योग के आधारभूत तत्व

मंत्रयोग क्या है मंत्रयोग के प्रकार ?

शास्त्रों के अनुसार अनेक प्रकार के योग बताए गये हैं, इन सभी योग की साधना सबसे सरल और सुगम है। मंत्र योग की साधना कोई श्रद्धा पूर्वक व निर्भयता पूर्वक कर सकता है। श्रद्धापूर्वक की गयी साधना से शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त कर अभीष्ट की प्राप्ति की जा सकती है…

कर्मयोग का अर्थ, परिभाषा, भेद एवं प्रकार

कर्मयोग उन लोगों के लिए है जो प्रकृति से सक्रिय होते हैं भगवद ्गीता में कर्म  योग के चार मुख्य नियम वर्णित हैं ताकि आप सभी तनावों से एकदम मुक्त होकर अपन े कर्म (कार्य) का हर क्षण आनन्द ले सके। कर्म कर्तव्य समझकर करें, कार्य को बिना आसक्ति से करें, परि…

गीता में योग का स्वरूप

वही ज्ञान वास्तविक ज्ञान होता है जो ज्ञान मुक्ति के मार्ग की ओर अग्रसरित कराता है। अत: गीता में भी मुक्ति प्रदायक ज्ञान है। इस बात की पुष्टि स्वयं व्यास जी ने महाभारत के शान्तिपर्व में प्रकट किया है। ‘‘विद्या योगेन ऱक्षति’’ अर्थात् ज्ञान की रक्षा य…

योग साधना में साधक व बाधक तत्व

योग शब्द का अर्थ संस्कृत भाषा के युज् धातु से निष्पन्न होने के साथ विभिन्न ग्रन्थों के अनुसार योग की परिभाषाओं का अध्ययन किया गया। योग साधना के मार्ग में साधक के लिए साधना में सफलता हेतु सहायक तत्वों तथा साधना में बाधक तत्वों की चर्चा विभन्न ग्रन्थों…

योग का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार और महत्व

योग शब्द का शाब्दिक अर्थ जोड़ना या मिलन कराना है । योग शब्द के इस अर्थ का भारतीय संस्कृति में बहुत अधिक प्रयोग किया गया है । जैसे गणित शास्त्र में दो या दो से अधिक संख्याओं के जोड़ का योग कहते है । चिकित्सा शास्त्र में विभिन्न औषधियों के मिश्रण को योग…

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