स्वस्थ रहने के प्राकृतिक उपाय या नियम क्या है ?

प्रकृति के नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करने वाला मनुष्य हमेशा स्वस्थ रहता है। कुछ लोगों का भ्रम है कि प्राकृतिक जीवन का तात्पर्य जंगली जीवन व्यतीत करना तथा कच्चे खाद्य पदार्थ का सेवन करना है। 

स्वस्थ रहने के प्राकृतिक उपाय

प्राकृतिक नियमानुसार जीवन को स्वस्थ बनाने के लिए उपाय बताये गये है-

1. प्रातःकाल टहलना

प्रातःकाल की वायु सबसे लाभदायक होती है। प्रातःकाल टहलने से व्यक्ति इस प्राणवर्धक आक्सीजन से सम्पर्क, पौष्टिक भोजन से भी अधिक स्वास्थ्यवर्धक है। मानव शरीर के कई अंगों की सफाई के लिए फेफड़ों को स्वच्छ और सक्रिय रखना महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। सांस लेने से वायु फेफड़ों में जाती है उससे फेफड़े प्राण तत्व को ग्रहण कर लेते है और जो अनावश्यक तत्व रह जाते है उसे फेफड़े बाहर निकाल देते हैं। इसलिए प्रातःकाल का टहलना आवश्यक है।

2. जल पीने के नियम

जल पीने से शरीर की सफाई का कार्य सही से चलता रहता है। प्रातःकाल उठकर जल पीना शरीर तथा मन दोनों के लिए आवश्यक होता है लेकिन आज प्रातःकाल चाय पीने का प्रचलन हो गया है तथा ये प्यास बुझाने के लिए उपयोग में लायी जाने लगी है परिणाम स्वरूप अनेक प्रकार के रक्त सम्बन्धी व पाचन सम्बन्धी विकार उत्पन्न हो रहे है।

3. भोजन सम्बन्धी नियम

ताजा भोजन, सलाद, हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज जिसके सेवन से रक्त शुद्ध तथा शक्तिवर्धक होता है। भोजन करने का एक निश्चित समय होना चाहिए तभी भोजन शरीर के लिए लाभकारी होता है। आज प्राकृतिक भोजन मसालेयुक्त कड़वे खट्टे मांसाहारी भोजन, जंकफूड की आदत बढ़ती जा रही है। यदि रोगों को दूर करना है तो शाकाहारी भोजन करना आवश्यक है। और भोजन के समय शान्त चित होकर भोजन करना चाहिए। आज सबसे अधिक जल्दबाजी भोजन करने में की जाती है। जिसके कारण पाचन के लिए उचित इन्जाइमस भोजन के साथ नहीं मिल पाते। इसी कारण आज अधिकांशता मनुष्य पेट के रोग से ग्रस्त रहते है। 

4. विश्राम के नियम

परिश्रम में सोई हुई जीवनी शक्ति को दुबारा प्राप्त करने के लिए ही विश्राम की आवश्यकता है। लेकिन आज व्यक्ति शरीर में जब तक शक्ति रहती है तब तक विश्राम करना नहीं चाहता। आज जब हम आराम करते है उस वक्त विश्राम की मानसिक दशा को हम भूले रहते है। विस्तर पर पड़े रहने की हालत में भी हमारे शरीर विशेषकर मस्तिष्क में तनाव बना रहता है जो मन की चंचल अवस्था के कारण होता है। यह विश्राम नहीं है, जैसे बच्चा बेफिक्री से देह, मस्तिष्क को शिथिल किये शैया पर पड़ा रहता है यही विश्राम सही है। 

5. सोने के नियम

रात को जल्दी सोना तथा प्रातः काल जल्दी उठना। इससे शरीर स्वस्थ रहता है। लेकिन आज देर राम तक जगना तथा प्रातःकाल देर तक सोना लोगों की आदत बनती जा रही है। जिसके कारण नींद पूरी नहीं हो पाती है और आवश्यकता से कम सोने से रक्त में एल्कोहल की मात्रा बढ़ जाती है। फलस्वरूप कई बीमारियां हो जाती है। सोना से मनुष्य शरीर में ताजगी या स्फूर्ति आती है और यह काम में खर्च हुई शक्ति को दुबारा प्राप्ति के साधन है। 

डाॅ0 नैथालीन के अनुसार- अनिद्रा पागलपन का पहला लक्षण है यदि समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाये तो उच्च रक्तचाप, मोटापा, हृदयरोग, मधुमेह, चिड़चिड़ापन हो सकते है।

6. सकारात्मक विचार

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मनुष्य के विचारों को विधेयात्मक चिन्तन होना आवश्यक है उसे सदैव सकारात्मक  विचार रखने चाहिए। क्योंकि भावनाओं और विचारों में ऊर्जा होती है अपने विचारों को नयी दिशा देकर हम कार्य करें। 

7. सामाजिक तथा नैतिक व्यवहार सम्बन्धी

मनुष्य को सुख-दुःख, लाभ-हानि सभी परिस्थियों में अपने को नियन्त्रित रखना चाहिए। जहाँ तक हो सके मानव की सेवा करना अपना धर्म समझना चाहिए। अपने माता-पिता, वृद्ध, गुरू आदि का सम्मान करना चाहिए। अधिक स्वार्थी नहीं होना चाहिए। सादा जीवन उच्चविचार मे विश्वास रखना चाहिए। सच्चाई में विश्वास करना चाहिए तथा सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए। 

Post a Comment

Previous Post Next Post