सम्पर्क भाषा किसे कहते हैं इसकी परिभाषा

भाषा वह ध्वनि समूह है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने भावों और विचारों को प्रकट करता है । जिस भाषा के माध्यम से मनुष्य एक दूसरे से संपर्क स्थापित करता है, उसे सम्पर्क भाषा कहा जाता है । इसे Link Language भी कहते हैं ।

डॉ. विजयपाल सिंह के मतानुसार, “वह भाषा जो दो भिन्न भाषा-भाषी अथवा एक भाषा की दो मित्र उपभाषाओं के मध्य अथवा अनेक बोलियाँ बोलने वालों के मध्य संपर्क का माध्यम होती है, जिसके माध्यम से भावों एवं विचारों में आदान प्रदान किया जाता है, 'सम्पर्क भाषा' कहलाती है । "

भारत जैसे विशाल देश में अनेक जाति एवं अनेक भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं । भारत में 18 भाषाएँ और 2796 बोलियाँ, उपबोलियाँ बोली जाती हैं। ऐसी स्थिति में सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एकता के लिए एक भाषा की अनिवार्यता है । भारत जैसे बहुभाषा भाषी देश में सबसे अधिक संख्या में बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी ही है, जो संपर्क भाषा का कार्य कर रही है। हिंदी किसी प्रांत विशेष या धर्म विशेष की भाषा न होकर संपूर्ण भारत में संपर्क भाषा के रुप में स्वीकृत है। कहने का तात्पर्य यह है कि हिंदी केवल हिंदी भाषियों की ही नहीं, वरन् हिंदीतर भाषियों की भी एकमात्र संपर्क भाषा है ।

प्राचीन काल में ‘संस्कृत' इस देश की संपर्क भाषा के रुप में कार्य कर रही थी । बौद्ध काल में 'पालि- प्राकृत' भाषा का संपर्क भाषा के रूप में प्रयोग होने लगा । जब पालि व्याकरणबद्ध होकर साहित्यिक भाषा बनी, तब जनसाधारण ने अपभ्रंश भाषा को अपनाया । इसके बाद शौरसेनी, भोजपुरी, ब्रज, अवधी एवं खड़ी बोली का प्रचलन दिखाई देता है। सातवीं शती से संपर्क भाषा के रुप में सिद्धों, नाथों एवं संतों, भक्तों ने हिंदी को अपनाया है । भक्ति आंदोलन में हिंदी ही संपर्क भाषा का काम करती रही । यवन आक्रांताओं ने संपर्क के रुप में दक्खिनी हिंदी को अपनाया । ईसाई मिशनरियों ने भी इसे हिंदुस्तानी के रुप में स्वीकारा। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी ही संपर्क भाषा के रुप में प्रचलित रही ।

आज जनसंचार माध्यमों का प्रयोग बढ़ रहा है । सिनेमा, दूरदर्शन, समाचार पत्र आदि का प्रसार एवं प्रयोग बढ़ रहा है । हिंदी देश-विदेश के कोने-कोने तक पहुँच गई है। महानगरों में तो हिंदी एकमात्र संपर्क की भाषा बन रही है ।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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