फ्लेमिंग ने अपनी प्रयोगशाला में बैक्टीरिया पर प्रयोग करते समय यह पाया की कुछ फफूंद की वजह से बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है। इन फफूंद का नाम पेनिसिलन था। ये एक रासायनिक तत्व का स्रावण करते थे जिसकी वजह से बैक्टीरिया में विकास नहीं होता था। फ्लेमिंग ने इस रासायनिक तत्व को निकाल लिया और इसे पेनिसिलिन कहा गया।
परन्तु फ्लेंमिग द्वारा निकाला गया पेनिसिलिन स्थाई नहीं था और इसे दवाओं के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता था। इस चुनौती को पूरा किया आस्ट्रेलिया के हावर्ड फ्लोरी और जर्मनी के अर्नस्ट चेन ने, जिन्होंने पेनिसिलिन की स्थाई संरचना बनाने में सफलता प्राप्त की और इनके इस काम ने ही पेनिसिलिन के महत्व को पूरा किया। इन तीनों को एक साथ विभिन्न संक्रामक रोगों में पेनिसिलिन की खोज और उसके उपचारात्मक प्रभाव के लिए 1945 में चिकित्सा का नोबल पुरस्कार मिला। पेनिसिलीन अब तक ज्ञात सबसे उपयोगी दवाओं में से एक है।
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