रीतिकाल

रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ, रचनाएँ और प्रवृत्तियाँ

रीतिकालीन हिंदी साहित्य की रचना, जिन सामन्तीय परिस्थितियों में हुई, उस साहित्य को साधारण लोगों के जीवन से तो सम्बद्ध नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह साहित्य तो मूलतः दरबारी या शाही साहित्य था। आश्रित कवियों तथा आचार्यों ने जिस साहित्य की सृष्टि की, उसमे…

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ एवं धाराएँ

सम्पूर्ण रीति साहित्य को तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है। (1) रीतिशास्त्रीय काव्य, (2) रीतिबद्ध काव्य, (3) रीतिमुक्त काव्य। किन्तु इस सन्दर्भ में विद्वानों में मतभेद है। डॉ. नगेन्द्र द्वारा सम्पादित ‘हिन्दी साहित्य’ के इतिहास में लिखा गया है। “…

रीतिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएं

वस्तुतः उत्तर मध्य काल के नामकरण को लेकर विद्वानों में मतभेद रहे हैं। मिश्रबधुओं ने इसे अलंकृत काल कहा है तो आचार्य शुक्ल ने इसे रीतिकाल नाम दिया है। पं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने इसे शृंगार काल कहा। इसी प्रकार डाॅ. रमाशंकर शुक्ल रसाल ने इसे कला कला कह…

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