आश्रम व्यवस्था

आश्रम-व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन

आश्रम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के श्रम् धातु से हुई है। जिसका अर्थ है परिश्रम या प्रयास करना। अतः आश्रम वे स्थान हैं, जहां प्रयास किया जाये। मूलतः आश्रम जीवन की यात्रा में एक विश्राम स्थल है जहां आगे की तैयारी की जाती है। इसका अन्तिम लक्ष्य मोक्ष तक प…

आश्रम व्यवस्था क्या है (ब्रम्हचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम)

हिन्दू जीवन दर्शन ने आध्यात्मिक भोग, त्याग तथा वैधानिक और सामाजिक विकास के संतुलन के लिये हिन्दू सामाजिक संगठन के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाएं की है। आश्रम व्यवस्था भी उनमें से एक है। चारांे पुरुषार्थों की क्रमबद्ध विधिवत और सुनियोजित पूर्ति क…

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