सामान्य अर्थो में ‘मानवाधिकार' (Human rights) से तात्पर्य होता है कि 'मानव' चाहे वह किसी भी लिंग, वर्ग या जाति का हो, किसी भी देश, प्रदेश या क्षेत्र में रहता हो अथवा किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या मत का मानने वाला गरीब हो या अमीर हो सभी को अपन…
‘‘यदि प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने अधिकार का ही ध्यान रखे एवं दूसरों के प्रति कर्तव्यों का पालन न करें तो शीघ्र ही किसी के लिए भी अधिकार नहीं रहेंगे।’’ करने योग्य कार्य ‘कर्तव्य’ कहलाते है किसी भी समाज का मूल्यांकन करते हुए ध्यान केवल अधिकारों पर ही नही…