कम्पनी अधिनियम की धारा 2(36) के अनुसार ‘‘प्रविवरण से आशय ऐसे प्रपत्र से है, जो प्रविवरण की भांति वर्णित या र्निमित किया जाता है, ऐसे नोटिस, परिपत्र, विज्ञापन या अन्य प्रपत्रों को सम्मिलित करता है जो एक समामेलित संस्था के अंषों या ऋणपत्रों के क्रय करने…