एकीकरण - सार्डीनिया राज्य के नेतृत्व में ही संभव हैं। अतएव उसने पीडमाण्ड राजवंश को अपना पूर्ण समर्थन प्रदान किया।
  2. वह सार्डीनिया पीडमाण्ड राज्य को इटली के सर्वशक्तिशाली राज्य में परिवर्तित करना चाहता था। अतएव उसने पीडमाण्ड की सर्वोत्मुखी प्रगति का प्रयास किया।
  3. वह जानता था कि बिना सशस्त्र संघर्ष के आस्ट्रिया का प्रभुत्व समाप्त नही किया जा सकता हैं। अतएव उसने एक सुसज्जित ओर प्रशिक्षित सेना के निर्माण पर विशेष जोर दिया। 
  4. उसने कूटनीति द्वारा यूरोपीय राज्यों की मित्रता प्राप्त करने की कोषिष की।

काउंट कावूर की विदेश-नीति 

इटली के एकीकरण के लिये आस्ट्रिया के प्रभुत्व से मुक्त होना तथा पीडमोन्ट के शासक की अध्यक्षता में उसे संघटित करना काउंट कावूर की विदेश नीति का उद्देश्य था। बिस्मार्क की भॉति वह यथार्थवादी राजनीति में विश्वास रखता था। उसे युद्ध और सैन्यवाद की नीति में विश्वास था। उसे यह ज्ञान था कि इग्लैंण्ड और फ्रांस उसके सहायक हो सकते थे। इग्लैंण्ड में इटली के प्रति सहानुभूति अवश्य थी किन्तु उससे सक्रिय मदद की आशा नहीं थी। दूसरी ओर फ्रांस का शासक नेपोलियन तृतीय महत्वाकांक्षी, साहसी और राष्ट्रीयता का समर्थक था इसलिए काउंट कावूर ने नेपोलियन तृतीय की सहायता प्राप्त करने का प्रयत्न किया।

काउंट कावूर की गृह-नीति 

कावूर ने राज्य की आर्थिक उन्नति के लिए विशेष प्रयत्न किए। उसने व्यापार वाणिज्य के विकास के लिए मुक्त व्यापार नीति अपनाकर विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन दिया। यातायात की सुविधाओं का विस्तार किया और बैंको की स्थापना की। सहकारी समितियॉ खोली तथा कृषि की उन्नति के लिए विभिन्न संस्थाएँ स्थापित की। काउंट कावूर ने आर्थिक सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए गिरिजाघरों की भूमि पर कर लगा दिया। कैथोलिक लोग इटली की एकता में बाधक थे। अत: चर्च के अनेक विशेषाधिकार छीन लिये गये। सेना में सुधार करते हुए उसने जनरल ला-मारमोरा को सेनाध्यक्ष नियुक्त किया। 90000 सैनिकों की उसने एक सुसज्जित सेना तैयार की। राज्य की सीमा पर दुर्ग बनवायें। नौसेना में भी सुधार कार्य किया। काउंट कावूर अपनी गृह-नीति में बहुत सफल हुआ। पीडमोन्ट जैसे छोटे एवं गरीब राज्य को उसने सुदृढ़, समृद्ध एवं एक आदर्श राज्य में परिणत कर दिया।

कावूर की कठिनाइयाॅ

कावूर को अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कठिन प्रयास करना पड़ा। इटली के राज्यों में संगठन और एकता का सर्वदा अभाव था। वे एकजुट होकर आस्ट्रिया की सेना का सामना करने में समर्थ नही थे। यहां कई शासक ऐसे भी थे जो पीडमाण्ड के नेतृत्व में इटली के एकीकरण के विरोधी थे। यहां के देशभक्त और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी विभाजित थे। यहाॅ हो रहे छुटपुट विद्रोहों से इसका एकीकरण संभव नहीं था। गणतंत्रवादी गणतंत्र की स्थापना हेतु प्रयत्नशील थे। आस्ट्रिया जैसे शक्तिशाली राज्य के विरूद्ध यूरोपीय शक्तियों की मित्रता और सद्भावना प्राप्त करना एक दुष्कर कार्य था, लेकिन कावूर अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहा था।

कावूर के सुधार

कावूर ने सार्डीनिया पीडमाण्ड राज्य की प्रगति के लिए वहाॅ कई सुधार किये- 

1. आर्थिक प्रगति के लिए उसने व्यापार ओर वाणिज्य पर विशेष तौर पर ध्यान दिया। उसने स्वतंत्र व्यापार नीति का अनुसरण किया जिसके लिए यूरोप के देशों के साथ व्यापारिक संधियाॅ कायम की, बैंकों की स्थापना के साथ ही नवीन सड़को और रेलमार्गो का निर्माण हुआ। चर्च की भूमि का उपयोग सार्वजनिक हित में किया गया। आर्थिक नीति के कारण पीडमाण्ड राज्य में नये-नये कारखाने खुलने लग गए।

2. उसने सेना संबंधी अनेक सुधार किये लोगों को सेना में भर्ती के लिए प्रोत्साहित किया सेना के प्रशिक्षण अनुशासन पर जोर देते हुए उसे नवीन अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित किया, जहाजी बेड़े, दुर्गो का निर्माण किया।

3. कावूर राजनीति के क्षेत्र में चर्च के हस्तक्षेप को पंसद नहीं करता था क्योंकि कैथोलिक पादरी इटली के एकीकरण के विरोधी थे। अतः उसने चर्च के विशेषाधिकार छीने वहाॅ की बहुत सी भूमि छीन कर वहां अनेक नये स्कूल खुलवायें।

4. उसने सार्डीनिया - पीडमाण्ड में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना का प्रयत्न किया उसने मताधिकार का विस्तार कर भाषण एवं पे्रस की स्वतंत्रता को स्वीकार किया। इन सुधारों के बाद पीडमाण्ड की गणना इटली के एक शक्तिषाली राज्य में होने लगी।

कावूर का मूल्याकंन

इटली के एकीकरण से पूर्व ही महान देशभक्त कावूर का 6 जून 1861 ई0 को देहावसान हो गया। एलीसन फिलिप्स ने ठीक ही कहा है कि “एक राष्ट्र के रूप में इटली कावूर की देन है।” वस्तुत: कावूर के बिना मैजिनी का आदर्शवाद और गैराबाल्डी की वीरता निष्फल लड़ाई और निराशा के इतिहास में एक अध्याय और बढ़ा देते। कावूर प्रथम व्यक्ति था, जिसने इटली की समस्याओं के सभी पहलुओं को देखा। उसने कुशल राजनेता की भाँति यह जान लिया कि इटली की समस्याओं का समाधान अन्र्तराष्ट्रीय सहयोग, यूरोपीय कूटनीति तथा युद्ध द्वारा ही हो सकेगा। क्रीमिया के युद्ध में सार्डीनिया का भाग लेना कावूर की एक कूटनीतिक पहल थी। पेरिस के शान्ति सम्मेलन में इटली के प्रश्न को प्रस्तुत कर उसे एक यूरोपीय प्रश्न बना दिया। कावूर ने बड़ी बुद्धिमानी से सम्राट को सेना के साथ भेजकर गैराबाल्डी के जोश पर अंकुश लगाया। नि:सदेह कावूर आधुनिक इटली का स्वप्नदृष्टा एवं जन्मदाता था।

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