आयुर्वेद

आयुर्वेद के आठ अंग

आयुर्वेद के आठ अंग प्रारम्भ में आयुर्वेद को आठ अंग में विभक्त किया - शल्य शालाक्य कायचिकित्सा भूतविद्या कौमारभृत्य अगदतन्त्र रसायनतन्त्र वाजीकरण तन्त्र 1. शल्यतन्त्र कई प्रकार के छाल, लकड़ी, पत्थर, धूल, धातु, मिट्टी, हड्डी, केश, नख, पूय आगन्तुक तथा आ…

आयुर्वेद के प्रमुख चार ग्रंथ कौन से हैं ?

संसार के प्राचीनतम ग्रन्थों में ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद एवं सामवेद हैं। इन चारों वेदों में आयुर्वेद चिकित्सा का भी वर्णन है। अथर्वेद में आयुर्वेद में आयुर्वेद का विस्तृत वर्णन मिलता है तथा आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद माना गया है। आयुर्वेद के प्रमुख…

आयुर्वेद का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार

जिस शास्त्र में हितायु, अहितायु, सुखायु और दु:खायु इन चार प्रकार की आयु के लिए हितकर तथा अहितकर द्रव्य, गुण एवं कर्म के प्रमाण का विवेचन और जिसमें आयुओं के स्वरुप का वर्णन किया गया हो उसे ‘आयुर्वेद’ कहते हैं। आयुर्वेद का अर्थ आयुर्वेद शब्द की निरूक्ति…

आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य कौन-कौन से हैं?

आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य, आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य कौन-कौन से हैं? धनवन्तरि तथा दिवोदास पौराणिक इतिहास में भी दिवोदास नाम के अनेक व्यक्ति मिलते है। हरिवंश पुराण के 29 वे अध्याय में काश वंश में धन्वन्तरि तथा दिवोदास का काश…

आयुर्वेद और योग (आयुर्वेद में योग के प्रकार, आयुर्वेद में वर्णित प्राणायाम)

आयुर्वेद और योग दोनों ही अत्यन्त प्राचीन विद्यायें हैं। दोनों का विकास और प्रयोग समान उद्देश्य के लिए एक ही काल में मनुष्य मात्र के दु:खों को दूर करने के लिए हुआ। आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ जीवन का विज्ञान है। इसे एक बहु उद्देश्यीय विज्ञान के रूप में व…

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