कंपनी

कंपनी के प्रवर्तक कौन होता है?

कम्पनी निर्माण में प्रवर्त्तन पहली सीढ़ी है जिसके आधार पर कम्पनी के निर्माण हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाती है। प्रवर्त्तन का अर्थ प्रारम्भ से है। कम्पनी का निर्माण प्रारम्भ करने से पूर्व कुछ लोग मिलकर किसी व्यवसाय को शुरू करने की कल्पना करते हैं अर्थात…

कंपनी अंकेक्षक की नियुक्ति कैसे होती है?

भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत प्रत्येक कम्पनी के लिए अपने लेखों का अंकेक्षण करना अनिवार्य है। यह अंकेक्षण ‘‘वैधानिक अंकेक्षण’’ कहलाता है। जो व्यक्ति इस कार्य के लिए नियुक्त किया जाता है उसे ‘‘वैधानिक अंकेक्षक’’ कहते हैं। भारतीय कम्पनी अधिनिय…

निजी कम्पनी के विशेषाधिकार क्या है?

निजी कम्पनी के विशेषाधिकार कम्पनी अधि0 1956 के अन्तर्गत सभी निजी कम्पनी के कुछ विशेषाधिकार प्राप्त है। परन्तु कुछ विशेषाधिकार तथा छूटे ऐसी है जो केवल स्वतंत्र निजी कम्पनियों को प्राप्त है। सभी निजी कम्पनियों को ये विशेषाधिकार प्राप्त है:-  न्यूनतम सदस…

पार्षद अन्तर्नियम की विषय सामग्री क्या है?

कम्पनी का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज पार्षद अन्तर्नियम है जिसे कम्पनी बनाने के समय कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। अन्तर्नियम कम्पनी के व्यापार के आन्तरिक प्रबन्ध से संबंधित नियम है। कम्पनी के आन्तरिक प्रबन्ध को नियंत्रित करने के…

कंपनी की सदस्यता से क्या आशय है ? कंपनी की सदस्यता प्राप्त करने के तरीके ?

कंपनी का सदस्य वह व्यक्ति होता है जो कंपनी का पार्षद सीमा नियम में हस्ताक्षर करता है। कोई व्यक्ति जो कंपनी को सदस्य होने की लिखित स्वीकृति देता है तथा जिसका नाम कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर में अभिलिखित है, वह भी कंपनी का सदस्य होता है। सदस्यों का रजिस…

बहुराष्ट्रीय कंपनी किसे कहते हैं? | what is a multinational company (mnc) in hindi

बहुराष्ट्रीय कंपनी से आशय ऐसी कम्पनी से है, जिसके कार्य क्षेत्र का विस्तार एक से अधिक देशों में होता है जिसकी उत्पादन एवं सेवा सुविधाएं उस देश से बाहर हैं। ये कम्पनियाँ ऐसी होती है जिसका प्रधान कार्यालय एक देश में स्थित होता है परन्तु वे अपनी व्यापारि…

कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 226 के अनुसार कम्पनी अंकेक्षक की योग्यताएँ ?

अंकेक्षकों की नियुक्ति संचालक मण्डल के द्वारा, अंशधारियों के द्वारा एवं केन्द्र सरकार के द्वारा, स्थितियों को देखते हुए, की जाती है। भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत प्रत्येक कम्पनी के लिए अपने लेखों का अंकेक्षण करना अनिवार्य है। यह अंकेक्षण ‘‘…

कौन-कौन से कार्य कंपनी प्रवर्तकों को करने पड़ते हैं

प्रवर्तक वह व्यक्ति हैं जो कम्पनी का निर्माण करता है या उसमें सहायता करता है। प्रवर्तक एक व्यक्ति, फर्म व्यक्तियों का समूह या कम्पनी कोई भी हो सकता है। लेकिन निर्माण या प्रवर्तन से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति प्रवर्तक नहीं होता है। लेकिन अधिवक्ता पर वकील…

सार्वजनिक उपक्रम का अर्थ, विशेषताएँ और महत्व

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का तात्पर्य ऐसे उपक्रम से होता है जो सरकार के स्वामित्व, प्रबन्ध एवं नियंत्रण में संचालित किया जाता है। लोक उपक्रम को लोक उद्योग, सार्वजविक उपक्रम, राजकीय उपक्रम, सरकारी उपक्रम, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आदि अनेक नामों से…

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