जैन धर्म

जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत

वर्द्धमान महावीर जैन-धर्म के चौबीसवें तीर्थङ्कर थे। जैन परम्परा के अनुसार प्रथम तीर्थङ्कर थे ऋषभदेव और तेईसवें थे पार्श्वनाथ। शेष तीर्थङ्करों के क्रमशः ये नाम मिलते है - अजितनाथ, सम्भवनाथ, अभिनन्दन, सुमतिनाथ, पद्यप्रभ, सुपार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ सुविधिन…

जैन धर्म को मानने वाले राजा

जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे। जो काशी के इक्ष्वाकु वंशीय राजा अश्वसेन के पुत्र थे। इन्होंने 30 वर्ष की अवस्था में सन्यास जीवन को स्वीकारा था। इनके द्वारा दी गई शिक्षा थी- हिंसा न करना सदा सत्य बोलना चोरी न करना संपत्ति न रखना। महावीर स्वाम…

जैन धर्म के सिद्धांत क्या है? » Jain Dharam Ke Siddhant Kya Hai

जैन धर्म और साहित्य के अनुसार कुल 24 तीर्थंकर हुए है। जैन अनुश्रुति के अनुसार जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे। महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थकर थे । महावीर का जन्म 599 ई.पू. वैशाली के समीप कुण्डग्राम में हुआ था । तीस वर्ष की कठोर तप के उपरान्त उन…

जैन धर्म का इतिहास || उपदेश सिद्धांत

जैन धर्म शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। एक शब्द है 'जैन' दूसरा शब्द है धर्म। जिस प्रकार शिव को देवता मानने वाले शैव और विष्णु को मानने वाले वैष्णव कहलाते हैं उसी प्रकार 'जिन' को देवता मानने वाले जैन कहलाते हैं । और उनके धर्म को जैन ध…

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