आल्हा बुंदेलखंड में गाया जाने वाला लोकप्रिय लोक काव्य है। बरसात के दिनों में ग्रामीण इलाकों में लोग इसे चाव से गाते हैं। यह वीर रस का काव्य है। इसकी रचना करीब छह सौ साल पहले जगनीक नाम के जनकवि ने की थी। तबसे यह बुंदेलखंड की लोक कला संस्कृति का आईना बन…