यज्ञ

यज्ञ किसे कहते है गीता के चतुर्थाध्याय के यज्ञनिरूपण-प्रकरण में यज्ञ के 15 मुख्य भेद बतलाए गये हैं

यज्ञ का भावार्थ-परमार्थ एवं उदार-कृत्य है। ‘यज्ञ’ शब्द पाणिनीसूत्र ‘ ‘यजयाचयतविच उप्रक्चरक्षो नड़्’’ में नड़् प्रत्यय लगाने पर बनता है अर्थात् यज्ञ शब्द ‘यज्’ धातु से बना है, यज् धातु के तीन अर्थ हैं- देवपूजन, दान और संगतिकरण। इस प्रकार हवि या हवन के द्…

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