संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य, सिद्धांत, अंग

संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 51 देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित करने और सामाजिक प्रगति, बेहतर जीवन स्तर और मानव अधिकारों को बढा़वा देने के लिए की गई थी। इससे पहले प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1919 में शांति के उद्देश्य से राष्ट्र-संघ की स्थापना की गयी थी, किन्तु यह शांति और सौहाद्र् स्थापित में असफल सिद्ध हुआ था। 

द्वितीय विश्वयुद्ध के विनाशकारी परिणामों के बाद विश्व के प्रमुख नेताओं ने एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय संगठन के निर्माण के बारे में सोचा जो भविष्य में युद्ध से बचा सके और विश्व में शांति स्थापित कर सके। इसी उद्देश्य के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ की नीव रक्खी गयी। भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य देश है और यह उनमें से भी एक था जिन्होंने 

1945 में सैन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना करने वाले मसौदे पर हस्ताक्षर किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है और जेनेवा, वियना और नैरोबी में इसके क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ संघ का इतिहास

द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले ही विश्व शांति एवं सुरक्षा के लिए मित्र राष्ट्रों द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना हेतु सहमति व्यक्त की गयी थी। सबके समक्ष संयुक्त राष्ट्र संघ का विचार अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी रूजवेल्ट और ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने अगस्त 1941 में अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर के द्वारा प्रस्तुत किया। 1 जनवरी, 1942 को, 26 देशांे द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषणा पर हस्ताक्षर किए। वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ निर्माण के लिए तेहरान में सम्मलेन हुआ

संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन की दिशा में पहला बड़ा कदम 21 अगस्त से लेकर 7 अक्टूबर, 1944 को डंबर्टन ओक्स सम्मले न में लिया गया था, जिसमें “बिग थ्री” (अमेरिका, ब्रिटेन और सोवियत संघ) राष्ट्रों और चीन के राजनयिक विशष्े ाज्ञांे की एक बैठक आयोजित हुयी। हालांकि चार देशों ने एक नए विश्व संगठन के सामान्य उद्देश्य, संरचना और कार्य पर सहमति व्यक्त की, लेकिन सम्मेलन सदस्यता और मतदान पर असहमति के बीच समाप्त हो यह सम्मलेन समाप्त हो गया। इसके पश्चात फरवरी 1945 के याल्टा सम्मेलन में “बिग थ्री” राष्ट्रों द्वारा सुरक्षा परिषद् में पाचं स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार प्रदान किया गया।

इसके पश्चात 25 अप्रैल, 1945 को सैन फ्रांसिस्को में सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतिम चार्टर का निर्माण हुआ। सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में दुनिया के सभी भौगोलिक क्षेत्रों से 50 देशों े के प्रतिनिधि शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर को सर्वसम्मति से 26 जून को अपनाया गया और 24 अक्टूबर, 1945 को इस पर सदस्य राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षर किया गया और इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ संघ का जन्म हुआ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य जिनका उल्लेख चार्टर के अनुच्छेद 1 में मिलता है - 
  1. अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना ।
  2. राष्ट्रों के बीच संबंध विकसित करना। 
  3. अंतरराष्ट्रीय सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय समस्याओं को सुलझाने और मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के सम्मान को बढ़ावा देने में सहयोग करना। 
  4. पृथ्वी और पर्यावरण की सुरक्षा करना।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत

चार्टर के अनुच्छेद 2 में संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यकरण के सिद्धांतों का वर्णन है-
  1. यह अपने सभी सदस्यों की संप्रभु समानता पर आधारित है। 
  2. सभी सदस्य राष्ट्रों को चार्टर के सभी दायित्वों को पूरी निष्ठा से पालन करना है। 
  3. सभी सदस्य राष्ट्र द्वारा बिना अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और न्याय को खतरे में डाले शांति से अपने अंतरराष्ट्रीय विवादों का निपटारा करना है। 
  4. सदस्य राष्ट्रों को किसी अन्य राज्य के खिलाफ बल के खतरे या उपयोग से बचना होगा । 
  5. सदस्य राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुसार होने वाली प्रत्येक कार्रवाई में हर संभव सहायता देने के तैयार रहना हैं। 

संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग

चार्टर के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के छह मूल अंग हैं:
  1. महासभा
  2. सुरक्षा परिषद
  3. आर्थिक और सामाजिक परिषद
  4. न्यास परिषद
  5. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
  6. सचिवालय

1. महासभा

महासभा का प्राथमिक कार्य महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करना और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाये रखने के लिए सिफारिश करना है।

2. सुरक्षा परिषद

 सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ का महत्वपूर्ण अंग है जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर के तहत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाये रखना है। इसमें 15 सदस्य होते हैं, जिसमें 5 स्थायी और 10 गैर-स्थायी सदस्य है जो दो साल के लिए महासभा द्वारा निर्वाचित होते हैं।

3. आर्थिक और सामाजिक परिषद

आर्थिक और सामाजिक परिषद, समन्वय, नीति समीक्षा, नीतिगत वार्ता और आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर सिफारिशों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय रूप से सहमत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिए प्रमुख निकाय है। यह आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र संघ प्रणाली और इसकी विशेष एजेंसिया की गतिविधियों के लिए केंद्रीय तंत्र के रूप में कार्य करता है, तथा सहायक और विशेषज्ञ निकायों की देखरेख करता है। इसमें तीन वर्ष की अवधि के लिए महासभा द्वारा निर्वाचित 54 सदस्य होते हैं। यह सतत विकास पर बहस और नई सोच के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का केंद्रीय मंच है।

कई संयुक्त राष्ट्र संघ एजेंसिया और कार्यक्रम ECOSOC के साथ मिलकर काम करते हैं। एजेंसियां सभी स्वतंत्र संगठन हैं, जिनके अपने सदस्य देश और बजट हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के कई कार्यक्रम महासभा द्वारा बनाए गए और ECOSOC के साथ मिलकर काम करते हैं, लेकिन महासभा और / या सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट करते हैं।

4. न्यास परिषद

न्यास परिषद् को विश्वास क्षेत्रों की सरकार की निगरानी करने और उन्हें स्व-सरकार या स्वतंत्रता के लिए नेतृत्व करने के लिए निर्मित किया गया था।

5. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख न्यायिक अंग है। इसका मुख्यालय हगे (नीदरलैंड) के पीस पैलेस में है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ के छह प्रमुख अंगों में से एकमात्र अंग है जो न्यूयॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका) में स्थित नहीं है।

6. सचिवालय

सचिवालय में संयुक्त राष्ट्र संघ के हजारों महासचिव और अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी शामिल होते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के दिन-प्रतिदिन के कार्य को महासभा और संयुक्त राष्ट्र संघ संगठन के अन्य प्रमुख अंगों द्वारा अनिवार्य रूप से संपादित करते हैं। महासचिव संगठन का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है, जिसे पाँच साल के लिए सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा नियुक्त किया जाता है।

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