गुरु ग्रंथ साहिब क्या है?

सिखों का प्रमुख धर्मग्रंथ है ‘गुरुग्रंथ साहिब' । इसे ‘आदिग्रंथ' भी कहा जाता है ‘गुरुग्रंथ साहिब’ का पहला प्रकाशन 16 अगस्त 1604 को हरिमंदिर साहिब, अमृतसर में हुआ था । सन् 1705 में दमदमा साहिब में सिखों के अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी ने इसमें गुरु तेग बहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसे पूर्ण किया । इसमें कुल 1430 पृष्ठ हैं । इसमें मात्र सिख गुरुओं के ही उपदेश नहीं है, बल्कि 30 अन्य हिंदू तथा मुस्लिम भक्तों की वाणी भी शामिल है । जयदेव जी तथा परमानंद जी जैसे ब्राह्मण भक्तों की वाणी के साथ-साथ कबीर, रविदास, नामदेव, सैण जी, सघना जी, छीवाजी, धन्ना, पीपा आदि की वाणी भी शामिल है । भाषिक अभिव्यक्ति, दार्शनिकता और संदेश की दृष्टि से गुरुग्रंथ साहिब अद्वितीय है । गुरुमुखी लिपि में इसे सर्वप्रथम गुरु अर्जुन देव ने संपादित किया था । संगीत के सुरों एवं 31 रागों के प्रयोग से आत्मविषयक गूढ़ आध्यात्मिक उपदेश मधुर एवं सारग्राही बन पड़े हैं । 

गुरु गोविंद सिंह ने गुरु-प्रथा को समाप्त करते हुए 'गुरुग्रंथ साहिब' को ही गुरु मानने की घोषणा की थी । सिखों के लिए यह ग्रंथ गुरु स्वरूप है । सिखों के संपूर्ण धार्मिक जीवन का आधार यह ग्रंथ ही है ।

Post a Comment

Previous Post Next Post