वर्षा

वर्षण के रूप, प्रकार एवं वितरण

जब जल तरल (जल बिन्दुओं) या ठोस (हिमकणों) रूप में धरातल पर गिरता है तो उसे वर्षण कहते हैं। वायु में संघनन की सतत प्रक्रिया के परिणामस्वरूप जल बिन्दुओं या हिम कणों का भार अधिक व आकार बड़ा हो जाता है तथा वे वायु में तैरते हुये रूक नहीं पाते तो पृथ्वी के …

वर्षा के प्रकार || संवहनीय वर्षा, पर्वतीय वर्षा और चक्रवाती वर्षा

जल वाष्प द्रवीभूत होकर धरातल पर बूँदों के रुप में गिरता है तो उसे वर्षा कहा जाता है। वाष्प के द्रवीभूत होकर धरातल पर बूँदों के रुप में गिरने से पहले अत्य आवश्यक परिवर्तन होते हैं। जैसे- हवा का ठण्डा होकर ओस बिन्दु तक पहुँचना, बादल बनना तथा जल सीकरों क…

वर्षण किसे कहते हैं वर्षा के प्रकार?

जब जल तरल (जल बिन्दुओं) या ठोस (हिमकणों) रूप में धरातल पर गिरता है तो उसे वर्षण कहते हैं। वायु में संघनन की सतत प्रक्रिया के परिणामस्वरूप जल बिन्दुओं या हिम कणों का भार अधिक व आकार बड़ा हो जाता है तथा वे वायु में तैरते हुये रूक नहीं पाते तो पृथ्वी के …

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