कर भार क्या है कर भार के प्रकार?

कर चुकाने में करदाता को धन का त्याग करना पड़ता है। इस त्याग को ही कर का भार कहते है।

कर भार के प्रकार

डाल्टन ने कर के चार प्रकार के भार बताये है:-
  1. प्रत्यक्ष मुद्राभार
  2. प्रत्यक्ष वास्तविक भार
  3. अप्रत्यक्ष मुद्राभार
  4. अप्रत्यक्ष वास्तविक भार
1. प्रत्यक्ष मुद्राभार - किसी कर के निमित्त जो धन राशि चुकाई जाती है, उसे कर का प्रत्यक्ष मुद्राभार कहते है। उदाहरणार्थ, आय कर के प्रत्यक्ष मुद्राभार से तात्पर्य, उस धन राशि से है, जो कि सरकार को आयकर के रूप में दी गई है।

2. प्रत्यक्ष वास्तविक भार - प्रत्यक्ष मुद्राभार चुकाने में जो आर्थिक कल्याण का त्याग करना पड़ता है उसे कर का प्रत्यक्ष वास्तविक भार कहते है। 

3. अप्रत्यक्ष मुद्रा भार - कर के अप्रत्यक्ष मुद्राभार से तात्पर्य मुद्रा के उस त्याग से होता है जो कि करदाता को कर लगने के फलस्वरूप तो करना पड़ता है परन्तु कर के निमित्त नहीं। इसलिये यह धनराशि सरकार को कर के रूप में नहीं मिलती। अप्रत्यक्ष मुद्रा भार के उदाहरण प्रमुख हैः-

1. करदाता जब कर की राशि सरकार को चुकाता है और बाद में अन्य किसी व्यक्ति पर उसे टालता है तो इन दोनों क्रियाओं के बीच कुछ समय लगता है। इसके कारण कर के रूप में दी गई धन-राशि पर ब्याज की हानि होती है। इस ब्याज की हानि को अप्रत्यक्ष मुद्राभार कहते है।

2. ब्याज की हानि से बचने के लिये करदाता वस्तु का मूल्य कर की राशि से कुछ और अधिक बढ़ा सकता है। इस अतिरिक्त मूल्य वृद्धि को जिसे कि उपभोक्ता को देना पडे़गा, अप्रत्यक्ष मुद्राभार कहेंगे।

3. यदि कोई वस्तु उत्पादन व्यय हा्रस नियम के अन्तर्गत उत्पन्न की जा रही है और उस पर कर लगता है तो सम्भव है कि उस वस्तु के मूल्य में वृद्धि कर की राशि के बराबर न होकर कुछ और अधिक हो, ताकि कम उत्पादन करने से जो लागत बढ़ेगी वह भी पूरी हो जाय। इस प्रकार उपभोक्ता को कर राशि से कुछ और अधिक त्याग करना पडे़गा और इस अतिरिक्त त्याग को अप्रत्यक्ष मुद्राभार कहेंगे।

4. कर लगने से उत्पादकगण उत्पादन में कमी कर देते है जिससे उन्हें मौद्रिक आय की कमी हो जाती है; इसे भी अप्रत्यक्ष मुद्राभार कहेंगे।

4. अप्रत्यक्ष वास्तविक भार - कर के अप्रत्यक्ष वास्तविक भार से तात्पर्य आर्थिक कल्याण के उस त्याग से होता है जो कर लगने के फलस्वरूप तो होता है परन्तु कर के निमित्त दी हुई धनराशि के फलस्वरूप नहीं। इसके निम्न उदाहरण प्रमुख है-

1. वस्तुओं के मूल्य बढ़ने के कारण उपभोग में कमी हो सकती है या घटिया किस्म की वस्तु का उपयोग बढ़ सकता है। इसमें आर्थिक कल्याण का त्याग होता है, जिसे अप्रत्यक्ष वास्तविक भार कहते है।

2. अप्रत्यक्ष मौद्रिक भार के रूप में धन का त्याग करने से भी आर्थिक कल्याण का त्याग होता है।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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